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सेवा क्षेत्र से निर्यात प्रोत्साहन के लिए बनाई जाएगी रणनीति: मंत्री नंद गोपाल गुप्ता - export promotion from service sector

योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने के लक्ष्य प्राप्ति में निर्यात क्षेत्र की उत्तरोत्तर वृद्धि व योगदान को सुनिश्चित करने के लिए ठोस रणनीति बनाए जाने के निर्देश दिए हैं.

मंत्री नंद गोपाल गुप्ता.
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Published : Aug 24, 2022, 9:49 AM IST

लखनऊ: अवस्थापना व औद्योगिक विकास, निवेश प्रोत्साहन, एनआरआई और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने के लक्ष्य प्राप्ति में निर्यात क्षेत्र की उत्तरोत्तर वृद्धि व योगदान को सुनिश्चित करने के लिए ठोस रणनीति बनाए जाने के निर्देश दिए हैं.

मंत्री नंदी आज क्षेत्र से निर्यात को प्रोत्साहन विषय पर होटल सेन्ट्रम, सुशांत गोल्फ सिटी में आयोजित कार्यशाला में शिक्षा के क्षेत्र के प्रख्यात स्टेकहोल्डर्स को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कहा कि गर्व का विषय है कि हमारा उत्तर प्रदेश विनिर्माण व निर्यात के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने में सफल रहा है. देश से होने वाले निर्यात में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ यह देश का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है. विगत 5 वर्षों में प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 156 लाख करोड़ रुपये हो गया है. निर्यात में हुई यह वृद्धि अभूतपूर्व है और इसे निरंतर बढ़ाये जाने हेतु प्रदेश सरकार कृतसंकल्पित है.

इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर यह भी अनुभूत किया गया है कि विनिर्माण के साथ सेवा क्षेत्र में होने वाले निर्यात को सर्वाेच्च प्रथमिकता के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाना. निर्यात में लक्षित वृद्धि प्राप्त करने हेतु अपरिहार्य है और यही कारण है कि फरवरी 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा सेवा क्षेत्र से होने वाले निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए आरंभ की गई चैंपियन सर्विस सेक्टर स्कीम के 5 सेक्टर क्रमशः मेडिकल वैल्यू ट्रैवल, पर्यटन, शिक्षा, आईटी/आई.टी.ई.एस व लॉजिस्टिक्स प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम चरण में चयनित किए गए हैं और जिनके स्टेकहोल्डर्स से निरंतर संवाद स्थापित करते हुए ठोस रणनीति निर्धारण व कार्यान्वयन की कार्यवाही गतिमान है

उन्होंने कहा कि प्रदेश में विदेशी छात्रों को अध्ययन हेतु आकर्षित करने की पर्याप्त सामर्थ्य विद्यमान है. आवश्यकता है तो इस सामर्थ्य को छात्रों की महत्वकांक्षाओं, अपेक्षाओं व वित्तीय क्षमताओं के अनुकूल बनाए जाने की. अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता व मानकों के अनुरूप व पाठ्यक्रम का विकास, उसमें समय सापेक्ष सुसंगत सुधार सुनिश्चित करना, प्रत्येक छात्र के सर्वांगीण वैयक्तिक व बौद्धिक विकास के अनुरूप समावेशी कक्षा का वातावरण सृजित करना, जरूरतमंद छात्रों को सरलतापूर्वक आवश्यक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराना, उनके भविष्य को सुरक्षित करने हेतु कैंपस सेलेक्शन/जॉब फेयर आयोजित कराना, प्रत्येक कोर्स हेतु निर्धारित कैलेन्डर एक वर्ष अग्रिम में जारी करते हुए सख्ती से अनुपालन कराना, छात्रों को व्यावहारिक पहलुओं पर केन्द्रित नियमित एक्सपोजर विजिट कराना, विदेशी छात्रों की समस्त समस्याओं के समाधान हेतु प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में सहायता के लिए केन्द्र स्थापित करना आदि ऐसे मानक हैं, जो प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों की यूएसपी को समृद्ध करने और छात्रों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन करेंगें.

इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कार्यशाला में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके बहुमूल्य सुझावों को नोट किया गया है और उनको पूर्णतः समाहित करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी छात्र को प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों में अध्ययन हेतु प्रेरित करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाई व कार्यान्वित की जाएगी.

कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने के लिए आवश्यक है कि प्रदेश से निर्यात को बढ़ाना और आयात को घटाया जाए. मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रदेश अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुका है. सेवा क्षेत्र में निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को प्रथम चरण में एमवीटी, आईटी एण्ड आईटीईएस पर्यटन, लाजिस्टिक्स व पर्यटन के साथ चुना गया है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रमों को और बेहतर किया जा सकता है. जो बच्चे यहां पढ़ रहे है उन्हें प्लेसमेन्ट उपलब्ध कराकर वैल्यू एडीशन किया जा सकता है. हम विदेश स्थित भारतीय दूतावासों से निरंतर संपर्क में हैं. शिक्षा निर्यात से संबंधित शैक्षिक संस्थानों के परामर्श/सुझावों और समस्याओं को समझने के लिए यह वर्कशाप आयोजित की गई है ताकि आवश्यक नीति निर्माण, हैण्ड होल्डिंग सपोर्ट में इनका समावेश किया जा सके. उन्होंने निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो द्वारा संचालित 'विपणन विकास सहायता योजना' में शिक्षा निर्यात को सम्मिलित करने हेतु आवश्यक निर्देश दिए. कार्यशाला में सुभाष चन्द्र शर्मा, प्रमुख सचिव, तकनीकी शिक्षा ने आवश्यकता आधारित न्यू एज कोर्सेज के विकास की आवश्यकता पर बल दिया.

इसे भी पढे़ं- राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची हैं : नंद गोपाल नंदी

लखनऊ: अवस्थापना व औद्योगिक विकास, निवेश प्रोत्साहन, एनआरआई और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने के लक्ष्य प्राप्ति में निर्यात क्षेत्र की उत्तरोत्तर वृद्धि व योगदान को सुनिश्चित करने के लिए ठोस रणनीति बनाए जाने के निर्देश दिए हैं.

मंत्री नंदी आज क्षेत्र से निर्यात को प्रोत्साहन विषय पर होटल सेन्ट्रम, सुशांत गोल्फ सिटी में आयोजित कार्यशाला में शिक्षा के क्षेत्र के प्रख्यात स्टेकहोल्डर्स को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कहा कि गर्व का विषय है कि हमारा उत्तर प्रदेश विनिर्माण व निर्यात के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने में सफल रहा है. देश से होने वाले निर्यात में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ यह देश का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है. विगत 5 वर्षों में प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 156 लाख करोड़ रुपये हो गया है. निर्यात में हुई यह वृद्धि अभूतपूर्व है और इसे निरंतर बढ़ाये जाने हेतु प्रदेश सरकार कृतसंकल्पित है.

इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर यह भी अनुभूत किया गया है कि विनिर्माण के साथ सेवा क्षेत्र में होने वाले निर्यात को सर्वाेच्च प्रथमिकता के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाना. निर्यात में लक्षित वृद्धि प्राप्त करने हेतु अपरिहार्य है और यही कारण है कि फरवरी 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा सेवा क्षेत्र से होने वाले निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए आरंभ की गई चैंपियन सर्विस सेक्टर स्कीम के 5 सेक्टर क्रमशः मेडिकल वैल्यू ट्रैवल, पर्यटन, शिक्षा, आईटी/आई.टी.ई.एस व लॉजिस्टिक्स प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम चरण में चयनित किए गए हैं और जिनके स्टेकहोल्डर्स से निरंतर संवाद स्थापित करते हुए ठोस रणनीति निर्धारण व कार्यान्वयन की कार्यवाही गतिमान है

उन्होंने कहा कि प्रदेश में विदेशी छात्रों को अध्ययन हेतु आकर्षित करने की पर्याप्त सामर्थ्य विद्यमान है. आवश्यकता है तो इस सामर्थ्य को छात्रों की महत्वकांक्षाओं, अपेक्षाओं व वित्तीय क्षमताओं के अनुकूल बनाए जाने की. अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता व मानकों के अनुरूप व पाठ्यक्रम का विकास, उसमें समय सापेक्ष सुसंगत सुधार सुनिश्चित करना, प्रत्येक छात्र के सर्वांगीण वैयक्तिक व बौद्धिक विकास के अनुरूप समावेशी कक्षा का वातावरण सृजित करना, जरूरतमंद छात्रों को सरलतापूर्वक आवश्यक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराना, उनके भविष्य को सुरक्षित करने हेतु कैंपस सेलेक्शन/जॉब फेयर आयोजित कराना, प्रत्येक कोर्स हेतु निर्धारित कैलेन्डर एक वर्ष अग्रिम में जारी करते हुए सख्ती से अनुपालन कराना, छात्रों को व्यावहारिक पहलुओं पर केन्द्रित नियमित एक्सपोजर विजिट कराना, विदेशी छात्रों की समस्त समस्याओं के समाधान हेतु प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में सहायता के लिए केन्द्र स्थापित करना आदि ऐसे मानक हैं, जो प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों की यूएसपी को समृद्ध करने और छात्रों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन करेंगें.

इस अवसर पर मंत्री नंदी ने कार्यशाला में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके बहुमूल्य सुझावों को नोट किया गया है और उनको पूर्णतः समाहित करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी छात्र को प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों में अध्ययन हेतु प्रेरित करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाई व कार्यान्वित की जाएगी.

कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने के लिए आवश्यक है कि प्रदेश से निर्यात को बढ़ाना और आयात को घटाया जाए. मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रदेश अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुका है. सेवा क्षेत्र में निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को प्रथम चरण में एमवीटी, आईटी एण्ड आईटीईएस पर्यटन, लाजिस्टिक्स व पर्यटन के साथ चुना गया है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रमों को और बेहतर किया जा सकता है. जो बच्चे यहां पढ़ रहे है उन्हें प्लेसमेन्ट उपलब्ध कराकर वैल्यू एडीशन किया जा सकता है. हम विदेश स्थित भारतीय दूतावासों से निरंतर संपर्क में हैं. शिक्षा निर्यात से संबंधित शैक्षिक संस्थानों के परामर्श/सुझावों और समस्याओं को समझने के लिए यह वर्कशाप आयोजित की गई है ताकि आवश्यक नीति निर्माण, हैण्ड होल्डिंग सपोर्ट में इनका समावेश किया जा सके. उन्होंने निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो द्वारा संचालित 'विपणन विकास सहायता योजना' में शिक्षा निर्यात को सम्मिलित करने हेतु आवश्यक निर्देश दिए. कार्यशाला में सुभाष चन्द्र शर्मा, प्रमुख सचिव, तकनीकी शिक्षा ने आवश्यकता आधारित न्यू एज कोर्सेज के विकास की आवश्यकता पर बल दिया.

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