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योगी सरकार का सख्त फैसला, मंत्री पांच साल से अधिक नहीं रख सकेंगे निजी सचिव - उत्तर प्रदेश समाचार

योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें कोई मंत्री अब पांच साल से ज्यादा निजी सचिव को नहीं रह रख सकेंगे. योगी सरकार ने यह फैसला भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लिया है.

योगी सरकार का नया फैसला, कोई मंत्री पांच साल से अधिक नहीं रख सकेंगे निजी सचिव
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Published : Jul 8, 2019, 11:32 PM IST

लखनऊ: योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें मंत्रियों, राज्य मंत्रियों के निजी सचिवों और सहायक सचिवों की तैनाती मंत्री के कार्यकाल या फिर पांच साल से अधिक समय तक नहीं रह सकेगी. वहीं मंत्रियों के साथ पांच साल काम करने के बाद उन्हें सचिवालय में पांच साल तक काम करना होगा. इसके बाद ही उन्हें पुनः मंत्रियों के साथ निजी सचिव के तौर पर तैनाती मिल सकेगी.

जानिए क्या है योगी सरकार का नया फैसला-

  • योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए हर दिन फैसले लिए जा रहे हैं.
  • सोमवार को अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन द्वारा जारी आदेश हुआ है.
  • आदेश में लिखा है कि कोई भी मंत्री, राज्य मंत्री के साथ निजी सचिव की तैनाती पांच वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती.
  • वहीं पांच वर्ष तैनाती के उपरांत पुनः उनके साथ तैनाती हेतु पांच वर्ष का कूलिंग ऑफ का पीरियड होगा.
  • सचिवों को पांच साल तक सचिवालय में काम करना होगा.
  • यह व्यवस्था मंत्री, राज्य मंत्री के साथ तैनात होने वाले सचिवालय सेवा के समूह ख और ग के कार्मिकों पर भी लागू होगी.

योगी सरकार के इस फैसले से मंत्रियों की मनमानी पर रोक लगेगी. मंत्री अपने मनमाफिक निजी सचिव या अन्य कर्मियों को नहीं रख सकेंगे. इसके साथ ही सचिवालय प्रशासन में निजी सचिव हों या समीक्षा अधिकारी, उनकी तजनीतिक ताकत कम होगी. आमतौर पर मंत्रियों के साथ रहकर अधिकारियों की पहुंच बढ़ जाती है. वे अपने हिसाब से पोस्टिंग करा लेते हैं. काम में निपुण और अनुभव के नाम पर मंत्रियों की भी मंशा रहती है. ऐसे में कई बार यही गठजोड़ भ्रष्टाचार का रूप ले लेता है.

लखनऊ: योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें मंत्रियों, राज्य मंत्रियों के निजी सचिवों और सहायक सचिवों की तैनाती मंत्री के कार्यकाल या फिर पांच साल से अधिक समय तक नहीं रह सकेगी. वहीं मंत्रियों के साथ पांच साल काम करने के बाद उन्हें सचिवालय में पांच साल तक काम करना होगा. इसके बाद ही उन्हें पुनः मंत्रियों के साथ निजी सचिव के तौर पर तैनाती मिल सकेगी.

जानिए क्या है योगी सरकार का नया फैसला-

  • योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए हर दिन फैसले लिए जा रहे हैं.
  • सोमवार को अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन द्वारा जारी आदेश हुआ है.
  • आदेश में लिखा है कि कोई भी मंत्री, राज्य मंत्री के साथ निजी सचिव की तैनाती पांच वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती.
  • वहीं पांच वर्ष तैनाती के उपरांत पुनः उनके साथ तैनाती हेतु पांच वर्ष का कूलिंग ऑफ का पीरियड होगा.
  • सचिवों को पांच साल तक सचिवालय में काम करना होगा.
  • यह व्यवस्था मंत्री, राज्य मंत्री के साथ तैनात होने वाले सचिवालय सेवा के समूह ख और ग के कार्मिकों पर भी लागू होगी.

योगी सरकार के इस फैसले से मंत्रियों की मनमानी पर रोक लगेगी. मंत्री अपने मनमाफिक निजी सचिव या अन्य कर्मियों को नहीं रख सकेंगे. इसके साथ ही सचिवालय प्रशासन में निजी सचिव हों या समीक्षा अधिकारी, उनकी तजनीतिक ताकत कम होगी. आमतौर पर मंत्रियों के साथ रहकर अधिकारियों की पहुंच बढ़ जाती है. वे अपने हिसाब से पोस्टिंग करा लेते हैं. काम में निपुण और अनुभव के नाम पर मंत्रियों की भी मंशा रहती है. ऐसे में कई बार यही गठजोड़ भ्रष्टाचार का रूप ले लेता है.

Intro:लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के साथ निजी सचिवों व सहायक सचिवों की तैनाती मंत्री के कार्यकाल या फिर पांच साल से अधिक समय तक नहीं रह सकेगी। मंत्री के कार्यकाल या फिर पांच साल तक ही रह सकेंगे। मंत्रियों के साथ पांच साल काम करने के बाद उन्हें सचिवालय में पांच साल तक काम करना होगा। इसके बाद ही उन्हें पुनः मंत्रियों के साथ निजी सचिव के तौर पर तैनाती मिल सकेगी।


Body:योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए हर दिन फैसले लिए जा रहे हैं। अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अब कोई भी मंत्री, राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के साथ सभी श्रेणी के निजी सचिव, अपर निजी सचिव की लगातार तैनाती की अवधि मंत्री के कार्यकाल तक अथवा अधिकतम पांच वर्ष तक जो भी पहले हो, उसी के आधार पर होगी।

सभी श्रेणी के निजी सचिव अपर निजी सचिव की मंत्री राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री व उप मंत्री के साथ लगातार पांच वर्ष तैनाती के उपरांत पुनः उनके साथ तैनाती हेतु पांच वर्ष का कूलिंग ऑफ का पीरियड होगा। यानी उन्हें पांच साल तक सचिवालय में काम करना होगा।

उपरोक्त व्यवस्था मंत्री, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री के साथ तैनात होने वाले सचिवालय सेवा के समूह ख एवं ग के अन्य कार्मिकों पर भी लागू होगी। इसमे समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी समेत अन्य कर्मियों को शामिल किया गया है।


Conclusion:योगी सरकार के इस फैसले से मंत्रियों की मनमानी पर रोक लगेगी। मंत्री अपने मनमाफिक निजी सचिव या अन्य कर्मियों को नहीं रख सकेंगे। इसके साथ ही सचिवालय प्रशासन में निजी सचिव हों या समीक्षा अधिकारी, उनकी तजनीतिक ताकत कम होगी। अपतौर पर मंत्रियों के साथ रहकर अधिकारियों की पहुंच बढ़ जाती है। वे अपने हिसाब से पोस्टिंग करा लेते हैं। काम मे निपुण और अनुभव के नाम पर मंत्रियों की भी मंशा रहती है। ऐसे में कई बार यही गठजोड़ भ्रस्टाचार का रूप ले लेता है।
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