लखनऊ: राजकीय हुसैनाबाद इंटर कॉलेज में उर्दू विभाग द्वारा गोशेय फरीक का उद्घाटन और स्वर्गीय मौलाना कल्बे सादिक पर हकीमुल उम्मत मैग्नजीन का लोकार्पण महापौर संयुक्ता भाटिया और मौलाना कल्बे जव्वाद ने किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि "इंसान की जिंदगी पर उसके नाम का बड़ा असर होता है. उर्दू के 2 शब्द हैं क्लव और सादिक. क्लव का मतलब होता है दिल और सादिक का मतलब होता है भरोसेमंद. इस तरह से कल्बे सादिक का अर्थ हुआ दिल से भरोसा करने योग्य. इन दो लफ्जों का मौलाना कल्बे सादिक के व्यक्तित्व पर पूरा असर था."
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि "मौलाना कल्बे सादिक भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के मुसलमानों के साथ सभी धर्मों के लोगो के के चहेते थे. वह एस्ट्रोनॉमी के जरिए चांद निकलने से पहले ही चांद निकलने की तिथि की घोषणा कर देते थे. उनका मानना है कि करीबी, कट्टरता, संकीर्णता, अंधविश्वास, धर्म के प्रति गलतफहमियां, रूढ़ियां, कुरीतियां, नफरत और साम्प्रदायिकता की जड़ अज्ञानता से ही होती है. डॉ. कल्बे सादिक के ऐसे ख्यालों की तकरीरें और मजलिसें पूरी दुनियां में पसंद की जाती रही हैं.
हिंदू मुस्लिम एकता के ब्रांड एंबेसडर थे कल्बे सादिक
महापौर ने कहा कि "वह हिंदू-मुस्लिम एकता के ब्रांड अम्बेसडर के रूप में जाने जाते थे. सादिक साहेब ने टेक्निकल कोर्सेज के लिए इंडस्ट्रियल स्कूल बनाया. लखनऊ के काजमैन में चेरिटेबल अस्पताल शुरू किया. अमेरिका सहित दुनिया के 12 देशों में इनकी मजलिसें और तकरीरें पसंद की जाती हैं. उन्होंने गुफरान माब इमामबाड़े की खूबसूरत बिल्डिंग का निर्माण कर उसमें रोशनी हॉस्टल बनवाया. बेवाओ, यतीमों, बीमारों की मदद के साथ उनके इदारों (संस्थानों) में बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष योगदान देने का प्रावधान है. मौलाना कल्बे सादिक साहब शिया और सुन्नी दोनों के चहेते थे. लखनऊ ही नहीं वह भारत के कई शहरों में शिया सुन्नी के बीच होने वाले विवाद को वह सुलझाते रहे." लगभग 2 माह पूर्व मुस्लिम धर्मगुरु रहे कल्बे सादिक का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने उनकी अंतिम यात्रा में शिरकत की थी.