लखनऊ: लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस (Lucknow Commissionerate Police) आए-दिन अपने कार्य प्रणाली से सुर्खियां बटोर रही है. कमिश्नरेट पुलिस के मातहत खाकी के दामन पर दाग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आलम यह है कि 29 साल पहले स्वर्गवासी हो चुके शख्स पर कार्रवाई कायम कर दी. जी हां, कमाल की बात है कि मड़ियांव पुलिस ने एक ऐसे शख्स पर शांति भंग (breach of peace) की कार्रवाई करने के लिए नोटिस थमा दी, जिसकी मृत्यु 29 साल पहले हो चुकी है.
मड़ियांव थाना क्षेत्र स्थित रायपुर आईआईएम रोड निवासी अभिषेक सिंह ने बताया कि वो गंगाचरण सोसाइटी के नाम से एक संस्था संचालित करते हैं. सोसाइटी के नाम पर दस हजार स्क्वायर फीट जमीन तीस साल पहले उसने नवमिलाल नामक किसान से रजिस्ट्री कराई थी. इसी दस हजार स्क्वायर फीट एरिया में एक स्कूल संचालित है और शेष जमीन खड़ी पड़ी है. अभिषेक ने बताया कि इस जमीन पर कथित अधिवक्ता और भू-माफिया की नजर है. बीते कई वर्षों से यह लोग अक्सर इकट्ठा होकर जमीन कब्जाने का प्रयास करते हैं और उसे परेशान भी करते हैं. अभिषेक के मुताबिक, जमीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि कथित अधिवक्ताओं ने किसान के बेटे को फुसलाकर फर्जी रजिस्ट्री करवा ली, जिसके कैंसिलेशन का मामला भी न्यायालय में है. बावजूद इसके दबंग आए-दिन दबंगई करते हैं.
पीड़ित ने बताया कि बीती 22 तारीख को भी उक्त जमीन पर कब्जा करने के वास्ते आधा दर्जन से अधिक कथित वकील पहुंचे थे. तब पीड़ित अभिषेक ने पुलिस को सूचना दी थी. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शांति भंग की कार्रवाई की थी. आरोप है कि पुलिस ने सोसाइटी के चौकीदार और अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई की. हैरानी की बात तो है कि अभिषेक के मृतक चाचा वीरेंद्र प्रताप के नाम भी शांति भंग की रिपोर्ट भेज दी. पीड़ित ने बताया कि उसके चाचा वीरेंद्र प्रताप का निधन 29 साल पहले ही हो चुका है, लेकिन आरोपी कथित अधिवक्ताओं के मोह में पुलिस ने जांच करना भी उचित नहीं समझा और एक मृत व्यक्ति के खिलाफ शांति भंग की रिपोर्ट भेज दी.
इसे भी पढ़ें-झांसी में हत्यारोपित ने की खुदकुशी की कोशिश
पीड़ित अभिषेक ने बताया कि सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अलीगंज के दफ्तर में 16 अक्टूबर को मृत वीरेंद्र के पेश होने की बात उन्हें बताई गई तो उनके होश उड़ गए. अभिषेक ने बताया कि उन्हें अब ये समझ नहीं आ रहा कि 29 साल पहले स्वर्गवासी हो चुके चाचा वीरेंद्र को वह एसीपी दफ्तर में कैसे पेश कराएं. बहरहाल, इसे लापरवाही कहें या भू-माफिया से मड़ियांव पुलिस का प्रेम, लेकिन इस मामले ने फिर एक बार महकमे की किरिकिरी जरूर करवा दी है.