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यूपी की इकोनॉमी को एक ट्रिलियन डॉलर पहुंचाने में योगदान देगा लखनऊ विश्वविद्यालय, ये प्रस्ताव तैयार - लविवि के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय

भारत को वर्ष 2028-29 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था (5 trillion dollar economy) वाला देश बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर (1 trillion dollar economy) तक पहुंचाने में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) अपना सक्रिय योगदान देगा. लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशन में इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. विश्वविद्यालय की तरफ से परिसर में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है.

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Published : Nov 22, 2022, 1:01 PM IST

लखनऊ : भारत को वर्ष 2028-29 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था (5 trillion dollar economy) वाला देश बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर (1 trillion dollar economy) तक पहुंचाने में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) अपना सक्रिय योगदान देगा. लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशन में इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. विश्वविद्यालय की तरफ से परिसर में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. यह सेंटर ओएनजीसी बिल्डिंग में प्रस्तावित है. जिससे पढ़ने वाले छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने में मदद मिलेगी.

बात पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की हो या फिर 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की, विश्वविद्यालय की आय का साधन छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क, विश्वविद्यालय को प्राप्त होने वाले फंड पर निर्भर करती है. ऐसे में विवि को प्राप्त होने वाली प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक अंग होती है. इस बार विवि को रिकाॅर्ड संख्या में विदेशी छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए हैं. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो पूनम टंडन के मुताबिक, 800 आवेदन इस बार विवि को प्राप्त हुए हैं. पहली बार इतनी संख्या में विदेशी छात्रों ने एडमिशन लेने की दिलचस्पी दिखाई है. शायद, इसके पीछे नैक की ग्रेडिंग भी एक बड़ा कारण है. यदि विदेशी छात्रों के पिछले तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 19-20 में जहां 77 विदेशी छात्र थे, वहीं 20-21 में 141 और 21-22 में 125 दाखिले हुए थे. वहीं 22-23 में इनकी संख्या 800 तक पहुंच गयी है. ऐसे में विवि का मानना है कि इतनी संख्या में विदेशी छात्रों के विवि में आगमन से जहां प्रदेश की इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी, वहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी इसका अंश समाहित रहेगा. वहीं विवि को मिलने वाले फंड भी अर्थव्यवस्था का हिस्सा होंगे. कोरोना काल से दो वर्ष पूर्व विवि को तकरीबन 50 से 60 करोड़ रुपए फंड मिले थे, इनमें कई तो विदेशी संस्थानों द्वारा पोषित थे.

विवि की तरफ से इंक्यूबेशन सेंटर खोलने को लेकर शासन से स्वीकृति भी मिल चुकी है. मंजूरी मिलने के बाद विवि की तरफ से इस बावत प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है. अधिकारियों की मानें तो इसका जल्द ही शासन स्तर पर प्रजेंटेशन प्रस्तावित है. विवि में इंक्यूबेशन सेंटर के खुलने से छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए गुर सिखाए जाएंगे, जिससे छात्र यहां से निकलकर खुद का स्टार्टअप शुरू कर देश व प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें. बता दें कि इंक्यूबेशन सेंटर बिजनेस स्किल्स सिखाने और रिस्क को कम करने का काम करते हैं. इसमें स्टार्टअप फाउंडर को एक्सपर्ट एडवाइज और गाइडेंस मिलती है. ये सेंटर खुद तो स्टार्टअप फाउंडर की फाइनेंशियल हेल्प नहीं करते, लेकिन इतने इन्वेस्टर्स से मिलवा देते हैं कि फंडिंग की कोई समस्या नहीं होती. इंक्यूबेशन सेंटर्स की साख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिजनेस की दुनिया में यह माना जाता है कि जिस आइडिया को इंक्यूबेशन सेंटर ने पास कर दिया, यकीनन उसमें पोंटेंशियल होगा.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में छह आईएएस अफसरों का तबादला

लखनऊ : भारत को वर्ष 2028-29 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था (5 trillion dollar economy) वाला देश बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर (1 trillion dollar economy) तक पहुंचाने में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) अपना सक्रिय योगदान देगा. लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशन में इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. विश्वविद्यालय की तरफ से परिसर में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. यह सेंटर ओएनजीसी बिल्डिंग में प्रस्तावित है. जिससे पढ़ने वाले छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने में मदद मिलेगी.

बात पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की हो या फिर 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की, विश्वविद्यालय की आय का साधन छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क, विश्वविद्यालय को प्राप्त होने वाले फंड पर निर्भर करती है. ऐसे में विवि को प्राप्त होने वाली प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक अंग होती है. इस बार विवि को रिकाॅर्ड संख्या में विदेशी छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए हैं. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो पूनम टंडन के मुताबिक, 800 आवेदन इस बार विवि को प्राप्त हुए हैं. पहली बार इतनी संख्या में विदेशी छात्रों ने एडमिशन लेने की दिलचस्पी दिखाई है. शायद, इसके पीछे नैक की ग्रेडिंग भी एक बड़ा कारण है. यदि विदेशी छात्रों के पिछले तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 19-20 में जहां 77 विदेशी छात्र थे, वहीं 20-21 में 141 और 21-22 में 125 दाखिले हुए थे. वहीं 22-23 में इनकी संख्या 800 तक पहुंच गयी है. ऐसे में विवि का मानना है कि इतनी संख्या में विदेशी छात्रों के विवि में आगमन से जहां प्रदेश की इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी, वहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी इसका अंश समाहित रहेगा. वहीं विवि को मिलने वाले फंड भी अर्थव्यवस्था का हिस्सा होंगे. कोरोना काल से दो वर्ष पूर्व विवि को तकरीबन 50 से 60 करोड़ रुपए फंड मिले थे, इनमें कई तो विदेशी संस्थानों द्वारा पोषित थे.

विवि की तरफ से इंक्यूबेशन सेंटर खोलने को लेकर शासन से स्वीकृति भी मिल चुकी है. मंजूरी मिलने के बाद विवि की तरफ से इस बावत प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है. अधिकारियों की मानें तो इसका जल्द ही शासन स्तर पर प्रजेंटेशन प्रस्तावित है. विवि में इंक्यूबेशन सेंटर के खुलने से छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए गुर सिखाए जाएंगे, जिससे छात्र यहां से निकलकर खुद का स्टार्टअप शुरू कर देश व प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें. बता दें कि इंक्यूबेशन सेंटर बिजनेस स्किल्स सिखाने और रिस्क को कम करने का काम करते हैं. इसमें स्टार्टअप फाउंडर को एक्सपर्ट एडवाइज और गाइडेंस मिलती है. ये सेंटर खुद तो स्टार्टअप फाउंडर की फाइनेंशियल हेल्प नहीं करते, लेकिन इतने इन्वेस्टर्स से मिलवा देते हैं कि फंडिंग की कोई समस्या नहीं होती. इंक्यूबेशन सेंटर्स की साख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिजनेस की दुनिया में यह माना जाता है कि जिस आइडिया को इंक्यूबेशन सेंटर ने पास कर दिया, यकीनन उसमें पोंटेंशियल होगा.

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