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स्मारक घोटालाः विजिलेंस की टीम ने मिर्जापुर से दो पत्थर पट्टेदारों को किया गिरफ्तार

विजिलेंस की टीम ने स्मारक घोटाला मामले में कार्रवाई करते हुए मिर्जापुर से दो पत्थर खदान के पट्टेदारों को गिरफ्तार किया है. विजिलेंस टीम ने आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. बता दें मायावती सरकार में हुए स्मारक निर्माण में घोटाले का आरोप लगा था.

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Published : Jun 28, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 6:19 PM IST

स्मारक घोटाला.
स्मारक घोटाला.

लखनऊः 2013 में दर्ज स्मारक घोटाला प्रकरण में विजिलेंस की टीम ने मिर्जापुर के अहरौरा से दो पत्थर खदान के पट्टेदारों की गिरफ्तारी की है. दोनों आरोपी पट्टेदार स्मारक बनने के लिए पत्थर सप्लाई करते थे. विजिलेंस के निदेशक पीवी रामा शास्त्री ने इसकी पुष्टी की है.

स्मारक घोटाला प्रकरण की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने किशोरी लाल और रमेश कुमार नाम के दो पट्टेदारों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया गया. जिसके बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में लेकर जिला कारागार भेज दिया गया. इस पूरे प्रकरण को लेकर विजिलेंस की टीम लगातार जांच कर रही है. बता दें मायावती के शासनकाल 2007 से लेकर 2012 के बीच हुए स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा था. इस मामले में 2013 में एफआईआर दर्ज हुई थी. अब तक विजिलेंस टीम के द्वारा 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आगे कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

मायावती सरकार में हुए थे स्मारक निर्माण

मायावती के शासनकाल 2007 से लेकर 2012 के बीच राजधानी लखनऊ और नोएडा में बड़े पैमाने पर स्मारकों का निर्माण किया गया था. वहीं इनके निर्माण में 1400 करोड़ रुपये का घोटाले आरोप लगा था. जिसको लेकर 2013 में सपा शासनकाल में एफआईआर दर्ज हुई. वह इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में विजिलेंस ने चार्जशीट दाखिल की है. उसमें एलडीए के तत्कालीन वीसी हरभजन सिंह के साथ 43 अधिकारियों के खिलाफ जांच के सबूत मिले हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: स्मारक घोटाले में जल्द दाखिल होगी चार्जशीट, 45 लोग पाये गये दोषी

बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी विवेचना जारी है. मायावती की सरकार में लखनऊ और नोएडा में बनाए गए स्मारकों में लगे पत्थरों को लेकर बड़ी धांधली हुई थी. जो विजिलेंस की जांच में उजागर हुई है. कागजों में राजस्थान से पत्थर, स्कूटर और ऑटो नंबर वाली गाड़ियों पर मंगवाए गए थे. जबकि पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर के अहरौरा के गुलाबी पत्थरों की होती थी. बता दें कि मिर्जापुर के पत्थर अपने गुलाबी रंग के कारण काफी प्रसिद्ध हैं.

लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने पकड़ा था घोटाला

उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में बहुजन नायकों के नाम पर बनाए गए कि स्मारक और अन्य पार्क के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ था. करीब 1400 करोड़ रुपये का स्मारक घोटाला लोकायुक्त ने अपनी जांच में पाया था. विजिलेंस टीम ने पूर्व वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, पूर्व महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, पूर्व महाप्रबंधक सोडिक कृष्ण कुमार, पूर्व इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को पहले ही गिरफ्तार पूछताछ कर चुकी है.

इसे भी पढ़ें- 1400 करोड़ का स्मारक घोटाला, जानिए कैसे पत्थरों की खरीद में हुआ खेल

लाल पत्थरों की खरीद में हुआ था खेल
लोकायुक्त की जांच में यह बात सामने आई थी कि लखनऊ और नोएडा में मायावती सरकार में स्मारक बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया, उनकी खरीद-फरोख्त में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया. पत्थर यूपी के मिर्जापुर से खरीदे गए और उन्हें राजस्थान से खरीद कर लाने को लेकर यह बड़ा घोटाला किया गया था. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने इस घोटाले में शामिल कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है.

सपा ने 2014 में शुरू कराई जांच
वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने मामले की जांच यूपी पुलिस के सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को सौंपी थी. ऐसा तब हुआ, जब लोकायुक्त ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सपा शासनकाल में भी कोई प्रगति नहीं हुई, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और इसमें तेजी दिखाई है.

लखनऊः 2013 में दर्ज स्मारक घोटाला प्रकरण में विजिलेंस की टीम ने मिर्जापुर के अहरौरा से दो पत्थर खदान के पट्टेदारों की गिरफ्तारी की है. दोनों आरोपी पट्टेदार स्मारक बनने के लिए पत्थर सप्लाई करते थे. विजिलेंस के निदेशक पीवी रामा शास्त्री ने इसकी पुष्टी की है.

स्मारक घोटाला प्रकरण की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने किशोरी लाल और रमेश कुमार नाम के दो पट्टेदारों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया गया. जिसके बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में लेकर जिला कारागार भेज दिया गया. इस पूरे प्रकरण को लेकर विजिलेंस की टीम लगातार जांच कर रही है. बता दें मायावती के शासनकाल 2007 से लेकर 2012 के बीच हुए स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा था. इस मामले में 2013 में एफआईआर दर्ज हुई थी. अब तक विजिलेंस टीम के द्वारा 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आगे कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

मायावती सरकार में हुए थे स्मारक निर्माण

मायावती के शासनकाल 2007 से लेकर 2012 के बीच राजधानी लखनऊ और नोएडा में बड़े पैमाने पर स्मारकों का निर्माण किया गया था. वहीं इनके निर्माण में 1400 करोड़ रुपये का घोटाले आरोप लगा था. जिसको लेकर 2013 में सपा शासनकाल में एफआईआर दर्ज हुई. वह इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में विजिलेंस ने चार्जशीट दाखिल की है. उसमें एलडीए के तत्कालीन वीसी हरभजन सिंह के साथ 43 अधिकारियों के खिलाफ जांच के सबूत मिले हैं.

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बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी विवेचना जारी है. मायावती की सरकार में लखनऊ और नोएडा में बनाए गए स्मारकों में लगे पत्थरों को लेकर बड़ी धांधली हुई थी. जो विजिलेंस की जांच में उजागर हुई है. कागजों में राजस्थान से पत्थर, स्कूटर और ऑटो नंबर वाली गाड़ियों पर मंगवाए गए थे. जबकि पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर के अहरौरा के गुलाबी पत्थरों की होती थी. बता दें कि मिर्जापुर के पत्थर अपने गुलाबी रंग के कारण काफी प्रसिद्ध हैं.

लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने पकड़ा था घोटाला

उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में बहुजन नायकों के नाम पर बनाए गए कि स्मारक और अन्य पार्क के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ था. करीब 1400 करोड़ रुपये का स्मारक घोटाला लोकायुक्त ने अपनी जांच में पाया था. विजिलेंस टीम ने पूर्व वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, पूर्व महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, पूर्व महाप्रबंधक सोडिक कृष्ण कुमार, पूर्व इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को पहले ही गिरफ्तार पूछताछ कर चुकी है.

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लाल पत्थरों की खरीद में हुआ था खेल
लोकायुक्त की जांच में यह बात सामने आई थी कि लखनऊ और नोएडा में मायावती सरकार में स्मारक बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया, उनकी खरीद-फरोख्त में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया. पत्थर यूपी के मिर्जापुर से खरीदे गए और उन्हें राजस्थान से खरीद कर लाने को लेकर यह बड़ा घोटाला किया गया था. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने इस घोटाले में शामिल कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है.

सपा ने 2014 में शुरू कराई जांच
वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने मामले की जांच यूपी पुलिस के सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को सौंपी थी. ऐसा तब हुआ, जब लोकायुक्त ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सपा शासनकाल में भी कोई प्रगति नहीं हुई, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और इसमें तेजी दिखाई है.

Last Updated : Jun 28, 2021, 6:19 PM IST
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