लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की हालत बेहद खस्ता है. जी हां! आलम यह है कि स्कूलों में पढ़ाई कराने के लिए शिक्षक ही उपलब्ध नहीं हैं जबकि एक टीचर पर ही सभी विषयों को पढ़ाने की जिम्मदारी है. कुछ यही हाल लखनऊ के अपर प्राइमरी स्कूल उदयगंज में देखने को मिला. यहां कक्षा 6 से 8 तक की क्लास में 13 विषय पढ़ाए जाते है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस स्कूल में इन विषयों को पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक ही मौजूद है.
जानकारी के मुताबिक अपर प्राइमरी स्कूल उदयगंज मुख्यमंत्री आवास से करीब पांच किलोमीटर दूर है. कक्षा 6 में 13 विषय पढ़ाए जाते हैं. इसमें, पर्यावरण अध्ययन, शारीरिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा, संस्कृत, गृह विज्ञान, कृषि विज्ञान, कला, हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, भूगोल, इतिहास शामिल हैं. यही विषय कक्षा 7 और 8 में भी हैं. लेकिन इन सबको पढ़ाने के लिए एक ही शिक्षिका उपलब्ध हैं.
दूसरी ओर इसी तरह की तस्वीर आपको अपर प्राइमरी स्कूल माल में भी मिल जाएगी. यहां पूरा स्कूल एक शिक्षक प्रमोद पटेल के भरोसे चल रहा है. किसी कारणवश अगर प्रमोद को छुट्टी लेनी पड़ जाए तो स्कूल बंद हो सकता है. यह तस्वीर लखनऊ के स्कूलों की है. जानकारों की मानें तो, प्रदेश के कई जिलों में तो स्थितियां और भी खराब हैं.
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वहीं, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएसन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि मानकों के अनुसार अपर प्राइमरी में कम से कम तीन शिक्षकों की जरूरत होती है. जो गणित, विज्ञान और भाषा के विषयों के पढ़ाते हैं. कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां एक शिक्षक सारे विषय पढ़ा रहा है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों की संख्या करीब 1,33,598 है. इसमें, प्राइमरी स्कूल करीब 87,267 और अपर प्राइमरी स्कूल 46,331 हैं. बेसिक शिक्षा परिषद के आंकड़ों के मुताबिक, प्राइमरी में शिक्षकों की संख्या 3,99,273 और अपर प्राइमरी में 1,64,003 (2016-17 के आंकड़ों के अनुसार) है. यानी 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार शिक्षकों की संख्या करीब 5,63,276 है. हर साल करीब 17 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इस हिसाब से 2017-18, 2018-19, 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में करीब 85 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं जबकि, 69 हजार की भर्ती हुई है. यानी वर्तमान में यह संख्या करीब 5 लाख 47 हजार है.
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