लखनऊ: बसपा (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (mayawati) उत्तर प्रदेश ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ और जिम्मेदार पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. उन्होंने, पार्टी संगठन की सभी स्तर की कमेटियों और खासकर पोलिंग बूथ (Poling Booth) की कमेटियों के कार्यकलापों व उनकी तैयारियों की गहन समीक्षा की. उन्होंने बचे हुए संगठन के कामों को युद्ध स्तर पर पूरा करने के कड़े निर्देश दिए. मायावती ने इस बैठक में सभी को हिदायत दी कि, पूरी कमेटी के गठन और उन्हें कैडर बैठकों के जरिए उनकी जिम्मेदारी जरूर बताई जाए. साथ ही उनके कार्याें की लगातार समीक्षा भी होती रहनी बहुत जरूरी है, जिसकी प्रगति रिपोर्ट से उन्हें भी अपडेट रखा जाए.
बैठक में उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा (UP assembly elections) के मद्देनजर जिस प्रकार से कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) बीएसपी मूवमेन्ट और उसके नेतृत्व के खिलाफ हथकण्डे अपना रहे हैं. उनका सामना करने के लिए पहले से ज्यादा सजग रहना जरूरी है. ये विरोधी पार्टियां बीएसपी के बढ़ते जनाधार और यूपी में एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरने से काफी घबराई हुई हैं. विशेषकर बीएसपी द्वारा संचालित प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान, सुरक्षा और तरक्की, विचार संगोष्ठी को प्रदेश में मिल रही सफलता और अति-उत्साहपूर्ण भागीदारी ने इन पार्टियों की नींद भी उड़ा दी है. भाजपा को तो अब अपनी सत्ता यूपी से जाती हुई दिख रही है, जिसकी खलबली में राज्य सरकार ऐसे फैसले ले रही है, जिसका जनहित से कोई वास्ता नही है. भाजपा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए जनता के खिलाफ फैसले ले रही है.
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किसान आन्दोलन (Farmer movement) पर मायावती ने कहा कि इन किसानों की मुख्यतः तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग के प्रति केन्द्र सरकार को अपना अड़ियल रवैया त्याग कर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. इन कानूनों को किसानों के हित और मान-सम्मान के तुरन्त वापस लेना चाहिए. माया ने कहा केन्द्र ने नए कृषि कानून लाकर बहुत बड़ी गलती की है. केन्द्र सरकार के अनुचित और अड़ियल रवैये के कारण ही बीजेपी शासित अन्य राज्य की सरकारें भी किसानों को अपना प्रतिरोधी मानकर दोहरा व्यवहार कर रही हैं. इस मामले में खासकर हरियाणा सरकार का रवैया लगातार घोर किसान-विरोधी बना हुआ है. वहीं, अब आन्दोलित किसानों के सिर फोड़ने के सरकारी आदेशों को भी सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जो अति-निन्दनीय है. भाजपा की इसी प्रकार की जनविरोधी और किसान विरोधी कार्यशैली से यूपी सहित अन्य राज्यों में जनता बेहाल है.
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पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Former Chief Minister Mayawati) ने कहा कि बीएसपी आन्दोलित किसानों के साथ उनकी जायज मांगों के समर्थन में हमेशा खड़ी रही है. इसीलिए संसद के भीतर और संसद के बाहर भी किसानों के पक्ष में अपनी आवाज लगातार बुलंद करती रही है. उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से भी कहा कि बीएसपी के कड़े अनुशासन के तहत किसानों के आन्दोलन का समर्थन जारी रखें. आन्दोलित किसानों ने अब यूपी में भी अपनी सक्रियता को और अधिक बढ़ाने की घोषणा की है, जिसके फलस्वरूप यूपी की भाजपा सरकार से भी आग्रह है कि वह हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की तरह किसानों के खिलाफ बर्बर व्यवहार न करे तो यह उचित होगा.
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