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Lucknow Nagar Nigam के कमर्चारियों की मनमानी से पेंडिंग हैं दाखिल खारिज के हजारों आवेदन, जानें कैसे होता है Mutation process - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशों का असर लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों पर नहीं पड़ रहा है. नामांतरण (Mutation) के मामलों के निस्तारण में सीएम के आदेश का संज्ञान अधिकारी नहीं ले रहे हैं. मौजूदा वक्त सैकड़ों की संख्या में आवेदन पेंडिग हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2023, 1:43 PM IST

लखनऊ : नगर निगम प्रशासन के स्तर पर लोगों को अपनी संपत्तियों का दाखिल खारिज करने में मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. कर्मचारियों की मनमानी से नगर निगम में हजारों की संख्या में दाखिल खारिज के आवेदन लंबित हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों नामांतरण जैसे प्रकरण जल्द से जल्द निस्तारण के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद लखनऊ नगर निगम में सभी जोन के स्तर पर बड़ी संख्या में दाखिल खारिज के आवेदन लंबित हैं.

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह.
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह.


दरअसल नगर निगम के राजधानी के अलग अलग जोन कार्यालयों के माध्यम से नामांतरण किया जाता है. पिछले करीब छह महीने की बात करें तो हजारों की संख्या में म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. जोन स्तर पर नामांतरण के आवेदनों पर निर्णय न लिए जाने से लोग नगर निगम में दौड़ लगाने को मजबूर हैं. जोनल कार्यालयों में एक अप्रैल से 15 अक्टूबर 2023 तक कुल 4 हजार 928 लोगों ने नामांतरण यानी दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया था. इसमें से अभी तक करीब दो हजार लोगों के नामांतरण की प्रक्रिया ही पूरी हो पाई है.


बताया जाता है कि नगर निगम में मकानों के हाउस टैक्स निर्धारण के साथ ही नामांतरण दाखिल खारिज कराने में कमर्चारियों की मनमानी और लूट चल रही है. राजधानी में मकान दुकान खरीदने और वसीयत के आधार पर लोगों को नगर निगम में नामांतरण यानी दाखिल खारिज कराना पड़ता है. इसके लिए लोग आवेदन करते हैं, लेकिन नगर निगम के कमर्चारी मनमानी करते हैं. नामांतरण की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद लापरवाही जारी है. नगर निगम की मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अम्बी बिष्ट ने नामांतरण में लेटलतीफी पर सभी जोनल अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि नामांतरण का प्रकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में है. इसमें लापरवाही ठीक नहीं है. यह काम जनहित गारंटी योजना में शामिल है. नामांतरण की शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. ऐसे में नामांतरण के कामकाज को बिना देरी के निस्तारण कराया जाए.

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नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह.
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह.


दरअसल नगर निगम के राजधानी के अलग अलग जोन कार्यालयों के माध्यम से नामांतरण किया जाता है. पिछले करीब छह महीने की बात करें तो हजारों की संख्या में म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. जोन स्तर पर नामांतरण के आवेदनों पर निर्णय न लिए जाने से लोग नगर निगम में दौड़ लगाने को मजबूर हैं. जोनल कार्यालयों में एक अप्रैल से 15 अक्टूबर 2023 तक कुल 4 हजार 928 लोगों ने नामांतरण यानी दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया था. इसमें से अभी तक करीब दो हजार लोगों के नामांतरण की प्रक्रिया ही पूरी हो पाई है.


बताया जाता है कि नगर निगम में मकानों के हाउस टैक्स निर्धारण के साथ ही नामांतरण दाखिल खारिज कराने में कमर्चारियों की मनमानी और लूट चल रही है. राजधानी में मकान दुकान खरीदने और वसीयत के आधार पर लोगों को नगर निगम में नामांतरण यानी दाखिल खारिज कराना पड़ता है. इसके लिए लोग आवेदन करते हैं, लेकिन नगर निगम के कमर्चारी मनमानी करते हैं. नामांतरण की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद लापरवाही जारी है. नगर निगम की मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अम्बी बिष्ट ने नामांतरण में लेटलतीफी पर सभी जोनल अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि नामांतरण का प्रकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में है. इसमें लापरवाही ठीक नहीं है. यह काम जनहित गारंटी योजना में शामिल है. नामांतरण की शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. ऐसे में नामांतरण के कामकाज को बिना देरी के निस्तारण कराया जाए.

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