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लखनऊ: बसों में भरकर भेजे गये मजदूर, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रवासी श्रमिकों को उनके जिले में भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है, लेकिन इन बसों में मजदूरों को ठूंस-ठूंसकर गया.

प्रवासी श्रमिकों को उनके जिले में भेजने के लिए बसों की व्यवस्था
प्रवासी श्रमिकों को उनके जिले में भेजने के लिए बसों की व्यवस्था
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Published : May 17, 2020, 9:02 PM IST

लखनऊ: कोरोना महामारी से बचाव को लेकर किए गए लॉकडॉउन के दौरान मजदूरों की बेबसी हर तरफ देखने को मिली. सैकड़ों मजदूर हजारों किलोमीटर दूर से सफर तय करते हुए पैदल ही चल रहे हैं.औरैया हादसा हुआ तो उत्तर प्रदेश की सरकार कुम्भकर्णी नींद से जाग उठी.

बसों में भरकर लाए और भेजे गए मजदूर

ईटीवी भारत की टीम जब हाईवे पर रियलिटी चेक के लिए निकली तो पता चलता है कि यूपी एसआरटीसी की बसों में मजदूरों को ठूंस-ठूंसकर भरकर लाया जा रहा है. मजदूर लाए तो गए, लेकिन इसमें सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार होते हुए नजर आई. यही नहीं ऐसे तमाम मजदूरों की बेबसी हमें देखने को मिली.

औरैया सड़क हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मजदूरों को एक जगह से दूसरी जगह लाने के सख्त निर्देश दिए गए. यह निर्देश भी दिए गए कि अब कोई मजदूर पैदल या ट्रकों में यात्रा नहीं करेगा. हादसे के बाद सरकार दबाव में आई और मजदूरों को लाए जाने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया. बसों में काफी संख्या में मजदूरों को भरने को लेकर जो लोग हैं. उनमें काफी डर भी देखने को मिला.

बिहार से आने वाले मजदूर रमेश ने बताया कि हम बिहार से आए हैं और हमें बस में लाया गया है. इस बस में काफी संख्या में मजदूर रहे हैं. वहीं नोएडा से आने वाले मजदूर सोनू ने बताया कि वह लोग नोएडा से आए हैं और अब उन्हें शकुंतला मिश्रा जो सेंटर बनाया गया है, वहां पर जांच के लिए भेजा जाएगा.

बस में मजदूरों को नोएडा या अन्य तमाम स्थानों से लाया गया और अभी ने इनके अपने जिलों में भेजने की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि मजदूरों को लाने और फिर भेजने में सोशल या फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया. बसों में काफी संख्या में मजदूर बैठाकर ले गए और उन्हें भेजा गया. ऐसे में उनमे कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा काफी बढ़ रहा है.

इसे भी पढ़ें:-राजीव हत्याकांड : दोषी मुरुगन व नलिनी ने हाईकोर्ट से मांगी वाट्सएप कॉल की इजाजत

लखनऊ: कोरोना महामारी से बचाव को लेकर किए गए लॉकडॉउन के दौरान मजदूरों की बेबसी हर तरफ देखने को मिली. सैकड़ों मजदूर हजारों किलोमीटर दूर से सफर तय करते हुए पैदल ही चल रहे हैं.औरैया हादसा हुआ तो उत्तर प्रदेश की सरकार कुम्भकर्णी नींद से जाग उठी.

बसों में भरकर लाए और भेजे गए मजदूर

ईटीवी भारत की टीम जब हाईवे पर रियलिटी चेक के लिए निकली तो पता चलता है कि यूपी एसआरटीसी की बसों में मजदूरों को ठूंस-ठूंसकर भरकर लाया जा रहा है. मजदूर लाए तो गए, लेकिन इसमें सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार होते हुए नजर आई. यही नहीं ऐसे तमाम मजदूरों की बेबसी हमें देखने को मिली.

औरैया सड़क हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मजदूरों को एक जगह से दूसरी जगह लाने के सख्त निर्देश दिए गए. यह निर्देश भी दिए गए कि अब कोई मजदूर पैदल या ट्रकों में यात्रा नहीं करेगा. हादसे के बाद सरकार दबाव में आई और मजदूरों को लाए जाने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया. बसों में काफी संख्या में मजदूरों को भरने को लेकर जो लोग हैं. उनमें काफी डर भी देखने को मिला.

बिहार से आने वाले मजदूर रमेश ने बताया कि हम बिहार से आए हैं और हमें बस में लाया गया है. इस बस में काफी संख्या में मजदूर रहे हैं. वहीं नोएडा से आने वाले मजदूर सोनू ने बताया कि वह लोग नोएडा से आए हैं और अब उन्हें शकुंतला मिश्रा जो सेंटर बनाया गया है, वहां पर जांच के लिए भेजा जाएगा.

बस में मजदूरों को नोएडा या अन्य तमाम स्थानों से लाया गया और अभी ने इनके अपने जिलों में भेजने की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि मजदूरों को लाने और फिर भेजने में सोशल या फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया. बसों में काफी संख्या में मजदूर बैठाकर ले गए और उन्हें भेजा गया. ऐसे में उनमे कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा काफी बढ़ रहा है.

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