लखनऊ: योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें मंत्रियों, राज्य मंत्रियों के निजी सचिवों और सहायक सचिवों की तैनाती मंत्री के कार्यकाल या फिर पांच साल से अधिक समय तक नहीं रह सकेगी. वहीं मंत्रियों के साथ पांच साल काम करने के बाद उन्हें सचिवालय में पांच साल तक काम करना होगा. इसके बाद ही उन्हें पुनः मंत्रियों के साथ निजी सचिव के तौर पर तैनाती मिल सकेगी.
जानिए क्या है योगी सरकार का नया फैसला-
- योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए हर दिन फैसले लिए जा रहे हैं.
- सोमवार को अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन द्वारा जारी आदेश हुआ है.
- आदेश में लिखा है कि कोई भी मंत्री, राज्य मंत्री के साथ निजी सचिव की तैनाती पांच वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती.
- वहीं पांच वर्ष तैनाती के उपरांत पुनः उनके साथ तैनाती हेतु पांच वर्ष का कूलिंग ऑफ का पीरियड होगा.
- सचिवों को पांच साल तक सचिवालय में काम करना होगा.
- यह व्यवस्था मंत्री, राज्य मंत्री के साथ तैनात होने वाले सचिवालय सेवा के समूह ख और ग के कार्मिकों पर भी लागू होगी.
योगी सरकार के इस फैसले से मंत्रियों की मनमानी पर रोक लगेगी. मंत्री अपने मनमाफिक निजी सचिव या अन्य कर्मियों को नहीं रख सकेंगे. इसके साथ ही सचिवालय प्रशासन में निजी सचिव हों या समीक्षा अधिकारी, उनकी तजनीतिक ताकत कम होगी. आमतौर पर मंत्रियों के साथ रहकर अधिकारियों की पहुंच बढ़ जाती है. वे अपने हिसाब से पोस्टिंग करा लेते हैं. काम में निपुण और अनुभव के नाम पर मंत्रियों की भी मंशा रहती है. ऐसे में कई बार यही गठजोड़ भ्रष्टाचार का रूप ले लेता है.