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राज्यसभा चुनाव: जानिए बसपा के 7 विधायक क्यों बने बागी

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Published : Oct 28, 2020, 10:28 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 11:05 PM IST

यूपी में राज्यसभा चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो गई है. बसपा प्रत्याशी के प्रस्तावकों ने अपना नाम वापस ले लिया है. वहीं बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से बगावत भी कर दी है. इतना ही नहीं राज्यसभा के लिए सपा समर्थित प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन भी रद्द हो गया है.

बसपा के बागी विधायक
बसपा के बागी विधायक

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बुधवार का दिन बहुजन समाज पार्टी ( बीएसपी) के लिए मुसीबत भरा रहा. पार्टी के सात विधायकों ने बीएसपी के घोषित राज्यसभा प्रत्याशी रामजी गौतम का प्रस्तावक बनने से इनकार कर दिया. जबकि इन विधायकों ने 26 अक्टूबर से पहले विधानसभा सचिवालय में अपने को प्रस्तावक के तौर पर पेश किया था. मंगलवार को इन विधायकों ने रिटर्निंग ऑफिसर को एप्लिकेशन देकर खुद को प्रस्तावक के तौर से मान्य नहीं करने का आग्रह किया है.

श्रावस्ती की भिनगा सीट से बीएसपी विधायक मोहम्मद असलम अली ने भी खुद को प्रस्तावक के तौर पर पीछे कर लिया है. ईटीवी भारत से फ़ोन पर बातचीत में स्वीकार कि नामांकन के दिन प्रस्तावकों में सभी 7 विधायक शामिल थे. उन्होंने बीएसपी कैंडिडेट के भारतीय जनता पार्टी के परोक्ष समर्थन की खबर के बाद प्रस्तावक के तौर पर नाम वापस लेने का फैसला किया.

हमें जब यह पता चला कि बीएसपी के उम्मीदवार रामजी गौतम को भारतीय जनता पार्टी समर्थन कर रही है तो हमने प्रस्तावक से अपना नाम वापस करने का फैसला किया. हम भाजपा विरोधी हैं, अगर हमारे दल का उम्मीदवार भाजपा के सहयोग से राज्यसभा जाता तो हमारी अपने क्षेत्र में स्थिति खराब होती. हम क्षेत्र की जनता को कैसे मुंह दिखाते. हम कार्रवाई के लिए तैयार हैं. प्रस्तावक के तौर पर नाम वापसी का फैसला सोच-समझकर किया है. हमें किसी बात का कोई डर नहीं है.

- मोहम्मद असलम अली, बागी बीएसपी विधायक

बीएसपी कैंडिडेट का नामांकन रद होना आसान नहीं

विधायकों के बागी होने की जानकारी होने पर बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्र सहित तमाम बड़े नेता विधानसभा पहुंचे और विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों से बातचीत की. बीएसपी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र ने दावा किया कि नियमों के अनुसार नामांकन पत्र खारिज नहीं किया जा सकता है. बीएसपी कैंडिडेट रामजी गौतम के नामांकन पत्र में बीएसपी विधायकों ने हस्ताक्षर किए हैं. वह नामांकन के समय उपस्थित थे. यह संवैधानिक रूप से दलीय व्यवस्था के अंतर्गत आता है.

बीएसपी के बागी विधायक

1. हाकिम लाल बिंद- हंडिया (प्रयागराज)

हाकिम लाल बिंद 2017 में बीएसपी के टिकट पर पहली विधायक बने. 2010 में ग्राम प्रधान बने . 2014 में बीएसपी के लिए हंडिया विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बने.उनकी शिक्षा ग्रैजुएशन तक की है. वह बिजनेसमैन भी रहे हैं

2. मुज्तबा सिद्दीकी- प्रतापपुर (प्रयागराज)

प्रतापपुर विधानसभा से विधायक हैं. इसके पहले 2007 से 2012 तक सोरांव विधानसभा से बीएसपी के विधायक रहे.

3. असलम अली - धौलाना (हापुड़)

उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ की धौलाना विधानसभा सीट से 2017 में विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमेश चंद तोमर को हराया था.

4. असलम राइनी - भिनगा (श्रावस्ती)

2002 में BSP से चुनाव लड़े मगर 132 वोट से हार गए. 2007 और 2012 में भी कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े. 2017 में उन्होंने बीजेपी के प्रत्य़ाशी अलकक्षेन्द्र कांत सिंह को हराया.

5. सुषमा पटेल- मुंगरा बादशाहपुर (जौनपुर)

सुषमा पटेल 2017 में पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ी और तीन बार की विधायक रहीं सीमा द्विवेदी को हराया. सुषमा पटेल के पति रंजीत सिंह पटेल पीसीएस हैं. उनके ससुर भी मड़ियाहूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं

6. हर गोविंद भार्गव- सिधौली (सीतापुर)

सिधौली सुरक्षित सीट से बीएसपी विधायक हरगोविंद भार्गव ने वर्ष 2017 में सपा के मनीष रावत के हराया था. 2012 के चुनाव में हरगोविंद सपा प्रत्याशी मनीष रावत के हाथों पराजित हो गए थे.

7. वंदना सिंह- सगड़ी (आजमगढ़)

वंदना सिंह 2017 में पहली बार विधायक चुनी गई हैं. जुलाई 2013 में वंदना सिंह के पति सर्वेश सिंह सीपू की हत्या हुई थी. इसके बाद वंदना सिंह ने भी राजनीति में कदम रखा.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बुधवार का दिन बहुजन समाज पार्टी ( बीएसपी) के लिए मुसीबत भरा रहा. पार्टी के सात विधायकों ने बीएसपी के घोषित राज्यसभा प्रत्याशी रामजी गौतम का प्रस्तावक बनने से इनकार कर दिया. जबकि इन विधायकों ने 26 अक्टूबर से पहले विधानसभा सचिवालय में अपने को प्रस्तावक के तौर पर पेश किया था. मंगलवार को इन विधायकों ने रिटर्निंग ऑफिसर को एप्लिकेशन देकर खुद को प्रस्तावक के तौर से मान्य नहीं करने का आग्रह किया है.

श्रावस्ती की भिनगा सीट से बीएसपी विधायक मोहम्मद असलम अली ने भी खुद को प्रस्तावक के तौर पर पीछे कर लिया है. ईटीवी भारत से फ़ोन पर बातचीत में स्वीकार कि नामांकन के दिन प्रस्तावकों में सभी 7 विधायक शामिल थे. उन्होंने बीएसपी कैंडिडेट के भारतीय जनता पार्टी के परोक्ष समर्थन की खबर के बाद प्रस्तावक के तौर पर नाम वापस लेने का फैसला किया.

हमें जब यह पता चला कि बीएसपी के उम्मीदवार रामजी गौतम को भारतीय जनता पार्टी समर्थन कर रही है तो हमने प्रस्तावक से अपना नाम वापस करने का फैसला किया. हम भाजपा विरोधी हैं, अगर हमारे दल का उम्मीदवार भाजपा के सहयोग से राज्यसभा जाता तो हमारी अपने क्षेत्र में स्थिति खराब होती. हम क्षेत्र की जनता को कैसे मुंह दिखाते. हम कार्रवाई के लिए तैयार हैं. प्रस्तावक के तौर पर नाम वापसी का फैसला सोच-समझकर किया है. हमें किसी बात का कोई डर नहीं है.

- मोहम्मद असलम अली, बागी बीएसपी विधायक

बीएसपी कैंडिडेट का नामांकन रद होना आसान नहीं

विधायकों के बागी होने की जानकारी होने पर बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्र सहित तमाम बड़े नेता विधानसभा पहुंचे और विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों से बातचीत की. बीएसपी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र ने दावा किया कि नियमों के अनुसार नामांकन पत्र खारिज नहीं किया जा सकता है. बीएसपी कैंडिडेट रामजी गौतम के नामांकन पत्र में बीएसपी विधायकों ने हस्ताक्षर किए हैं. वह नामांकन के समय उपस्थित थे. यह संवैधानिक रूप से दलीय व्यवस्था के अंतर्गत आता है.

बीएसपी के बागी विधायक

1. हाकिम लाल बिंद- हंडिया (प्रयागराज)

हाकिम लाल बिंद 2017 में बीएसपी के टिकट पर पहली विधायक बने. 2010 में ग्राम प्रधान बने . 2014 में बीएसपी के लिए हंडिया विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बने.उनकी शिक्षा ग्रैजुएशन तक की है. वह बिजनेसमैन भी रहे हैं

2. मुज्तबा सिद्दीकी- प्रतापपुर (प्रयागराज)

प्रतापपुर विधानसभा से विधायक हैं. इसके पहले 2007 से 2012 तक सोरांव विधानसभा से बीएसपी के विधायक रहे.

3. असलम अली - धौलाना (हापुड़)

उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ की धौलाना विधानसभा सीट से 2017 में विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमेश चंद तोमर को हराया था.

4. असलम राइनी - भिनगा (श्रावस्ती)

2002 में BSP से चुनाव लड़े मगर 132 वोट से हार गए. 2007 और 2012 में भी कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े. 2017 में उन्होंने बीजेपी के प्रत्य़ाशी अलकक्षेन्द्र कांत सिंह को हराया.

5. सुषमा पटेल- मुंगरा बादशाहपुर (जौनपुर)

सुषमा पटेल 2017 में पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ी और तीन बार की विधायक रहीं सीमा द्विवेदी को हराया. सुषमा पटेल के पति रंजीत सिंह पटेल पीसीएस हैं. उनके ससुर भी मड़ियाहूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं

6. हर गोविंद भार्गव- सिधौली (सीतापुर)

सिधौली सुरक्षित सीट से बीएसपी विधायक हरगोविंद भार्गव ने वर्ष 2017 में सपा के मनीष रावत के हराया था. 2012 के चुनाव में हरगोविंद सपा प्रत्याशी मनीष रावत के हाथों पराजित हो गए थे.

7. वंदना सिंह- सगड़ी (आजमगढ़)

वंदना सिंह 2017 में पहली बार विधायक चुनी गई हैं. जुलाई 2013 में वंदना सिंह के पति सर्वेश सिंह सीपू की हत्या हुई थी. इसके बाद वंदना सिंह ने भी राजनीति में कदम रखा.

Last Updated : Oct 28, 2020, 11:05 PM IST
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