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Lucknow University Museum : यहां संरक्षित है जीवाश्मों का संसार, जानिए 40 हजार साल पुराने हाथी का दांत का इतिहास - world of fossils

लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग में बने म्यूजियम (Lucknow University Museum ) में जीवाश्मों की बड़ी शृंखला संरक्षित है. पूर्व विभागाध्यक्ष व म्यूजियम के संस्थापक प्रोफेसर विभूति राय के अनुसार म्यूजियम में करोड़ों साल पहले धरती पर पाए जाने वाले जीवों और पाषाणों के अवशेष संरक्षित हैं. आम लोगों के अलावा शोधार्थीं यहां से अपने इतिहास की जानकारी हासिल करने के साथ अध्ययन कर सकते हैं.

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Published : Jan 19, 2023, 5:29 PM IST

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लखनऊ : लखनऊ में एक ऐसा अनोखा म्यूजियम है, जिसमें भारत में 40 हजार साल पहले भारत में पाए जाने वाले विशालकाय हाथियों के जीवाश्म संरक्षित है. इस म्यूजियम में मौजूदा हाथियों की तुलना में करीब 4 गुना बड़े हाथी के दांत, कंधे की हड्डी रखी है, जिनका वजन 50 से 100 किलो से अधिक है. इसके अलावा इस म्यूजियम में करोड़ों साल पुराने ऐसे जीवों के जीवाश्म संरक्षित हैं जो मौजूदा समय में धरती पर नहीं पाए जाते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय का यह म्यूजियम भूगर्भ विभाग में बना है. जहां पर आदिमानव तक के समय के जीवों के जीवाश्म को संरक्षित करके रखे हुए हैं.

जीवाश्मों का संसार
जीवाश्मों का संसार
भू विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व म्यूजियम के संस्थापक प्रोफेसर विभूति राय ने बताया कि यह म्यूजियम अपने आप में बहुत ही अनोखा है. यहां पर करोड़ों साल पुराने अवशेष हैं, जो पृथ्वी की कहानी और उस समय रहने वाले जीवों के अवशेष हैं. इनको देखकर लोगों को एहसास होगा कि हकीकत में हमारा इतिहास कैसा है. इस म्यूजियम को वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था. इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में उत्तर भारत का बहुत महत्वपूर्ण संग्रहालय है. यह म्यूजियम दुनिया के उन चंद जियोलॉजी म्यूजियम में शुमार है, जहां आपको जीवों के अवशेष के साथ पृथ्वी से मिलने वाले खनिजों, भूकंप आने के बाद पत्थरों पर जो पैटर्न बनता है उसके निशान के अलावा सभी तरह के क्रिस्टल, रूबी व रत्न उनके प्राकृतिक स्वरूप में देखने को मिलेंगे. इस म्यूजियम में करोड़ों साल के अवशेषों सहित बहुत सी ऐसी नायाब वस्तुएं हैं, जिसे आम लोग कभी भी आकर देख सकते हैं.
जीवाश्मों का संसार
जीवाश्मों का संसार

3.54 मीटर लंबा है हाथी का दांत : म्यूजियम में 40 हज़ार साल पहले पाए जाने वाले स्टीगो डॉन हाथी का दांत मौजूद है. यह हाथी मौजूदा हाथियों की तुलना में लगभग 4 गुना बड़ा होता था. इसका वजह 10 हज़ार किलो का होता था. इस हाथी का बाहरी दांत का अवशेष म्यूजियम में रखा है, जो 3.54 मीटर लंबा है. इसके अलावा इसका मोलर टीथ (चबाने वाला दांत) भी रखा है, जिसका वजन 50 किलो से अधिक है. इसके अलावा इस म्यूजियम में डायनासोर के अंडों के जीवाश्म भी हैं. म्यूजियम में दो उल्कापिंड भी रखे हुए हैं. जो आम आदमी को ऐसे देखने को नहीं मिलेगा.

जीवाश्मों का संसार
जीवाश्मों का संसार
पत्थर रखे हैं जिन्हें कभी देखा भी नहीं होगा : प्रोफेसर विभूति राय बताते हैं कि म्यूजियम में दो हजार से अधिक विभिन्न तरह के पत्थरों के अवशेष, खनिजों के अवशेष व क्रिस्टल रखे हैं, जो किसी भी व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप में देखने को नहीं मिलेंगे. यहां आकर कोई भी व्यक्ति पन्ना, रूबी जैसे रत्नों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में देख सकता है. यह रूप तराशे जाने से पहले प्राकृतिक में किस रूप में पाए जाते हैं और उन्हें कैसे तराश कर नायाब रत्न प्राप्त किया जाता है. यह भी पढ़ें : UP Skill Development Mission : अब स्टार्टअप को भी मिल सकेगा कौशल विकास प्रशिक्षण का मौका, नई नीति लागू

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लखनऊ : लखनऊ में एक ऐसा अनोखा म्यूजियम है, जिसमें भारत में 40 हजार साल पहले भारत में पाए जाने वाले विशालकाय हाथियों के जीवाश्म संरक्षित है. इस म्यूजियम में मौजूदा हाथियों की तुलना में करीब 4 गुना बड़े हाथी के दांत, कंधे की हड्डी रखी है, जिनका वजन 50 से 100 किलो से अधिक है. इसके अलावा इस म्यूजियम में करोड़ों साल पुराने ऐसे जीवों के जीवाश्म संरक्षित हैं जो मौजूदा समय में धरती पर नहीं पाए जाते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय का यह म्यूजियम भूगर्भ विभाग में बना है. जहां पर आदिमानव तक के समय के जीवों के जीवाश्म को संरक्षित करके रखे हुए हैं.

जीवाश्मों का संसार
जीवाश्मों का संसार
भू विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व म्यूजियम के संस्थापक प्रोफेसर विभूति राय ने बताया कि यह म्यूजियम अपने आप में बहुत ही अनोखा है. यहां पर करोड़ों साल पुराने अवशेष हैं, जो पृथ्वी की कहानी और उस समय रहने वाले जीवों के अवशेष हैं. इनको देखकर लोगों को एहसास होगा कि हकीकत में हमारा इतिहास कैसा है. इस म्यूजियम को वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था. इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में उत्तर भारत का बहुत महत्वपूर्ण संग्रहालय है. यह म्यूजियम दुनिया के उन चंद जियोलॉजी म्यूजियम में शुमार है, जहां आपको जीवों के अवशेष के साथ पृथ्वी से मिलने वाले खनिजों, भूकंप आने के बाद पत्थरों पर जो पैटर्न बनता है उसके निशान के अलावा सभी तरह के क्रिस्टल, रूबी व रत्न उनके प्राकृतिक स्वरूप में देखने को मिलेंगे. इस म्यूजियम में करोड़ों साल के अवशेषों सहित बहुत सी ऐसी नायाब वस्तुएं हैं, जिसे आम लोग कभी भी आकर देख सकते हैं.
जीवाश्मों का संसार
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3.54 मीटर लंबा है हाथी का दांत : म्यूजियम में 40 हज़ार साल पहले पाए जाने वाले स्टीगो डॉन हाथी का दांत मौजूद है. यह हाथी मौजूदा हाथियों की तुलना में लगभग 4 गुना बड़ा होता था. इसका वजह 10 हज़ार किलो का होता था. इस हाथी का बाहरी दांत का अवशेष म्यूजियम में रखा है, जो 3.54 मीटर लंबा है. इसके अलावा इसका मोलर टीथ (चबाने वाला दांत) भी रखा है, जिसका वजन 50 किलो से अधिक है. इसके अलावा इस म्यूजियम में डायनासोर के अंडों के जीवाश्म भी हैं. म्यूजियम में दो उल्कापिंड भी रखे हुए हैं. जो आम आदमी को ऐसे देखने को नहीं मिलेगा.

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जीवाश्मों का संसार
पत्थर रखे हैं जिन्हें कभी देखा भी नहीं होगा : प्रोफेसर विभूति राय बताते हैं कि म्यूजियम में दो हजार से अधिक विभिन्न तरह के पत्थरों के अवशेष, खनिजों के अवशेष व क्रिस्टल रखे हैं, जो किसी भी व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप में देखने को नहीं मिलेंगे. यहां आकर कोई भी व्यक्ति पन्ना, रूबी जैसे रत्नों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में देख सकता है. यह रूप तराशे जाने से पहले प्राकृतिक में किस रूप में पाए जाते हैं और उन्हें कैसे तराश कर नायाब रत्न प्राप्त किया जाता है. यह भी पढ़ें : UP Skill Development Mission : अब स्टार्टअप को भी मिल सकेगा कौशल विकास प्रशिक्षण का मौका, नई नीति लागू
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