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Lucknow News : जब तक डीएल के लिए एआरटीओ नहीं करेंगे दिव्यांग का फॉर्म वेरीफाई, तब तक सीएमओ नहीं जारी करेंगे प्रमाण पत्र - नई व्यवस्था शुरू

राजधानी स्थित आरटीओ कार्यालय में दिव्यांगों के ड्राइविंग लाइसेंस (Lucknow News) बनवाने के लिए नई व्यवस्था शुरू की जा रही है. किसी तरह का फर्जीवाड़ा न हो इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से एआरटीओ प्रशासन को लेटर जारी किया गया है.

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Published : Feb 10, 2023, 5:34 PM IST

लखनऊ : आरटीओ कार्यालय में दिव्यांग भी वाहन चलाने के लिए अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आते हैं. इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है. यह सर्टिफिकेट मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से बनता है, लेकिन सर्टिफिकेट बनने में फर्जीवाड़ा भी खूब होता है. यही वजह है कि अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से एआरटीओ (प्रशासन) लखनऊ को लेटर भेजा गया है कि अब उपयुक्तता प्रमाण पत्र किसी भी दिव्यांग को सीएमओ कार्यालय से तभी जारी होगा, जब एआरटीओ (प्रशासन) फॉर्म वेरीफाई करेंगे. संबंधित व्यक्ति के सिग्नेचर और फोटो को वेरिफाई करके भेजेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो सीएमओ कार्यालय सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगा.

दिव्यांग व्यक्ति को वाहन चलाने के लिए अगर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है तो पहले आरटीओ कार्यालय में आवेदन करने के बाद चीफ मेडिकल ऑफिसर कार्यालय से सर्टिफिकेट बनवाना होता है. लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर आरटीओ कार्यालय की तरफ से सीएमओ को एक पत्र भेजा जाता है, जिस पर जानकारी मांगी जाती है कि जो दिव्यांग व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहता है उसकी दृष्टि सही है या नहीं. क्या उसकी दाईं और बाईं आंख इतनी स्वस्थ है कि हैंडल या फिर स्टीयरिंग पर मजबूत पकड़ बनी रह सके. सीएमओ कार्यालय की तरफ से यह जानकारी दिए जाने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. अभी तक दिव्यांग व्यक्ति की फोटो या हस्ताक्षर के बिना ही व्यक्ति को सीएमओ कार्यालय भेज दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब जिस व्यक्ति को एआरटीओ प्रशासन सीएमओ कार्यालय भेजेंगे उसके फार्म पर हस्ताक्षर और फोटो उनकी तरफ से वेरीफाई होगी. सीएमओ कार्यालय का तर्क है कि इससे फर्जी सर्टिफिकेट जारी नहीं हो सकेगा. सीएमओ कार्यालय को यह जानकारी रहेगी कि यह व्यक्ति आरटीओ कार्यालय की तरफ से ही अधिकृत तौर पर भेजा गया है.


बता दें कि दिव्यांगों की श्रेणी होती है. अलग-अलग श्रेणियों में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं. सीएमओ कार्यालय को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऐसे दिव्यांग व्यक्तियों की जांच की जाती है जो वाहन चलाने लायक हैं या नहीं. जिनकी दृष्टि इतनी सही है कि वे वाहन चला सकते हैं या जिनकी दिव्यांगता का स्तर इतना है कि वे वाहन चलाने में सक्षम है, उन्हीं के लिए हामी भरी जाती है.

लखनऊ के एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि 'मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से आरटीओ को एक पत्र भेजा गया है. जिसमें उन्होंने अनुरोध किया है कि दिव्यांग का लाइसेंस बनने की प्रक्रिया के तहत उपयुक्तता प्रमाण पत्र के लिए आवेदक की फोटो और हस्ताक्षर वेरीफाई किया जाए. इस तरह की व्यवस्था आरटीओ कार्यालय की तरफ से शुरू कर दी गई है. यह इसलिए किया जा रहा है कि जिससे किसी ऐसे दिव्यांग का लाइसेंस न बन जाए जो वाहन चलाने लायक ही न हो.'

यह भी पढ़ें : Road Accident in Lucknow : शादी के दो दिन पहले हादसे में युवक की मौत, घर में कोहराम

लखनऊ : आरटीओ कार्यालय में दिव्यांग भी वाहन चलाने के लिए अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आते हैं. इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है. यह सर्टिफिकेट मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से बनता है, लेकिन सर्टिफिकेट बनने में फर्जीवाड़ा भी खूब होता है. यही वजह है कि अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से एआरटीओ (प्रशासन) लखनऊ को लेटर भेजा गया है कि अब उपयुक्तता प्रमाण पत्र किसी भी दिव्यांग को सीएमओ कार्यालय से तभी जारी होगा, जब एआरटीओ (प्रशासन) फॉर्म वेरीफाई करेंगे. संबंधित व्यक्ति के सिग्नेचर और फोटो को वेरिफाई करके भेजेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो सीएमओ कार्यालय सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगा.

दिव्यांग व्यक्ति को वाहन चलाने के लिए अगर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है तो पहले आरटीओ कार्यालय में आवेदन करने के बाद चीफ मेडिकल ऑफिसर कार्यालय से सर्टिफिकेट बनवाना होता है. लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर आरटीओ कार्यालय की तरफ से सीएमओ को एक पत्र भेजा जाता है, जिस पर जानकारी मांगी जाती है कि जो दिव्यांग व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहता है उसकी दृष्टि सही है या नहीं. क्या उसकी दाईं और बाईं आंख इतनी स्वस्थ है कि हैंडल या फिर स्टीयरिंग पर मजबूत पकड़ बनी रह सके. सीएमओ कार्यालय की तरफ से यह जानकारी दिए जाने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. अभी तक दिव्यांग व्यक्ति की फोटो या हस्ताक्षर के बिना ही व्यक्ति को सीएमओ कार्यालय भेज दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब जिस व्यक्ति को एआरटीओ प्रशासन सीएमओ कार्यालय भेजेंगे उसके फार्म पर हस्ताक्षर और फोटो उनकी तरफ से वेरीफाई होगी. सीएमओ कार्यालय का तर्क है कि इससे फर्जी सर्टिफिकेट जारी नहीं हो सकेगा. सीएमओ कार्यालय को यह जानकारी रहेगी कि यह व्यक्ति आरटीओ कार्यालय की तरफ से ही अधिकृत तौर पर भेजा गया है.


बता दें कि दिव्यांगों की श्रेणी होती है. अलग-अलग श्रेणियों में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं. सीएमओ कार्यालय को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऐसे दिव्यांग व्यक्तियों की जांच की जाती है जो वाहन चलाने लायक हैं या नहीं. जिनकी दृष्टि इतनी सही है कि वे वाहन चला सकते हैं या जिनकी दिव्यांगता का स्तर इतना है कि वे वाहन चलाने में सक्षम है, उन्हीं के लिए हामी भरी जाती है.

लखनऊ के एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि 'मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से आरटीओ को एक पत्र भेजा गया है. जिसमें उन्होंने अनुरोध किया है कि दिव्यांग का लाइसेंस बनने की प्रक्रिया के तहत उपयुक्तता प्रमाण पत्र के लिए आवेदक की फोटो और हस्ताक्षर वेरीफाई किया जाए. इस तरह की व्यवस्था आरटीओ कार्यालय की तरफ से शुरू कर दी गई है. यह इसलिए किया जा रहा है कि जिससे किसी ऐसे दिव्यांग का लाइसेंस न बन जाए जो वाहन चलाने लायक ही न हो.'

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