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सैन्य डाॅक्टरों ने ब्लैक फंगस से गायब जबड़े को किया पुनर्स्थापित, 3डी प्रिंटेड मेक इन इंडिया इम्प्लांट प्रोस्थेसिस विधि से पाई सफलता

जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह और द्वारिका प्रसाद ने बताया कि एक महिला जो कि ब्लैक फंगस से ग्रसित थी उसे गोरखपुर वायु सेना अस्पताल से लखनऊ कमान अस्पताल स्थानांतरित किया गया था. डाॅक्टरों ने जबड़े को पुनर्स्थापित कर नया जीवन प्रदान किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 8:46 AM IST

लखनऊ : राजधानी में सैन्य डॉक्टरों की टीम ने पोस्ट कोविड ब्लैक फंगस से ऊपरी जबड़े के गायब होने की दशा में 3डी प्रिंटेड मेक इन इंडिया इम्प्लांट प्रोस्थेसिस के साथ जबड़े को पुनर्स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. 37 वर्षीय एक महिला जिसे गोरखपुर से लखनऊ के मध्य कमान अस्पताल रेफर किया गया था. उसके जबड़े को पुनर्स्थापित करने में मध्य कमान अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने सफलता हासिल की है. मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह और द्वारिका प्रसाद ने यह जानकारी दी है.


उन्होंने बताया कि 'हमारे देश में कोरोना वायरस की विनाशकारी दूसरी लहर देखी गई और बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस या नाक और ऊपरी जबड़े के म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण सहित पोस्ट-कोविड केस सामने आए. इस जीवन-घातक फंगल संक्रमण का उपचार आक्रामक सर्जिकल क्षत-विक्षतीकरण है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर ऊपरी जबड़ा आंशिक या पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है. एक 37 वर्षीय महिला को पोस्ट कोविड-19 ब्लैक फंगस संक्रमण के प्रबंधन के लिए 15 जून 2021 को वायु सेना अस्पताल गोरखपुर से कमान अस्पताल लखनऊ में स्थानांतरित किया गया था. मरीज के ऊपरी जबड़े (मैक्सिला) के दाहिने आधे हिस्से को सर्जिकल रूप से हटाने और आक्रामक एंटीफंगल थेरेपी के लिए ईएनटी और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की विशेषज्ञ टीम ने उसका प्रबंधन किया था. इसके परिणामस्वरूप नाक गुहा और मौखिक गुहा के बीच संचार में सर्जिकल अवशिष्ट दोष हो गया और ऊपरी जबड़े के दाहिनी ओर के सभी दांत नष्ट हो गए. इससे महिला की वाणी, चबाने और सांस लेने में गंभीर परेशानी होने लगी. इस दौरान मरीज को एक पारंपरिक ऐक्रेलिक ऑबट्यूरेटर डेन्चर प्रदान किया गया, लेकिन मरीज संतुष्ट नहीं थी क्योंकि यह डेन्चर टिक नहीं पा रही थी और पकड़ की कमी के कारण ढीली पड़ गई थी.'


डॉक्टरों ने उसे वर्चुअल 3डी मॉडल और नवीनतम ब्लू स्काई सॉफ्टवेयर का उपयोग करके योजना के आधार पर 3डी प्रिंटेड टाइटेनियम इम्प्लांट के साथ अंतिम पुनर्वास के लिए लाया. मरीज के जबड़े के पुनर्वास सर्जरी बीती नौ अगस्त को ब्रिगेडियर मुक्तिकांत रथ के नेतृत्व में सीएमडीसी की सर्जिकल टीम ने की. अंतर अनुशासनात्मक दृष्टिकोण में कर्नल मुनीश कुमार, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल आजाद खान चौधरी, मैक्सिलोफेशियल सर्जन, लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव शेट्टी, प्रोस्थोडॉन्टिस्ट और सब मैथ्यू अनीश लैब तकनीशियनों की एक टीम शामिल थी.



पीआरओ शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि 'एक अत्याधुनिक रोगी विशिष्ट प्रत्यारोपण समर्थित ऑबट्यूरेटर डेन्चर प्रदान किया गया, जिसने रूप और कार्य को पूरी तरह से बहाल कर दिया है. रोगी खुश है, स्वस्थ है और उसके जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने बताया कि इस तरह के अत्याधुनिक पुनर्वास प्रोटोकॉल आज की दुनिया में चेहरे के ऐसे गंभीर दोषों से प्रभावित रोगियों के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं रखते हैं.'

यह भी पढ़ें : एयरफोर्स के ये लड़ाकू विमान आपको कर देंगे हैरान, इनकी अपनी ही है दास्तान

यह भी पढ़ें : मीडिया फ्रेंडली बनने के मकसद से अधिकारियों ने साझा कीं उपलब्धियां, वायु सेना स्टेशन बख्शी का तालाब में आयोजित हुआ कार्यक्रम

लखनऊ : राजधानी में सैन्य डॉक्टरों की टीम ने पोस्ट कोविड ब्लैक फंगस से ऊपरी जबड़े के गायब होने की दशा में 3डी प्रिंटेड मेक इन इंडिया इम्प्लांट प्रोस्थेसिस के साथ जबड़े को पुनर्स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. 37 वर्षीय एक महिला जिसे गोरखपुर से लखनऊ के मध्य कमान अस्पताल रेफर किया गया था. उसके जबड़े को पुनर्स्थापित करने में मध्य कमान अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने सफलता हासिल की है. मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह और द्वारिका प्रसाद ने यह जानकारी दी है.


उन्होंने बताया कि 'हमारे देश में कोरोना वायरस की विनाशकारी दूसरी लहर देखी गई और बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस या नाक और ऊपरी जबड़े के म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण सहित पोस्ट-कोविड केस सामने आए. इस जीवन-घातक फंगल संक्रमण का उपचार आक्रामक सर्जिकल क्षत-विक्षतीकरण है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर ऊपरी जबड़ा आंशिक या पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है. एक 37 वर्षीय महिला को पोस्ट कोविड-19 ब्लैक फंगस संक्रमण के प्रबंधन के लिए 15 जून 2021 को वायु सेना अस्पताल गोरखपुर से कमान अस्पताल लखनऊ में स्थानांतरित किया गया था. मरीज के ऊपरी जबड़े (मैक्सिला) के दाहिने आधे हिस्से को सर्जिकल रूप से हटाने और आक्रामक एंटीफंगल थेरेपी के लिए ईएनटी और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की विशेषज्ञ टीम ने उसका प्रबंधन किया था. इसके परिणामस्वरूप नाक गुहा और मौखिक गुहा के बीच संचार में सर्जिकल अवशिष्ट दोष हो गया और ऊपरी जबड़े के दाहिनी ओर के सभी दांत नष्ट हो गए. इससे महिला की वाणी, चबाने और सांस लेने में गंभीर परेशानी होने लगी. इस दौरान मरीज को एक पारंपरिक ऐक्रेलिक ऑबट्यूरेटर डेन्चर प्रदान किया गया, लेकिन मरीज संतुष्ट नहीं थी क्योंकि यह डेन्चर टिक नहीं पा रही थी और पकड़ की कमी के कारण ढीली पड़ गई थी.'


डॉक्टरों ने उसे वर्चुअल 3डी मॉडल और नवीनतम ब्लू स्काई सॉफ्टवेयर का उपयोग करके योजना के आधार पर 3डी प्रिंटेड टाइटेनियम इम्प्लांट के साथ अंतिम पुनर्वास के लिए लाया. मरीज के जबड़े के पुनर्वास सर्जरी बीती नौ अगस्त को ब्रिगेडियर मुक्तिकांत रथ के नेतृत्व में सीएमडीसी की सर्जिकल टीम ने की. अंतर अनुशासनात्मक दृष्टिकोण में कर्नल मुनीश कुमार, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल आजाद खान चौधरी, मैक्सिलोफेशियल सर्जन, लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव शेट्टी, प्रोस्थोडॉन्टिस्ट और सब मैथ्यू अनीश लैब तकनीशियनों की एक टीम शामिल थी.



पीआरओ शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि 'एक अत्याधुनिक रोगी विशिष्ट प्रत्यारोपण समर्थित ऑबट्यूरेटर डेन्चर प्रदान किया गया, जिसने रूप और कार्य को पूरी तरह से बहाल कर दिया है. रोगी खुश है, स्वस्थ है और उसके जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने बताया कि इस तरह के अत्याधुनिक पुनर्वास प्रोटोकॉल आज की दुनिया में चेहरे के ऐसे गंभीर दोषों से प्रभावित रोगियों के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं रखते हैं.'

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