लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के पीजी पाठ्यक्रम में अब दाखिला लेने के बाद अगर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़नी भी पड़ती है, तो आपको पीजी डिप्लोमा मिल जाएगा. विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को परास्नातक स्तर पर लागू कर दिया है. इसको लेकर बुधवार को विश्वविद्यालय में एक विशेष बैठक का भी आयोजन किया गया. इसमें कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के साथ समस्त संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, समन्वयकों और निदेशक शामिल हुए.
कुलपति ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालय के पीजी पाठ्यक्रमों में संशोधन का कार्य पूरा हो गया है. इसकी वजह से विश्वविद्यालय इसी सत्र से नए पाठ्यक्रमों को लागू कर छात्र हित में शुरुआत करने में सक्षम रहा. बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित स्नातक कार्यक्रम के कॉमन पाठ्यक्रम पर भी चर्चा हुई. समस्त संकाय अध्यक्ष और विभागाध्यक्ष से प्रस्तावित पाठ्यक्रमों पर टिप्पणी मांगी और निर्देशित किया कि सभी विभागाध्यक्ष अपने-अपने विषयों के पाठ्यक्रमों पर टिप्पणी और सुधार के सुझाव 19 फरवरी तक उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड कर दें.
यह बदलाव किए गए हैं-
- नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अपने सभी 70 से अधिक स्नातक कार्यक्रमों में संशोधित पाठ्यक्रम लागू करने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय देश का पहला विश्वविद्यालय है.
- नए पाठ्यक्रमों के अंतर्गत विश्वविद्यालय में छात्र कोर कोर्स के साथ-साथ वैल्यू ऐडेड कोर्स, MOOC, इंट्रा डिपार्टमेंटल और इंटर डिपार्टमेंटल कोर्स भी कर पाएंगे.
- छात्र के पास 1 साल बाद पीजी डिप्लोमा लेकर नए कोर्स में एनरोल करने या दूसरी डिग्री के लिए पढ़ाई प्रारंभ करने की या नौकरी के लिए जाने की भी स्वाधीनता रहेगी.
- 2020-21 सत्र से यह पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे और विश्वविद्यालय के साथ सभी संबद्ध महाविद्यालयों में यह पाठ्यक्रम लागू होंगे.