लखनऊ : देश में पौराणिक कथाओं पर बने धारावाहिक महाभारत’ का अपना एक अलग स्थान है. आज जिस तरह का माहौल है उसे देखते हुए यह जानना अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे उस धारावाही के डायलॉग मशहूर साहित्यकार डाॅ. राही मासूम रजा ने लिखे थे. कालजयी धारावाहिक 'महाभारत' के डायलॉग लेखन से लेकर 'आधा गांव', 'टोपी शुक्ला' और 'नीम का पेड़' जैसी शानदार कृतियां लिखने वाले प्रख्यात लेखक और शायर डॉ. राही मासूम रजा की कलम ने दुनिया को अपना कायल बनाया. वे लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब के बड़े पैरोकार थे. उनकी रचनाओं में बेबाकी के साथ एक समानता का संदेश था. एक सितंबर को उनकी जयंती के दिन वरिष्ठ साहित्यकार, लेखकों ने उन्हें याद किया.
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कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया कि राही मासूम रजा को भक्तिकाल से जोड़ना चाहेंगे, क्योंकि उन्होंने कभी धर्म को किसी दायरे में नहीं बाधा. डाॅ. राही ने रसखान और रहीम की परिपाटी को आगे बढ़ाया. मुस्लिम कवियों ने भगवान कृष्ण को लेकर जो रचनाएं लिखी हैं. वहां से शुरू होकर जो सूफियाना परंपराएं हैं, वे रजा की पंक्तियों में भी जिंदा रहीं. डाॅ. राही ने महाभारत के जो संवाद लिखे, वे उनकी उदात्त भावनाओं को जाहिर करते हैं. महाभारत के संवाद किसी मुस्लिम ने लिखे हैं, इस पर विश्वास करना अक्सर मुश्किल होता है. महाभारत के संवादों में भारत की गरिमा, गौरव और भारतीय परिवारों के अंतद्वंद्व का मूल और वास्तविक अक्स मिलता है.
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