लखनऊ: राजधानी स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई है. विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह सूची तैयार की गई है. कुलसचिव की ओर से सूची जारी करने के साथ ही इसको लेकर आपत्तियां मांगी गई हैं. कुलसचिव डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सभी शिक्षकों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए 12 सितंबर तक का समय दिया गया है. प्राप्त आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी.
बता दें, लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक लगातार वरिष्ठता सूची जारी किए जाने की मांग कर रहे थे. इसको लेकर कई बार आपत्तियां भी दर्ज कराई गई थी. लेकिन, वरिष्ठता सूची सामने आने के बाद होने वाले विवादों से बचने के लिए प्रशासन लगातार आना-कानी कर रहा था.
यह सूची सामने आने के बाद विश्वविद्यालय में विवाद की स्थितियां खड़ी होने लगी हैं. कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें वरिष्ठता के क्रम में काफी नीचे होने के बावजूद विभाग,संकाय से लेकर प्रशासनिक पदों तक की जिम्मेदारियां दी गई हैं. इसको लेकर काफी आपत्तियां हैं.लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ विनीत वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने केवल और केवल खानापूर्ति की है. पूर्व में उपलब्ध सूची में सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को हटाकर यह सूची जारी की है. जोकि काफी हद तक गलत है. इसमें शिक्षकों की आपत्तियां जो पूर्व में थी उन को यथावत रखा गया है.
- लखनऊ विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज में डीन के पद को लेकर विवाद है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी की गई इस वरिष्ठता सूची में डॉक्टर रतन कुमार को वरिष्ठ बताया गया है. बावजूद इसके वर्तमान में दीन के पद की जिम्मेदारी किसी और व्यक्ति के पास में है.
- आर्ट्स फैकल्टी में प्रोफेसर शशि शुक्ला और प्रोफेसर प्रेम सुमन के बीच में वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा है. इनके विवाद पर फैसला लेने के लिए समिति बैठी हुई है. अभी तक इस समिति की तरफ से कोई फैसला नहीं दिया गया है. लेकिन, पूर्व की लिस्ट में जहां शशि शुक्ला को वरिष्ठ बताया गया था वहीं इस नई वरिष्ठता सूची में प्रोफेसर प्रेम सुमन को वरिष्ठ दिखाया गया है.
- शिकायत यह भी है कि इस वरिष्ठता सूची में तथ्यों को छुपाया गया है. शिक्षकों के मौलिक पदों पर नियुक्ति की तिथि तक नहीं बताई गई है. तथ्यों को छिपाकर मौलिक पद पर बाद में नियुक्त होने वाले शिक्षकों को वरिष्ठता क्रम में ऊपर दिखा दिया गया. जोकि संभव ही नहीं है.
- एजुकेशन डिपार्टमेंट के अरुण कुमार और श्रवण कुमार अभी हाल ही में प्रोफ़ेसर हुए हैं. उनका नाम इस वरिष्ठता सूची में शामिल ही नहीं किया गया है. ना तो प्रोफेसर की लिस्ट में उन्हें रखा गया है और ना ही एसोसिएट प्रोफेसर की लिस्ट में है.
- शिकायत है कि कई ऐसे शिक्षक है जिनका अभी तक विनियमितीकरण ही नहीं हो पाया है. अभी तक उनके मौलिक पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है. बावजूद उसके उन्हें वरिष्ठता सूची में जगह दे दी गई.
यह है शिक्षक संगठन की मांग
शिक्षक संगठन का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नियमों को किनारे कर यह सूची जारी की गई है. जो कि पूरी तरह से गलत है. शिक्षकों में इस सूची को लेकर काफी रोष है.कोई भी शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं है. इसे व्यापक विचार-विमर्श करके तैयार नहीं किया गया है. इसलिए जरूरी है कि इसमें सुधार किया जाए. विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वरिष्ठता सूची जारी करने के साथ ही वह नियम भी बताएं जिनके आधार पर उन्होंने इस सूची को तैयार किया है. शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ विनीत वर्मा ने बताया कि वह इस को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे. कुलाधिपति के समक्ष भी इस प्रकरण को रखा जाएगा.