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कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पड़ी थी गांधी के महात्मा बनने की नींव

आज पूरा देश शहीद दिवस मना रहा है. 30 जनवरी के ही दिन महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यूपी की राजधानी लखनऊ से महात्मा गांधी का गहरा जुड़ाव रहा. यहीं पर उनके महात्मा बनने की नींव पड़ी थी. देखिए ये खास रिपोर्ट...

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Published : Jan 30, 2021, 5:35 PM IST

Updated : Jan 30, 2021, 5:45 PM IST

mahatma gandhi death anniversary
महात्मा गांधी का लखनऊ से नाता.

लखनऊ : आज देश शहीद दिवस मना रहा है. 30 जनवरी के ही दिन महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस अवसर पर राजधानी लखनऊ में भी कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. महात्मा गांधी का लखनऊ से गहरा लगाव था. गांधी जी आंदोलन को गति देने के लिए सबसे पहले 26 दिसंबर 1916 में बैरिस्टर के रूप में कांग्रेस के 31वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए लखनऊ आए थे. इसके बाद उनका लखनऊ से गहरा लगाव हो गया और वे यहां लगातार आते रहे.

स्पेशल रिपोर्ट...

बैरिस्टर से महात्मा बनने की हुई शुरुआत
राजधानी लखनऊ में 1916 में 31वां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित हुआ. इसमें भाग लेने के लिए मोहनदास करमचंद गांधी बैरिस्टर के रूप में पहुंचे थे. यहां पर 26 दिसंबर 1916 को पहली बार अधिवेशन के दौरान जवाहरलाल नेहरू से उनकी मुलाकात हुई. उनके विचारों को सुनकर जवाहरलाल नेहरू काफी प्रभावित हुए. इसी अधिवेशन से ही मोहन दास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने की शुरुआत हुई थी.

mahatma gandhi death anniversary
गांधी जी की प्रतिमा.

लाल बाग की इस इमारत में गांधी जी ने दिया था संबोधन
नगरपालिका के विशेष आमंत्रण पर 17 अक्टूबर 1925 को महात्मा गांधी लाल बाग स्थित नगर पालिका के त्रिलोकीनाथ हॉल में पहुंचे और वहां पर उन्होंने एक संबोधन भी दिया. वहीं उनके साथ मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे. इस इमारत में 3 घंटे से ज्यादा समय तक महात्मा गांधी रुके रहे. यह इमारत 100 साल से पुरानी है. आज इस इमारत में नगर निगम लखनऊ संचालित होता है. नगर निगम कर्मी अलका श्रीवास्तव बताती हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह जिस इमारत में काम करती हैं, वह एक ऐतिहासिक इमारत है और यहां पर महात्मा गांधी जैसे महापुरुष आ चुके हैं.

mahatma gandhi death anniversary
तीन घंटे तक रुके थे गांधी जी.
गांधी जी ने लगाया बरगद का पेड़
आजादी के दौरान 1936 में महात्मा गांधी जब लखनऊ आए तो कांग्रेस की पूर्व मंत्री शीला कौल से उनकी मुलाकात हुई. उनके बंगले के बाहर ही महात्मा गांधी ने एक बरगद का पेड़ लगाया था, जो आज भी मौजूद है और यहां से गुजरने वाले लोगों को शांति की छांव देता है. शीला कौल नेहरू खानदान से ताल्लुक रखतीं थी. लखनऊ का एकमात्र जीता जागता हुआ यह पेड़ इस बात का गवाह है कि भले ही महात्मा गांधी हमारे बीच न हो, लेकिन उनका लगाया हुआ यह पेड़ आज भी लोगों को छांव दे रहा है. हालांकि शीला कौल का बंगला वीरान पड़ा हुआ है. यहां पर 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए प्रियंका गांधी जब भी लखनऊ आती हैं तो शीला कौल के बंगले में ही रुकती हैं.
mahatma gandhi death anniversary
गांधी जी का लगाया बरगद का पेड़.
क्या कहते हैं इतिहासकार
लखनऊ के वरिष्ठ इतिहासकार रवी भट्ट बताते हैं कि महात्मा गांधी का लखनऊ से गहरा जुड़ाव था. उनका 1916 से 1936 तक बार-बार लखनऊ आना हुआ. वे कहते हैं कि महात्मा गांधी के लखनऊ से जुड़ाव के कई निशान आज भी जिंदा हैं. महात्मा गांधी कई बार फिरंगी महल में भी आए. अमीनाबाद में उन्होंने एक जनाना पार्क की स्थापना की थी. इसके अलावा उन्होंने हुसैनगंज में बालिकाओं के लिए 1925 में एक स्कूल की स्थापना की थी, जिसे चुटकी भंडार स्कूल कहा जाता था. उस दौरान महिलाओं के द्वारा दिए गए चुटकी भर आटे को बेचकर इस स्कूल की स्थापना हुई थी.

लखनऊ : आज देश शहीद दिवस मना रहा है. 30 जनवरी के ही दिन महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस अवसर पर राजधानी लखनऊ में भी कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. महात्मा गांधी का लखनऊ से गहरा लगाव था. गांधी जी आंदोलन को गति देने के लिए सबसे पहले 26 दिसंबर 1916 में बैरिस्टर के रूप में कांग्रेस के 31वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए लखनऊ आए थे. इसके बाद उनका लखनऊ से गहरा लगाव हो गया और वे यहां लगातार आते रहे.

स्पेशल रिपोर्ट...

बैरिस्टर से महात्मा बनने की हुई शुरुआत
राजधानी लखनऊ में 1916 में 31वां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित हुआ. इसमें भाग लेने के लिए मोहनदास करमचंद गांधी बैरिस्टर के रूप में पहुंचे थे. यहां पर 26 दिसंबर 1916 को पहली बार अधिवेशन के दौरान जवाहरलाल नेहरू से उनकी मुलाकात हुई. उनके विचारों को सुनकर जवाहरलाल नेहरू काफी प्रभावित हुए. इसी अधिवेशन से ही मोहन दास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने की शुरुआत हुई थी.

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गांधी जी की प्रतिमा.

लाल बाग की इस इमारत में गांधी जी ने दिया था संबोधन
नगरपालिका के विशेष आमंत्रण पर 17 अक्टूबर 1925 को महात्मा गांधी लाल बाग स्थित नगर पालिका के त्रिलोकीनाथ हॉल में पहुंचे और वहां पर उन्होंने एक संबोधन भी दिया. वहीं उनके साथ मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे. इस इमारत में 3 घंटे से ज्यादा समय तक महात्मा गांधी रुके रहे. यह इमारत 100 साल से पुरानी है. आज इस इमारत में नगर निगम लखनऊ संचालित होता है. नगर निगम कर्मी अलका श्रीवास्तव बताती हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह जिस इमारत में काम करती हैं, वह एक ऐतिहासिक इमारत है और यहां पर महात्मा गांधी जैसे महापुरुष आ चुके हैं.

mahatma gandhi death anniversary
तीन घंटे तक रुके थे गांधी जी.
गांधी जी ने लगाया बरगद का पेड़
आजादी के दौरान 1936 में महात्मा गांधी जब लखनऊ आए तो कांग्रेस की पूर्व मंत्री शीला कौल से उनकी मुलाकात हुई. उनके बंगले के बाहर ही महात्मा गांधी ने एक बरगद का पेड़ लगाया था, जो आज भी मौजूद है और यहां से गुजरने वाले लोगों को शांति की छांव देता है. शीला कौल नेहरू खानदान से ताल्लुक रखतीं थी. लखनऊ का एकमात्र जीता जागता हुआ यह पेड़ इस बात का गवाह है कि भले ही महात्मा गांधी हमारे बीच न हो, लेकिन उनका लगाया हुआ यह पेड़ आज भी लोगों को छांव दे रहा है. हालांकि शीला कौल का बंगला वीरान पड़ा हुआ है. यहां पर 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए प्रियंका गांधी जब भी लखनऊ आती हैं तो शीला कौल के बंगले में ही रुकती हैं.
mahatma gandhi death anniversary
गांधी जी का लगाया बरगद का पेड़.
क्या कहते हैं इतिहासकार
लखनऊ के वरिष्ठ इतिहासकार रवी भट्ट बताते हैं कि महात्मा गांधी का लखनऊ से गहरा जुड़ाव था. उनका 1916 से 1936 तक बार-बार लखनऊ आना हुआ. वे कहते हैं कि महात्मा गांधी के लखनऊ से जुड़ाव के कई निशान आज भी जिंदा हैं. महात्मा गांधी कई बार फिरंगी महल में भी आए. अमीनाबाद में उन्होंने एक जनाना पार्क की स्थापना की थी. इसके अलावा उन्होंने हुसैनगंज में बालिकाओं के लिए 1925 में एक स्कूल की स्थापना की थी, जिसे चुटकी भंडार स्कूल कहा जाता था. उस दौरान महिलाओं के द्वारा दिए गए चुटकी भर आटे को बेचकर इस स्कूल की स्थापना हुई थी.
Last Updated : Jan 30, 2021, 5:45 PM IST
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