लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 3 दिन तक बड़े स्तर पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट का शुभारंभ किया और समापन देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने किया. लक्ष्य से करीब 2 गुना से अधिक निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर हुए और सरकार को करीब 33 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम निवेश प्रस्ताव मिले. अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन निवेश प्रस्तावों को धरातल तक ले जाकर लोगों को रोजगार देना और उत्तर प्रदेश को विकास की राह पर तेजी से अग्रसर करने की है.
ईटीवी भारत ने योगी सरकार के औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सैनी से बात की और समझा कि जो एनओसी और उद्यमियों को तमाम तरह के क्लीयरेंस मिलने में समस्या होती है उसको लेकर सरकार की क्या प्लानिंग है. ईटीवी से बात करते हुए मंत्री जसवंत सैनी ने कहा कि '33 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव हमें मिले हैं और हम इन्हें धरातल तक ले जाएंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है. जिन-जिन कंपनियों से निवेश के करार हुए हैं और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के अधिकारी इस पूरी योजना को आगे ले जाने का काम करेंगे. जहां तक एनओसी और अन्य विभागों के स्तर पर मिलने वाले क्लीयरेंस या जमीन आदि मुहैया कराने में जो समस्याएं आती हैं, उसको लेकर हमने सिंगल विंडो सिस्टम अपनाया है. निवेश मित्र उद्यमी, सारथी पोर्टल जैसी तमाम तरह की सहूलियत दी गई हैं.'
मंत्री ने कहा कि 'अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी फाइल किसी भी जगह पर नहीं रुकनी चाहिए और अगर कहीं किसी की फाइल के रुकने का मामला संज्ञान आने पर संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.' मंत्री जसवंत सैनी ने कहा कि 'हमने हर स्तर पर पत्रावली को चेक करने का काम करने का फैसला किया है. जिन कंपनियों और निवेशकों से निवेश प्रस्तावों पर बातचीत हुई है. एमओयू साइन हो गए हैं. संबंधित के लिए कहां कैसी जमीन देनी है, उनकी रिक्वायरमेंट क्या है और किस क्षेत्र में वह निवेश कर रहे हैं. इसको लेकर हम लोगों ने अलग-अलग सेक्टर बांटकर अधिकारियों को जिम्मेदारी बांट रखी है और इसमें कहीं कोई लापरवाही नहीं होने दी जाएगी.
दरअसल, इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में जो इन्वेस्टर्स समिट हुई है, उनको लेकर सरकार के स्तर पर यह नहीं बताया जा सका कि जो निवेश के बड़े प्रस्ताव मिले थे उन पर निचले स्तर पर कितना काम हुआ है और कितने लोगों को रोजगार मिला है. ऐसे में तमाम तरह के सवाल खड़े होते रहे हैं कि निवेश के प्रस्ताव पर साइन तो होता है, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाते. इंडस्ट्री मिनिस्टर ने कहा कि 'हम लगातार इस चीज को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं और जो 33 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव हमें मिले हैं उन्हें धरातल तक ले जाने में कोई संदेह नहीं है.