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62 साल पूरा कर चुके डॉक्टरों को जबरन देनी पड़ रहीं सेवाएं, चिकित्सकों ने कही ऐसी बात - यूपी में डाॅक्टर

उत्तर प्रदेश के तमाम सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को कमी है. इसके चलते सरकार को चिकित्सकों की आयु सीमा बढ़ाकर जबरन काम लेना पड़ रहा है. ऐसे में तमाम शिक्षकों के सामने कई तरह की समस्याएं आ रही हैं. देखें विस्तृत रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 24, 2023, 4:35 PM IST

लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में 65 साल की आयु तक नौकरी न करने की इच्छा रखने वाले 62 साल पूरा कर चुके दर्जन भर डॉक्टरों से जबरन सेवाएं ली जा रही हैं. जबरन इसलिए, क्योंकि विभिन्न जिलों में सेवारत इन डॉक्टरों द्वारा शासनादेश में मिली छूट के आधार पर स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (वीआरएस) का आवेदन किए एक माह बीत चुका है. 30 अक्टूबर को ये डॉक्टर सेवानिवृत हो चुके है.

यूपी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी.
यूपी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी.

शासन से निर्णय का इंतजार : इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तर प्रदेश डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि 62 साल की आयु पूरी करने वाले 20 चिकित्सकों के पत्र गत माह प्राप्त हुए थे. इनमें से दो डॉक्टर 65 साल तक आयु तक सेवाएं देना चाहते थे. अन्य 18 ने वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन किया था. इन सभी आवेदन को शासन में भेज दिया गया था. शासन से निर्णय आने के बाद ही डॉक्टरों को सूचित किया जाएगा. जब तक शासन का आदेश नहीं आता है तब तक सभी चिकित्सक पुराने अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं.

यूपी में सेवानिवृत्ति के बाद डाॅक्टरों से ड्यूटी.
यूपी में सेवानिवृत्ति के बाद डाॅक्टरों से ड्यूटी.

वीआरएस नहीं हुआ स्वीकृत : नाम नहीं बताने की शर्त पर राजधानी के एक जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने ईटीवी भारत (ETV Bharat) को बताया कि हर चीज की एक सीमित उम्र होती है. एक उम्र के बाद शरीर जवाब देने लगता है और फिर काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है. मैं ऐसा नहीं कहता कि यह हर किसी के साथ होता है, लेकिन मुझे मेरा पता है. 62 साल की उम्र पूरी हो चुकी है. बावजूद इसके अस्पतालों में सेवा देनी पड़ रही है. वीआरएस के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी स्वीकृत नहीं हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का भी कहना उचित है कि विशेषज्ञों की कमी अस्पतालों में बरकरार है. जिसके तहत 65 साल उम्र बढ़ा दी गई है, लेकिन बहुत से ऐसे डॉक्टर्स हैं जो अभी इस उम्र में सेवा देने के लिए सक्षम नहीं हैं. ओपीडी में 2 घंटे बैठने या अधिक लोगों से बातचीत करने के बाद दिक्कतें होने लगती है. शरीर में दर्द होने लगता है. बहुत सारी समस्याएं होती हैं. इन चीजों को भी स्वास्थ्य विभाग को समझना चाहिए.

यह भी पढ़ें : पीजी में प्रवेश लेने के लिए नीट पीजी में शामिल एमबीबीएस डॉक्टर अधिकृत, जानिए क्या होगा आधार

लखनऊ: डाॅक्टर ने पेश की मानवता की मिशाल, बिछड़े को परिवारजनों से मिलाया

लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में 65 साल की आयु तक नौकरी न करने की इच्छा रखने वाले 62 साल पूरा कर चुके दर्जन भर डॉक्टरों से जबरन सेवाएं ली जा रही हैं. जबरन इसलिए, क्योंकि विभिन्न जिलों में सेवारत इन डॉक्टरों द्वारा शासनादेश में मिली छूट के आधार पर स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (वीआरएस) का आवेदन किए एक माह बीत चुका है. 30 अक्टूबर को ये डॉक्टर सेवानिवृत हो चुके है.

यूपी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी.
यूपी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी.

शासन से निर्णय का इंतजार : इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तर प्रदेश डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि 62 साल की आयु पूरी करने वाले 20 चिकित्सकों के पत्र गत माह प्राप्त हुए थे. इनमें से दो डॉक्टर 65 साल तक आयु तक सेवाएं देना चाहते थे. अन्य 18 ने वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन किया था. इन सभी आवेदन को शासन में भेज दिया गया था. शासन से निर्णय आने के बाद ही डॉक्टरों को सूचित किया जाएगा. जब तक शासन का आदेश नहीं आता है तब तक सभी चिकित्सक पुराने अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं.

यूपी में सेवानिवृत्ति के बाद डाॅक्टरों से ड्यूटी.
यूपी में सेवानिवृत्ति के बाद डाॅक्टरों से ड्यूटी.

वीआरएस नहीं हुआ स्वीकृत : नाम नहीं बताने की शर्त पर राजधानी के एक जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने ईटीवी भारत (ETV Bharat) को बताया कि हर चीज की एक सीमित उम्र होती है. एक उम्र के बाद शरीर जवाब देने लगता है और फिर काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है. मैं ऐसा नहीं कहता कि यह हर किसी के साथ होता है, लेकिन मुझे मेरा पता है. 62 साल की उम्र पूरी हो चुकी है. बावजूद इसके अस्पतालों में सेवा देनी पड़ रही है. वीआरएस के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी स्वीकृत नहीं हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का भी कहना उचित है कि विशेषज्ञों की कमी अस्पतालों में बरकरार है. जिसके तहत 65 साल उम्र बढ़ा दी गई है, लेकिन बहुत से ऐसे डॉक्टर्स हैं जो अभी इस उम्र में सेवा देने के लिए सक्षम नहीं हैं. ओपीडी में 2 घंटे बैठने या अधिक लोगों से बातचीत करने के बाद दिक्कतें होने लगती है. शरीर में दर्द होने लगता है. बहुत सारी समस्याएं होती हैं. इन चीजों को भी स्वास्थ्य विभाग को समझना चाहिए.

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