लखनऊः लखनऊ विश्विद्यालय के डीपीए सभागार में भारत तिब्बत समन्वय संघ के तहत राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर मेजर जनरल अजय कुमार चतुर्वेदी और प्रोफेसर मनोज दीक्षित मौजूद रहे. इस दौरान मेजर जनरल अजय कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि न तिब्बत को अपना हिस्सा बनाने के लिए वहां पर हाईवे,सड़क और रेलवे लाइन समेत काफी बड़े स्तर पर विकास के कार्य करता रहा. इसकी वजह से कई देश तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने लगे. सिर्फ इंडिया ने ही नहीं माना था कि तिब्बत जो है वो चीन का हिस्सा है.
चीन में प्रदूषण और दूषित पानी बड़ी समस्या
उन्होंने कहा कि तिब्बत चीन के लिए इसीलिए जरूरी है कि तिब्बत में साफ मीठे पानी का बड़ा रिसोर्स है. ब्रह्मपुत्र नदी का पानी वो झिंजियांग लाना चाहते हैं. चीन में सबसे बड़ी समस्या है वहां का प्रदूषण है, जिससे जमीन के अंदर का पानी भी गंदा हो गया है. दूसरा तिब्बत लिथियम का सोर्स बहुत बड़ा है. तिब्बत में सोना की सैंकड़ो खदाने बन सकती हैं. वहां यूरेनियम का बहुत बड़ा रिसोर्स मौजूद है. यही वजह चीन तिब्बत को लेकर लगातार आक्रामक बना रहता है. वही अक्साई चीन का महत्व पानी के कनेक्शन के लिए बहुत जरूरी है. इंडस, ब्रहपुत्र और सतलुज वो नदियां है जिससे चीन अपनी प्यास बुझाता है. चीन का नेपाल में इसलिए लिए रुचि ले रहा है, क्योंकि वहां पर भी पानी का बड़ा सोर्स मौजूद है. नेपाल से दिल्ली और लखनऊ की बहुत कम दूरी है. इसलिए देश की सुरक्षा नीति के लिए तिब्बत हमारे देश के लिए बेहद जरूरी है.
भारत की आंतरिक शक्ति के बारे में पता करता रहता है चीनः प्रो. मनोज
प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि चीन हमेशा ये जानने की कोशिश करता है कि भारत में आखिर वो कौन सी शक्ति है जो उसे मजबूत बनाया रखती है. उन्होंने कहा कि चीन विश्विद्यालय की संगोष्ठी में मैं गया था. वहां जिस विषय पर चर्चा करना था, उसे हटाकर के भारत के बारे में बताने का दबाव बनाया गया. मुझसे कहा गया है कि आपका कैसा एजुकेशन sysytem है, आखिर क्यों हमारे पास इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद हम एशिया में नंबर 1नहीं बन पा रहे हैं. चीन भारत की आंतरिक शक्तियों को जानने की लगातार कोशिश कर रहा है.