लखनऊ : नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में मादा जिराफ सुजाता की तबीयत बिगड़ गई है. वह सोमवार से खाना नहीं खा रही हैं. लखनऊ जू के निदेशक वीके मिश्रा ने बताया कि सुजाता को गुड़ और केले में भी दवा दी जा रही है, लेकिन वह इसे भी नहीं खा रही. ऐसे में उसके इलाज में सलाह के लिए आईवीआरआई बरेली और आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विवि-अयोध्या के विशेषज्ञों को बुलाया गया. सुजाता के व्यवहार में अचानक आए इस बदलाव को देखते हुए नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर प्रबंधन में हड़कंप मच गया है. जिराफ की औसत उम्र 25 साल होती है.
मादा जिराफ सुजाता का जन्म वर्ष 2001 में कोलकाता के अलीपुर प्राणि उद्यान में हुआ था. इसे 2003 में लखनऊ लाया गया था. उसके नर साथी की मौत पांच साल पहले हो गई थी. सुजाता ने चार बार बच्चों को जन्म दिया था. इसमें पहला बच्चा बच पाया है. पिछले तीन बार बच्चे जन्म के कुछ समय बाद ही मौत हो गई. पहले बच्चे को 2007 में मैसूर जू में वन्य जीव विनिमय के तहत दिया गया था. जिराफ और जेब्रा के बदले में मैसूर प्राणि उद्यान से जेसन एवं निकिता चिम्पांजी लखनऊ प्राणि उद्यान में लाया गया था.
जिम्मेदारों के मुताबिक देश के इक्का-दुक्का जू में ही जिराफ हैं. सुजाता बुजुर्ग हो चुकी है. ऐसे में नर जिराफ लाने पर भी इस उम्र में ब्रीडिंग नहीं हो सकती हैं. लखनऊ चिड़ियाघर के पूर्व निदेशक अनुपम गुप्ता हों या अन्य निदेशक सभी ने सुजाता के लिए एक नया जीवन साथी खोजने का बहुत प्रयास किया. लेकिन जिराफों की संख्या कम होने के चलते कहीं से भी सफलता नहीं मिली. वर्तमान में सुजाता की उम्र करीब 22 वर्ष आंकी गई है. चिकित्सकों का कहना है कि सुजाता अब बूढ़ी हो गई है. उम्र ज्यादा होने के चलते उसे यह दिक्कतें हो रही हैं.
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