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वैज्ञानिक डॉ शरद बने लंदन के रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के सदस्य, कई हर्बल चिकित्सा उत्पाद किए विकसित

सीएसआईआर एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक को लंदन की रॉयल सोसाइटी ऑफ़ केमिस्ट्री के फेलो के रूप में चुना गया है. डॉ. श्रीवास्तव (vLucknow scientist Dr Sharad srivastava ) ने औषधीय पौधों के अनुसंधान कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और उन्होंने कई हर्बल चिकित्सा उत्पादों को विकसित किया है.

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Published : Nov 7, 2022, 8:33 PM IST

लखनऊ : सीएसआईआर एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक को लंदन की रॉयल सोसाइटी ऑफ़ केमिस्ट्री के फेलो के रूप में चुना गया है. डॉ. शरद श्रीवास्तव (Lucknow scientist Dr Sharad srivastava) इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिक हैं.

डॉ. श्रीवास्तव ने औषधीय पौधों के अनुसंधान कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और उन्होंने कई हर्बल चिकित्सा उत्पादों को विकसित किया है. डॉ. शरद 200 से अधिक शोध लेख, 33 पेटेंट, 10 पुस्तकें, 39 परियोजनाओं में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने अपने 12 पेटेंट उत्पादों को सफलतापूर्वक इंडस्ट्री को स्थानांतरित कर उनका व्यवसायीकरण भी किया है. उनकी टीम द्वारा विकसित किए हर्बल उत्पादों में मुख्यतः हर्बल डीकंजेस्टेंट स्प्रे, किडनी स्टोन की दवा यूरो-5, हर्बल हैंड सैनिटाइजर आदि शामिल हैं. विश्व की सबसे पुरानी स्थापित सोसायटियों में से एक रॉयल सोसाइटी को वर्ष 1841 में रॉयल परिवार द्वारा बनाया गया था, जिसका मूल उद्देश्य वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं उद्यमियों द्वारा रासायनिक विज्ञान क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को आगे बढ़ाना है. वर्तमान में इस सोसाइटी के पूरे विश्व भर में करीब 54 हज़ार फेलो हैं.

लखनऊ : सीएसआईआर एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक को लंदन की रॉयल सोसाइटी ऑफ़ केमिस्ट्री के फेलो के रूप में चुना गया है. डॉ. शरद श्रीवास्तव (Lucknow scientist Dr Sharad srivastava) इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिक हैं.

डॉ. श्रीवास्तव ने औषधीय पौधों के अनुसंधान कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और उन्होंने कई हर्बल चिकित्सा उत्पादों को विकसित किया है. डॉ. शरद 200 से अधिक शोध लेख, 33 पेटेंट, 10 पुस्तकें, 39 परियोजनाओं में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने अपने 12 पेटेंट उत्पादों को सफलतापूर्वक इंडस्ट्री को स्थानांतरित कर उनका व्यवसायीकरण भी किया है. उनकी टीम द्वारा विकसित किए हर्बल उत्पादों में मुख्यतः हर्बल डीकंजेस्टेंट स्प्रे, किडनी स्टोन की दवा यूरो-5, हर्बल हैंड सैनिटाइजर आदि शामिल हैं. विश्व की सबसे पुरानी स्थापित सोसायटियों में से एक रॉयल सोसाइटी को वर्ष 1841 में रॉयल परिवार द्वारा बनाया गया था, जिसका मूल उद्देश्य वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं उद्यमियों द्वारा रासायनिक विज्ञान क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को आगे बढ़ाना है. वर्तमान में इस सोसाइटी के पूरे विश्व भर में करीब 54 हज़ार फेलो हैं.

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