लखनऊ : उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भले ही कोरोना संक्रमण के इस दौर में परीक्षाएं और प्रैक्टिकल कराने की छूट दे रहे हैं, लेकिन छात्र और शिक्षक इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं. छात्र और शिक्षक नहीं चाहते कि इन हालातों में लखनऊ विश्वविद्यालय की परीक्षाएं कराई जाएं. एक ऑनलाइन सर्वे में 87 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों और शिक्षकों ने परीक्षा न कराने के पक्ष में अपना मत दिया है. छात्रों की मांग है कि प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने के बजाय अगले सत्र में प्रमोट कर दिया जाए.
500 से ज्यादा छात्रों ने किया इनकार
सर्वे में 500 से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया, जिसमें 87 फीसदी छात्रों ने परीक्षाएं टालने की बात कही है. छात्र मनीष का कहना है कि जहां प्रतिदिन विश्वविद्यालय में छात्र, शिक्षक और कर्मचारी संक्रमित हो रहे हैं और लगातार मृत्यु की भी सूचना मिल रही है. ऐसे में परीक्षा को लेकर किसी प्रकार की जल्दबाजी विश्वविद्यालय प्रशासन को महंगी पड़ सकती है.
यह हैं छात्रों के तर्क
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र वैभव ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रमोट कर देना चाहिए, क्योंकि जिस तरह से कोरोना फैल रहा है आने वाले समय में इसका संक्रमण कम होने की उम्मीद नहीं है.
प्रथम सेमेस्टर के छात्रों को प्रमोट करना ज्यादा बेहतर होगा
विश्वविद्यालय के छात्र सुबोध मिश्रा ने कहा कि इन हालातों में परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए. कुलपति महोदय और विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही से महामारी ने पूरे विश्वविद्यालय को अपनी चपेट में ले लिया है. इसलिए छात्रों को प्रमोट करना ज्यादा बेहतर होगा.
इसे भी पढ़ें-शीतला चौकिया मंदिर में कोरोना गाइ़लाइन के खिलाफ पंडों ने दिया धरना