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पीजीआई में खुला मेडिटेक पार्क, केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी सेंटर

राजधानी लखनऊ को शनिवार को दो तोहफे मिले. पहला एसजीपीजीआई में मेडिटेक पार्क का उद्घाटन किया गया. दूसरा केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी सेंटर खुला. इन सेंटरों के खुलने से लोगों को काफी राहत मिलेगी.

पीजीआई में खुला मेडिटेक पार्क
पीजीआई में खुला मेडिटेक पार्क
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Published : Dec 19, 2021, 10:26 AM IST

लखनऊ: राजधानी को स्वास्थ्य क्षेत्र में दो बड़े तोहफे मिले. शनिवार को एसजीपीजीआई में जहां मेडिटेक पार्क का उद्घाटन किया गया, वहीं केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी सेंटर खुल गया. इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

एसजीपीजीआई में देश के पहले मेडिटेक सॉफ्टवेयर पार्क का उद्घाटन केंद्रीय आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है. यहां हर माह दो यूनिकॉर्न यानी कि आठ हजार करोड़ से ज्यादा लागत की कंपनियां खुल रही हैं. वहीं, यूपी में एक साल में दो हजार से ज्यादा स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं. पिछले साल कुल स्टार्टअप की संख्या ही 3200 थी. अब इस साल 5291 स्टार्टअप हो चुके हैं. कोविड के बाद से स्टार्टअप का फोकस हेल्थ पर है. कार्यक्रम में कानून मंत्री बृजेश पाठक और राज्यमंत्री स्वाति सिंह और पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान मौजूद रहे.

पीजीआई में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के नए केंद्र की शुरुआत की गई. यहां मेडिकल के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने में छात्रों को मदद मिलेगी. प्रमुख सचिव आईटी अरविंद कुमार ने कहा कि पीजीआई में पांच साल के लिए कुल 22.25 करोड़ केंद्र से दिए जाएंगे. दस करोड़ रुपये प्रदेश सरकार देगी. 15 जिलों में कुल 41 इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित कर दिए गए हैं. अब प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक इक्यूबेटर होगा. सॉफ्टवेयर पार्क के तहत 23 स्टार्टअप का चयन हो चुका है. इसमें पहले दिन 12 लोगों ने अपनी प्रेजेंटेशन दी.

यह भी पढ़ें: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 86वें दीक्षांत समारोह में होगा इन भवनों का लोकार्पण

केजीएयमू में एडवांस डायबिटिक रेटीनोपैथी सेंटर बनाया गया है. इसके तहत कई नई सुविधाएं शुरू की जा रही हैं. नेत्र रोग विभाग के डॉ. संदीप सक्सेना ने कहा कि अनियंत्रित डायबिटिक पीड़ित मरीजों को आंख संबंधी बीमारी का खतरा कई गुना अधिक रहता है. इसे डायबिटिक रेटीनोपैथी कहते हैं. इसमें आंख के पर्दे में सूजन आ जाती है. कई बार मरीज की आंख में रक्त का थक्का जम जाता है. इसका ऑपरेशन से सटीक इलाज होता है. अभी तक ऑपरेशन में आधे घंटे का वक्त लगता था. अब विभाग में हाई एंड मल्टी स्पॉट लेजर मशीन आ गई है. साथ ही स्टेट ऑफ आर्ट लेजर मशीन भी खरीदी गई है. लेजर मशीन से सटीक और सफल ऑपरेशन संभव हो गया है.

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लखनऊ: राजधानी को स्वास्थ्य क्षेत्र में दो बड़े तोहफे मिले. शनिवार को एसजीपीजीआई में जहां मेडिटेक पार्क का उद्घाटन किया गया, वहीं केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी सेंटर खुल गया. इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

एसजीपीजीआई में देश के पहले मेडिटेक सॉफ्टवेयर पार्क का उद्घाटन केंद्रीय आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है. यहां हर माह दो यूनिकॉर्न यानी कि आठ हजार करोड़ से ज्यादा लागत की कंपनियां खुल रही हैं. वहीं, यूपी में एक साल में दो हजार से ज्यादा स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं. पिछले साल कुल स्टार्टअप की संख्या ही 3200 थी. अब इस साल 5291 स्टार्टअप हो चुके हैं. कोविड के बाद से स्टार्टअप का फोकस हेल्थ पर है. कार्यक्रम में कानून मंत्री बृजेश पाठक और राज्यमंत्री स्वाति सिंह और पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान मौजूद रहे.

पीजीआई में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के नए केंद्र की शुरुआत की गई. यहां मेडिकल के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने में छात्रों को मदद मिलेगी. प्रमुख सचिव आईटी अरविंद कुमार ने कहा कि पीजीआई में पांच साल के लिए कुल 22.25 करोड़ केंद्र से दिए जाएंगे. दस करोड़ रुपये प्रदेश सरकार देगी. 15 जिलों में कुल 41 इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित कर दिए गए हैं. अब प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक इक्यूबेटर होगा. सॉफ्टवेयर पार्क के तहत 23 स्टार्टअप का चयन हो चुका है. इसमें पहले दिन 12 लोगों ने अपनी प्रेजेंटेशन दी.

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केजीएयमू में एडवांस डायबिटिक रेटीनोपैथी सेंटर बनाया गया है. इसके तहत कई नई सुविधाएं शुरू की जा रही हैं. नेत्र रोग विभाग के डॉ. संदीप सक्सेना ने कहा कि अनियंत्रित डायबिटिक पीड़ित मरीजों को आंख संबंधी बीमारी का खतरा कई गुना अधिक रहता है. इसे डायबिटिक रेटीनोपैथी कहते हैं. इसमें आंख के पर्दे में सूजन आ जाती है. कई बार मरीज की आंख में रक्त का थक्का जम जाता है. इसका ऑपरेशन से सटीक इलाज होता है. अभी तक ऑपरेशन में आधे घंटे का वक्त लगता था. अब विभाग में हाई एंड मल्टी स्पॉट लेजर मशीन आ गई है. साथ ही स्टेट ऑफ आर्ट लेजर मशीन भी खरीदी गई है. लेजर मशीन से सटीक और सफल ऑपरेशन संभव हो गया है.

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