लखनऊ: केजीएमयू के कलाम सेंटर में चिकित्सा शिक्षा मंत्री के दिशा निर्देशानुसार शनिवार को आयोजित मासिक 'मेडिकल एथिक्स एवं मानव सेवा विषयक लेक्चर 'के एक वर्ष पूरे होने पर वार्षिक कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिकित्सा शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार सुरेश खन्ना ने कोरोना काल मे केजीएमयू के कार्यों की सराहना की. उन्होंने चिकित्सा विश्विद्यालय के सभी डॉक्टरों, नर्सों समेत सभी कर्मचारियों की प्रशंसा की. मुख्य अतिथि मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल एथिक्स को चिकित्सा जगत के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का सुव्यवहार ही मरीज को आधा ठीक कर देता है. उन्होंने रेजिडेंट्स द्वारा किए गए नाटकीय प्रस्तुति की सराहना की और सभी से इसका अनुकरण करने का अनुरोध किया. इस दौरान केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने बताया कि यह दिन चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक एवं यादगार दिन है. उन्होंने मेडिकल एथिक्स एवं मानव सेवा से संबंधित महत्वपूर्ण बातों को बताया. उन्होंने यह भी बताया कि एक साल से लगातार प्रत्येक माह के प्रथम एवं तृतीय शनिवार को नैतिक शिक्षा व्याख्यान सीरीज चलाई जा रही है, जिनकी संख्या अभी तक 234 हो चुकी है.
कुलपति ने इससे संबंधित लेक्चर और इसका प्रोत्साहन करने के लिए डॉ. विश्वजीत और डॉ. पुनिता मानिक की सराहना की. कुलपति ने केजीएमयू के डॉक्टरों, नर्सों, टेक्नीशियन एवं सभी कर्मचारियों द्वारा अपनी जान की परवाह किए बगैर सेवा को सर्वोपरि मानते हुए वैश्विक महामारी के इस दौर में सभी के प्रयासों की सराहना की.
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ उमा सिंह अधिष्ठाता,चिकित्सा संकाय ने मेडिकल एथिक्स की गहराई से जानकरी देते हुए इसे चिकित्सकों चिकित्सा पद्धति के लिए अति आवश्यक बताया. कार्यक्रम में केजीएमयू के प्रतिकुलपति प्रो. विनीत शर्मा, रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर ,रेजिडेंट्स एवम छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.
एलर्जी को न करें नजरअंदाज
शनिवार 13 जून से 18 जून तक वर्ल्ड एलर्जी सप्ताह मनाया जा रहा है. वर्ल्ड एलर्जी सप्ताह पर केजीएमयू, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं यूपी चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी और आईएमए-एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज के तत्वाधान में शनिवार को चेस्ट रोग विशेषज्ञों की मौजूदगी में संगोष्ठी हुईं. संगोष्ठी का मुख्य टॉपिक भारत के परिपेक्ष में एलर्जी ब्रोन्कोपल्मोनरीएस्परजिलस (एबीपीए) रहा.
आईएमए के डॉ सूर्यकांत ने बताया कि अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है तो इसकी दवा तुरंत कराएं. वरना एलर्जी कभी-कभी भयानक रूप ले लेती है, जिसके बाद एलर्जी से होने वाली समस्या महीनों खत्म नहीं होती.
वर्चुअल रूप से आयोजित संगोष्ठी में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि एलर्जी ब्रोन्कोपल्मोनरी एस्परजिलस मुख्यतः अनियंत्रित अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों में पायी जाती है. अनियंत्रित अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों के फेफड़ों में फंगस बस जाते हैं. ऐसे मरीजों में समय पर इलाज न होने पर बीमारी गम्भीर रूप ले लेती है, जिससे मरीज की स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है. ऐस मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल महत्वपूर्ण हो जाता है और एन्टीफंगल दवाओं का भी इस्तेमाल करना पड़ता है.
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व विभागाध्यक्ष केजीएमयू के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि अनियंत्रित अस्थमा मरीजों के लक्षण को एलर्जी एलर्जी ब्रोन्कोपल्मोनरी एस्परजिलस के लक्षण समानता होने के कारण पहचान पाना कठिन हो जाता है. मरीजों के बढ़ते लक्षण एवं बार बार अस्थमा का अटैक पड़ना एबीपीए बीमारी हो जाने की शंकाओं को बढ़ता है. ऐसी स्थिति में मरीजों के लक्षणों को पहचाने के लिए संबन्धित जांचे कराना अनिवार्य हो जाता है. जिससे समय पर उचित इलाज मिलने पर फेफड़ों में होने वाली क्षति को कम से कम स्तर पर रोका जा सके. एबीपीए के मरीजों के उपचार में ओरल स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल अत्यंत उपयोगी है. ऐसे मरीजों के इलाज में एन्टीफंगल दवाओं का इस्तेमाल महत्वपूर्ण हो जाता है.
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वां प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष (1946 में स्थापित) मना रहा है. इस मौके पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने 75 शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करने का निश्चय किया है. यह वर्चुवल संगोष्ठी भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी है. इस मौके पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन के संकाय सदस्य डॉ आरएएस कुशवाहा डॉ एसके वर्मा, डॉ राजीव गर्ग, डॉ सन्तोष कुमार, डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ दर्शन कुमार बजाज, डॉ ज्योति बाजपाई व अंकित कटियार रेजिडेन्ट डाक्टर्स, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ व समस्त कर्मचारी मौजूद रहें. इण्डियन चेस्ट सोसायटी के सचिव डॉ एके सिंह भी मौजूद रहे.