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मदरसा शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत, आर्थिक तंगी से थे परेशान - एजाज अहमद

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक उमानाथ सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई. वे कई दिन से आर्थिक तंगी की वजह से परेशान चल रहे थे.

madrasa teacher dies of heart attack
मदरसा शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत.
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Published : Nov 29, 2020, 9:43 PM IST

लखनऊ: बलरामपुर जिले के रहने वाले मदरसा मॉडर्न शिक्षक उमानाथ सिंह का दिल का दौरा पड़ जाने से निधन हो गया. उनके घरवालों के मुताबिक, उमानाथ सिंह पिछले 5 वर्षों से अपने वेतन को लेकर दर-बदर भटक रहे थे. आर्थिक तंगी और मायूसी के चलते उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई. मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एसोसिएशन ने भी शोक व्यक्त करते हुए शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ सख्त नाराजगी का इजहार किया है.

शिक्षा मंत्रालय पर उठे गंभीर सवाल.

कौन थे उमानाथ सिंह
इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एजाज अहमद ने बताया कि बलरामपुर जिले के मदरसा फजले रहमान ग्राम जोरावरपुर ग्राम सभा शंकरपुर कटरा में पढ़ाने वाले मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत हो गई. उनको 5 साल से मानदेय नहीं मिला था. वे बलरामपुर के पझव्वा बड़े पुल के पास किराए के मकान में रहते थे. उनके मां-बाप पहले ही इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं. वे अपने पीछे परिवार में दो लड़के (8 साल और 3 साल), एक लड़की (15 साल) और बीवी छोड़कर गए हैं. उनके परिवार में एक छोटा भाई है, जो बेरोजगार है. परिवार में एकमात्र कमाने वाला सहारा मृतक उमानाथ सिंह ही थे. उनकी मृत्यु होने के बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा.

शिक्षा मंत्रालय पर लगाए आरोप
एजाज अहमद ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी इतने उदासीन हो गए हैं कि भारत सरकार द्वारा 220 करोड़ बजट उपलब्ध कराने के बाद भी मदरसा शिक्षकों का मानदेय नहीं दे रहे हैं. 4 साल से मानदेय के नाम पर 2016-17 के 6 महीने का मानदेय चार साल में चार किस्त में दिया है. कुछ शिक्षकों का 2013-14 और 2015-16 का भी मानदेय बाकी है और 2016-17 से लगाकर अब तक का 4 साल का मानदेय बाकी है. लॉकडाउन में मदरसा शिक्षकों के पास मानदेय ही एकमात्र सहारा था. वह भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में मदरसा शिक्षक मायूसी भुखमरी से नहीं मरेंगे तो क्या होगा, लेकिन शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर कोई असर नहीं है. वह मानदेय देने में आनाकानी करते रहते हैं. एक दो महीने का मानदेय दे करके सिर्फ खानापूर्ति करते हैं और मदरसा शिक्षकों को बेमौत मारने का ताना-बाना तैयार कर रहे हैं.

क्यों नहीं दिया जा रहा शिक्षकों को मानदेय
एजाज अहमद ने सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा कि क्या शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानवता बिल्कुल मर चुकी है और मदरसा टीचरों को इस भुखमरी से कौन निजात दिलाएगा. उन्होंने कहा कि यह टीचर परास्नातक के साथ बीएड-टीईटी क्वालीफाइड हैं. जब नौकरी दिया है तो मानदेय देने में आनाकानी क्यों की जाती है. क्या मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक भारत के नागरिक नहीं हैं. एजाज अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए कहा कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से जल्द से जल्द जारी कराया जाए.

लखनऊ: बलरामपुर जिले के रहने वाले मदरसा मॉडर्न शिक्षक उमानाथ सिंह का दिल का दौरा पड़ जाने से निधन हो गया. उनके घरवालों के मुताबिक, उमानाथ सिंह पिछले 5 वर्षों से अपने वेतन को लेकर दर-बदर भटक रहे थे. आर्थिक तंगी और मायूसी के चलते उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई. मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एसोसिएशन ने भी शोक व्यक्त करते हुए शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ सख्त नाराजगी का इजहार किया है.

शिक्षा मंत्रालय पर उठे गंभीर सवाल.

कौन थे उमानाथ सिंह
इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एजाज अहमद ने बताया कि बलरामपुर जिले के मदरसा फजले रहमान ग्राम जोरावरपुर ग्राम सभा शंकरपुर कटरा में पढ़ाने वाले मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत हो गई. उनको 5 साल से मानदेय नहीं मिला था. वे बलरामपुर के पझव्वा बड़े पुल के पास किराए के मकान में रहते थे. उनके मां-बाप पहले ही इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं. वे अपने पीछे परिवार में दो लड़के (8 साल और 3 साल), एक लड़की (15 साल) और बीवी छोड़कर गए हैं. उनके परिवार में एक छोटा भाई है, जो बेरोजगार है. परिवार में एकमात्र कमाने वाला सहारा मृतक उमानाथ सिंह ही थे. उनकी मृत्यु होने के बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा.

शिक्षा मंत्रालय पर लगाए आरोप
एजाज अहमद ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी इतने उदासीन हो गए हैं कि भारत सरकार द्वारा 220 करोड़ बजट उपलब्ध कराने के बाद भी मदरसा शिक्षकों का मानदेय नहीं दे रहे हैं. 4 साल से मानदेय के नाम पर 2016-17 के 6 महीने का मानदेय चार साल में चार किस्त में दिया है. कुछ शिक्षकों का 2013-14 और 2015-16 का भी मानदेय बाकी है और 2016-17 से लगाकर अब तक का 4 साल का मानदेय बाकी है. लॉकडाउन में मदरसा शिक्षकों के पास मानदेय ही एकमात्र सहारा था. वह भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में मदरसा शिक्षक मायूसी भुखमरी से नहीं मरेंगे तो क्या होगा, लेकिन शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर कोई असर नहीं है. वह मानदेय देने में आनाकानी करते रहते हैं. एक दो महीने का मानदेय दे करके सिर्फ खानापूर्ति करते हैं और मदरसा शिक्षकों को बेमौत मारने का ताना-बाना तैयार कर रहे हैं.

क्यों नहीं दिया जा रहा शिक्षकों को मानदेय
एजाज अहमद ने सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा कि क्या शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानवता बिल्कुल मर चुकी है और मदरसा टीचरों को इस भुखमरी से कौन निजात दिलाएगा. उन्होंने कहा कि यह टीचर परास्नातक के साथ बीएड-टीईटी क्वालीफाइड हैं. जब नौकरी दिया है तो मानदेय देने में आनाकानी क्यों की जाती है. क्या मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक भारत के नागरिक नहीं हैं. एजाज अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए कहा कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से जल्द से जल्द जारी कराया जाए.

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