लखनऊः उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसको लेकर सभी दलों की धड़कने बढ़ी हुई हैं. ऐसे में प्रदेश में अपना अस्तित्व खो चुकी मायावती को एक संजीवनी की जरूरत है. हालांकि एसपी सुप्रीमो अखिलेश ने लोकसभा चुनाव 2019 में उन्हें ये संजीवनी दे दी है. लेकिन इसके बावजूद भी बीएसपी सुप्रीमो की धड़कने बढ़ी हुई हैं, तभी तो उन्होंने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पत्र लिखकर चुनाव से 6 महीने पहले मीडिया के सर्वे प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की है.
राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने चुनाव आयोग को खत लिखा है. इसमें सितम्बर में एक चैनल द्वारा सर्वे और उसके प्रसारण का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा के कुछ ही महीने रह गए हैं. वहीं सर्वे में सत्तारूढ़ पार्टी का परिणाम और वोट फीसदी हाई दिखाया गया. वहीं बसपा की सीटें और वोट फीसदी न्यूनतम करके दिखाई गईं. अगर हकीकत की बात करें, तो सत्तारूढ़ पार्टी से जनता नाराज है. कोविड काल में रहीं अव्यवस्था समेत कई ऐसी वजहे हैं, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी का ग्राफ गिरा है. वहीं प्रायोजित और मनगढ़ंत सर्वे से बीएसपी की क्षमता को कम आंकलन कर एक तरफ जहां कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने की कोशिश की गई. वहीं वोटरों को भी प्रभावित किया गया. ऐसे में विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का, सभी में 6 महीने पहले प्री-पोल सर्वे पर पाबंदी लगाई जाए.
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यथिति पर आयोजित रैली में सर्वे पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग को किसी भी राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले होने वाले प्री-पोल सर्वे पर पूर्णत: रोक लगानी चाहिए. ऐसा करके सत्तारूढ़ दल के पक्ष में माहौल बनाया जाता है. उन्होंने दावा किया था कि इस संबंध में वह आयोग को पत्र भी लिखेंगी.