लखनऊ: पूरे देश में चले लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने वतन वापस आना पड़ा. जिसके बाद सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की थी. जिसको लेकर सरकार ने जो कदम उठाए उसपर ईटीवी भारत से अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास मनोज कुमार सिंह ने बात की. उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन में पूरे देश से उत्तर प्रदेश में 34 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर आए और इन मजदूरों को अपने प्रदेश में रोजगार देना एक बड़ी चुनौती रही है. ऐसे में मनरेगा योजना इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने में वरदान साबित हुई.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत 26 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया गया था. जो कि लगभग 7000 करोड़ रुपए में कन्वर्ट हुआ था. अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जो टारगेट दिया गया था वह टारगेट समय से जल्दी ही पूरा हो गया. 35 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए. ऐसे में सात हजार करोड़ को बढ़ाकर इसका बजट दस हजार करोड़ किया गया. जब खर्च और बढ़ने लगा तब इसे 13000 करोड़ रूपया किया गया.
12 लाख मजदूरों ने किया मनरेगा में काम
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 12 लाख मजदूरों ने मनरेगा योजना के तहत काम किया. इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों ने सामुदायिक स्किल्ड बस सेमी स्किल्ड के साथ-साथ गरीब कल्याण अभियान में भी पंचायत स्तर पर बनने वाले सामुदायिक शौचालय और पंचायत घरों में काम किया है.
बताते चलें की पूरे देश में चले लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर जो दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए थे, वह अपने राज्य लौट आए और इन मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार दिया गया जिससे वह अपनी आजीविका चला सकें.