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'मंडलायुक्त के पास नहीं है आरडब्ल्यूए समिति को भंग करने का अधिकार' - लखनऊ मंडलायुक्त

लखनऊ में मंडलायुक्त ने कहा था कि लखनऊ की जितनी भी आरडब्ल्यूए समितियां है, उनको भंग किया जाएगा. इसके लिए एक योजना भी बनाई जा रही है. मंडलायुक्त आरडब्ल्यूए समितियों के काम से खुश नहीं हैं.

आरडब्लूए समितियां होंगी भंग
आरडब्लूए समितियां होंगी भंग
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Published : Mar 8, 2021, 3:43 PM IST

लखनऊ: विकास प्राधिकरण द्वारा मिशन शक्ति के तहत आयोजित किए गए वेबीनार में लखनऊ के मंडलायुक्त ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि लखनऊ की जितनी भी आरडब्ल्यूए समितियां हैं, उनको भंग किया जाएगा. इसके लिए एक योजना भी बनाई जा रही है. इसके बाद जनकल्याण महा समिति ने मंडलायुक्त के बयान का विरोध किया है.

यह भी पढ़ें: मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, यूपी के कई स्थानों पर बारिश के आसार

ये कहा था मंडलायुक्त ने

मंडलायुक्त ने कहा था कि वह भी एक अपार्टमेंट में रहते हैं. वहां की आरडब्ल्यूए समिति महीने के 2500 रुपये लेती है. लेकिन, इसके बदले में कोई भी सुविधा नहीं मिलती. इसलिए वह भी आरडब्ल्यूए समिति के काम से खुश नहीं हैं. आरडब्ल्यूए समितियां कमरे में बैठकर चार लोगों के साथ सभी फैसले ले लेती हैं.


जन कल्याण महासमिति ने मंडलायुक्त को लिखा पत्र

लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने कहा कि कमिश्नर को आरडब्ल्यूए भंग करने का अधिकार ही नहीं है. महासमिति ने इस संबंध में मंडलायुक्त को पत्र लिखा है. उमाशंकर दुबे ने मंडलायुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि लखनऊ जन कल्याण महासमिति आरडब्ल्यूए के संबंध में उठे सवाल और आपके जवाब से सहमत हैं. लेकिन, इस संबंध में यह भी अवगत कराना है कि सभी आरडब्ल्यूए ऐसा नहीं करती हैं. उमाशंकर दुबे ने कहा कि आरडब्ल्यूए के संबंध में सरकार ने अपार्टमेंट एक्ट 2010 बनाया हैं. अपार्टमेंट एक्ट के नियम के तहत आरडब्ल्यूए का गठन किया जाता है. यह बात सही है की बहुत सी आरडब्ल्यूए इसका पालन कड़ाई से नहीं करती हैं. उमाशंकर दुबे ने कहा कि इन सबके पीछे हमारी सरकारी व्यवस्था की लापरवाही सामने आ गई है. इसका कुछ लोग फायदा उठा कर सम्मानित सदस्यों के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं.


काम पर उठे सवाल
नियम विरुद्ध कई आरडब्ल्यूए ने अपना खुद का बाइलॉज बना रखा है. जबकि अपार्टमेंट एक्ट 2010 के तहत मॉडल बाइलॉज बनना चाहिए. डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय ने ऐसे कैसे होने दिया. नियम है कि प्रतिवर्ष एक तिहाई बोर्ड के सदस्य रिटायर होंगे. उन्हें बोर्ड रिटायर करेगा. साथ ही प्रतिवर्ष चुनाव होगा. कितने आरडब्ल्यूए ने इसका पालन किया और यदि नहीं किया तो डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय क्या कर रहा है. समितियों में ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता, जो किसी मामले में दोषी पाए गए हो. वो लोग जो किसी अनुशासनहीनता या समिति के संचालन में दोषी साबित हुए हैं. ऐसे लोग समितियों में शामिल नहीं रहते हैं. बहुत से आरडब्ल्यूए से यही शिकायत आती है कि चंद लोग एक कमरे में बैठकर जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हैं. कोई बैठक नहीं बुलाते ,कोई आय व्यय का ब्योरा नहीं देते. ऐसी परिस्थितियों में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय उनका रजिस्ट्रेशन कैसे करता है.


अपार्टमेंट एक्ट का पालन किया जाए

सभी आरडब्ल्यूए चाहे वो सरकारी हो या निजी उसे अपार्टमेंट एक्ट का पालन कराना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही साथ बिल्डरों को निर्देशित किया जाए कि सभी बिल्डर नियमानुसार अपार्टमेंट एक्ट के साथ वहां के निवासियों को हैंड ओवर करें. बिल्डर सभी बिल्डिंग की सीसी और ओसी जारी करें. बुकलेट में किए गए वादे के साथ आरडब्ल्यूए का कॉरपस फंड और मेंटेनेंस ब्याज सहित वापस किया जाए. इससे निवासी नियमानुसार संचालन कर सकें.

लखनऊ: विकास प्राधिकरण द्वारा मिशन शक्ति के तहत आयोजित किए गए वेबीनार में लखनऊ के मंडलायुक्त ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि लखनऊ की जितनी भी आरडब्ल्यूए समितियां हैं, उनको भंग किया जाएगा. इसके लिए एक योजना भी बनाई जा रही है. इसके बाद जनकल्याण महा समिति ने मंडलायुक्त के बयान का विरोध किया है.

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ये कहा था मंडलायुक्त ने

मंडलायुक्त ने कहा था कि वह भी एक अपार्टमेंट में रहते हैं. वहां की आरडब्ल्यूए समिति महीने के 2500 रुपये लेती है. लेकिन, इसके बदले में कोई भी सुविधा नहीं मिलती. इसलिए वह भी आरडब्ल्यूए समिति के काम से खुश नहीं हैं. आरडब्ल्यूए समितियां कमरे में बैठकर चार लोगों के साथ सभी फैसले ले लेती हैं.


जन कल्याण महासमिति ने मंडलायुक्त को लिखा पत्र

लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने कहा कि कमिश्नर को आरडब्ल्यूए भंग करने का अधिकार ही नहीं है. महासमिति ने इस संबंध में मंडलायुक्त को पत्र लिखा है. उमाशंकर दुबे ने मंडलायुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि लखनऊ जन कल्याण महासमिति आरडब्ल्यूए के संबंध में उठे सवाल और आपके जवाब से सहमत हैं. लेकिन, इस संबंध में यह भी अवगत कराना है कि सभी आरडब्ल्यूए ऐसा नहीं करती हैं. उमाशंकर दुबे ने कहा कि आरडब्ल्यूए के संबंध में सरकार ने अपार्टमेंट एक्ट 2010 बनाया हैं. अपार्टमेंट एक्ट के नियम के तहत आरडब्ल्यूए का गठन किया जाता है. यह बात सही है की बहुत सी आरडब्ल्यूए इसका पालन कड़ाई से नहीं करती हैं. उमाशंकर दुबे ने कहा कि इन सबके पीछे हमारी सरकारी व्यवस्था की लापरवाही सामने आ गई है. इसका कुछ लोग फायदा उठा कर सम्मानित सदस्यों के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं.


काम पर उठे सवाल
नियम विरुद्ध कई आरडब्ल्यूए ने अपना खुद का बाइलॉज बना रखा है. जबकि अपार्टमेंट एक्ट 2010 के तहत मॉडल बाइलॉज बनना चाहिए. डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय ने ऐसे कैसे होने दिया. नियम है कि प्रतिवर्ष एक तिहाई बोर्ड के सदस्य रिटायर होंगे. उन्हें बोर्ड रिटायर करेगा. साथ ही प्रतिवर्ष चुनाव होगा. कितने आरडब्ल्यूए ने इसका पालन किया और यदि नहीं किया तो डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय क्या कर रहा है. समितियों में ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता, जो किसी मामले में दोषी पाए गए हो. वो लोग जो किसी अनुशासनहीनता या समिति के संचालन में दोषी साबित हुए हैं. ऐसे लोग समितियों में शामिल नहीं रहते हैं. बहुत से आरडब्ल्यूए से यही शिकायत आती है कि चंद लोग एक कमरे में बैठकर जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हैं. कोई बैठक नहीं बुलाते ,कोई आय व्यय का ब्योरा नहीं देते. ऐसी परिस्थितियों में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय उनका रजिस्ट्रेशन कैसे करता है.


अपार्टमेंट एक्ट का पालन किया जाए

सभी आरडब्ल्यूए चाहे वो सरकारी हो या निजी उसे अपार्टमेंट एक्ट का पालन कराना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही साथ बिल्डरों को निर्देशित किया जाए कि सभी बिल्डर नियमानुसार अपार्टमेंट एक्ट के साथ वहां के निवासियों को हैंड ओवर करें. बिल्डर सभी बिल्डिंग की सीसी और ओसी जारी करें. बुकलेट में किए गए वादे के साथ आरडब्ल्यूए का कॉरपस फंड और मेंटेनेंस ब्याज सहित वापस किया जाए. इससे निवासी नियमानुसार संचालन कर सकें.

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