लखनऊ: जिले में हस्तशिल्पकारों को बढ़ावा देने और उनके उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने के लिए माटी कला बोर्ड ने माटी मेले का आयोजन किया है. इसमें हस्तशिल्पकारों को अच्छे दामो में अपने उत्पाद बेचने का मौका मिल रहा है, तो मुनासिब दामों पर आकर्षक उत्पादों को खरीदने का अवसर लखनऊ वासियों को प्राप्त हो रहा है. इस माटी मेले में एक से बढ़कर एक आकर्षक उत्पाद ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं.
अध्यक्ष ने दी उत्पादों की जानकारी
माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने मेले में मौजूद सभी आकर्षक उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. साथ ही उन्होंने हस्तशिल्पकारों के उत्पादों के बारे में चर्चा भी की. उन्होंने बताया कि हमने 3 नवंबर को प्लान किया था कि फुटपाथ पर मिट्टी के उत्पाद बेचने वाले हस्तशिल्पियों के बारे में कुछ अच्छा सोचा जाए. उनके हित को ध्यान में रखते हुए 5 नवंबर को माटी मेला का उद्घाटन किया गया. तब से आज तक यहां लाखों की बिक्री हो रही है और हस्तशिल्पकारों के आकर्षक उत्पाद लखनऊ वासियों का मन मोह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कानपुर का टेराकोटा, गोरखपुर के मिट्टी के दीपक, गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति, मिट्टी के आकर्षक उत्पाद, रसोई में उपयोग आने वाले मिट्टी के बर्तन, मिट्टी की मूर्तियां, कई तरह के दीपक, मिट्टी की लालटेन आदि लखनऊ के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. यह माटी मेला 13 नवंबर चलेगा.
इन जिलों के उत्पाद हैं उपलब्ध
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि खादी भवन में चल रही 10 दिवसीय माटीकला प्रदर्शनी में मंगलवार को 5.33 लाख रुपये के मिट्टी से निर्मित उत्पादों की बिक्री हुई है. मेले में गोरखपुर के टेराकोटा, आजमगढ़ की ब्लैक पाॅटरी, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन सहित लखनऊ, कुशीनगर, मिर्जापुर, चंदौली, उन्नाव, बलिया, कानपुर, पीलीभीत, प्रयागराज, वाराणसी और अयोध्या के मिट्टी से बने उत्पाद उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि दीवाली के अवसर पर आयोजित इस मेले में पारंपरिक कारीगरों द्वारा निर्मित लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां और तरह-तरह के डिजाइनर दीये आकर्षण का केन्द्र हैं और इन उत्पादों की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी हो रही है.
माटी कला बोर्ड का गठन किया गया
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में परंपरागत कुम्हारी का कार्य करने वाले कारीगरों के उन्नयन एवं परंपरागत कला को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है. बोर्ड ने कारीगरों का चिह्निकरण किया. उन्हें मिट्टी के लिए तालाब आवंटन, तकनीकी प्रशिक्षण के साथ ही आर्थिक सहायता दी गयी. इसके साथ-साथ उन्नत टूलकिट्स जैसे विद्युत चलित चाक, पगमिल और आधुनिक भट्ठी आदि प्रदान किए जा रहे हैं
2700 कुम्हारी चाक दिए गए
सरकार की तरफ से पूरा प्रयास किया गया है कि माटी कला क्षेत्र से जुड़े कारीगरों का उत्थान हो. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2700 कुम्हारी चाक, 56 पेंटिंग मशीन, 60 दीया मेकिंग मशीन और दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने के लिए 150 जोड़ी पीओपी मास्टर का वितरण कराया गया है.