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लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल, देखिए रिपोर्ट - यूपी में सरकारी विद्यालयों का हाल

राजधानी के सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. विभाग ने इन स्कूलों को मरम्मत के स्थान पर केवल बदहाली के दशा में छोड़ रखा है. ऐसे में नवीं और ग्यारहवीं के पंजीकरण तक में गिरावट दर्ज हो रही है.

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Published : May 20, 2023, 7:33 PM IST

Updated : May 20, 2023, 7:44 PM IST

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.

लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा परिषद व प्रदेश सरकार प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के लाख दावे कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजधानी में कुछ सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जो सरकार की बेरुखी के कारण जमीनदोज़ होने के कगार पर पहुंच गए हैं. सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता न मिलने व स्कूल के फंड में पैसा ना होने के कारण इन विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेन ना होने के कारण यह विद्यालय पूरी तरह से जर्जर व्यवस्था में पहुंच गए हैं. विभाग का दावा है कि कायाकल्प के तहत प्रदेश के विद्यालयों को बेहतर करने के साथ ही वहां इंफ्रास्ट्रक्चर तक मुहैया कराया जा रहा है. राजधानी के स्कूल सरकार के दावों के अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.


विद्यालय का भवन जर्जर : हजरतगंज ऐसे पोस्ट एरिया में स्थित बिशन नारायण इंटर कॉलेज माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त विद्यालय है यह विद्यालय करीब 50 साल से अधिक समय से संचालित हो रहा है एक समय इस विद्यालय क्या दसों लखनऊ व आसपास के शहरों तक फैला हुआ था पर आज यह विद्यालय सरकार की बेरुखी व अनदेखी का खामियाजा भुगतने को मजबूर है. रखरखाव के अभाव में इस विद्यालय में एक भी कमरा ऐसा नहीं है उसे सुरक्षित कहा जा सके यहां तक कि विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि अगर वह चंदा कराकर विद्यालय की छत व दीवारों को रिपेयर ना कराए तो बरसात में यहां कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके अलावा विद्यालय में इस भीषण गर्मी में बच्चे 1 पंखे के सहारे तीन शेड के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है. वहीं विद्यालय में मौजूदा समय में करीब डेढ़ सौ विद्यार्थी कक्षा 6 से 12 तक अध्ययनरत हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए करीब 5 से 6 टीचर ही इस विद्यालय में मौजूद हैं. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि विद्यालय में अंग्रेजी, मैथ व साइंस जैसे प्रमुख विषय के टीचर नहीं है. ऐसे में छात्र संख्या बढ़ाने में काफी दिक्कतें हो रही हैं. जो बच्चे नौवीं से बारहवीं तक यहां पढ़ाई भी कर रहे हैं, तो उनको आर्ट्स के टीचरों द्वारा पढ़ाने को मजबूर है. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने व विद्यालय कैसा शिक्षा में सुधार करने के लिए बजट की मांग को लेकर कई बार जिला विद्यालय निरीक्षक व शासन को पत्र भेजा गया है पर इसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
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सात टीचर और छात्र संख्या 200 भी नहीं, बिल्डिंग पूरी जर्जर : पुराने एलडीए ऑफिस के ठीक सामने स्थित वर्ष 1948 में बना लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज एक समय राजधानी के प्रतिष्ठित माध्यमिक विद्यालयों में से एक था. आज इस विद्यालय की स्थिति यह है कि इसके आधे से ज्यादा कमरे एकदम खंडहर हो चुके हैं. जो कमरे कक्षाओं के तौर पर यूज भी हो रहे हैं वह भी काफी खस्ताहाल है कभी भी कोई भी बड़ा हादसा इन विद्यालयों में हो सकता. मौजूदा समय में इस विद्यालय में सात शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं करीब 200 छात्र यहां पर पढ़ रहे हैं. इस विद्यालय में भी कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की भारी कमी है. विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर व दूसरी सुविधाओं की घोर कमी होने के कारण लगातार इसकी छात्र संख्या गिरती जा रही है. सरकार से फंड के नाम पर कोई मदद ना मिलने के कारण विद्यालय प्रबंधक इस विद्यालय के मरम्मत ऐसा स्ट्रक्चर पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिस कारण से यह विद्यालय अब एकदम खंडहर की स्थिति में पहुंच गया है.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.


सरकार को इन विद्यालयों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए : माध्यमिक शिक्षा संघ के प्रदेश मंत्री व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि राजधानी में विशन नारायण इंटर कॉलेज, लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज, इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज सहित आधा दर्जन एडिट इंटर कॉलेज ऐसे हैं. जिनकी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं. प्रबंधकों के पास पैसा ना होने के कारण वह उसके मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं देते. लगातार गिरती छात्र संख्या ने इन विद्यालयों को और भी पीछे धकेल दिया है. सरकार की ओर से विद्यालयों की भौतिक स्थिति को सुधारने के लिए कायाकल्प योजना सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन विद्यालयों को देखकर लगता है कि सरकार इनकी और बिल्कुल आंखें मूंदे बैठी है. अगर सरकार इन विद्यालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधार दे तो यहां पर आज भी छात्र प्रवेश ले सकते हैं. इस पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडे का कहना है कि विद्यालयों की खस्ताहाल स्थिति के बारे में शासन को अवगत करा दिया गया है. जल्द ही इंफ़्रास्ट्रक्चर सहित दूसरी चीजों के लिए जो भी जरूरी मदद होगा वह मुहैया कराया जाएगा.

यह भी पढ़ें : छोटी उम्र में बन गए बड़े चोर लाखों के आभूषण और नकदी बरामद

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.

लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा परिषद व प्रदेश सरकार प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के लाख दावे कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजधानी में कुछ सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जो सरकार की बेरुखी के कारण जमीनदोज़ होने के कगार पर पहुंच गए हैं. सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता न मिलने व स्कूल के फंड में पैसा ना होने के कारण इन विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेन ना होने के कारण यह विद्यालय पूरी तरह से जर्जर व्यवस्था में पहुंच गए हैं. विभाग का दावा है कि कायाकल्प के तहत प्रदेश के विद्यालयों को बेहतर करने के साथ ही वहां इंफ्रास्ट्रक्चर तक मुहैया कराया जा रहा है. राजधानी के स्कूल सरकार के दावों के अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.


विद्यालय का भवन जर्जर : हजरतगंज ऐसे पोस्ट एरिया में स्थित बिशन नारायण इंटर कॉलेज माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त विद्यालय है यह विद्यालय करीब 50 साल से अधिक समय से संचालित हो रहा है एक समय इस विद्यालय क्या दसों लखनऊ व आसपास के शहरों तक फैला हुआ था पर आज यह विद्यालय सरकार की बेरुखी व अनदेखी का खामियाजा भुगतने को मजबूर है. रखरखाव के अभाव में इस विद्यालय में एक भी कमरा ऐसा नहीं है उसे सुरक्षित कहा जा सके यहां तक कि विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि अगर वह चंदा कराकर विद्यालय की छत व दीवारों को रिपेयर ना कराए तो बरसात में यहां कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके अलावा विद्यालय में इस भीषण गर्मी में बच्चे 1 पंखे के सहारे तीन शेड के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है. वहीं विद्यालय में मौजूदा समय में करीब डेढ़ सौ विद्यार्थी कक्षा 6 से 12 तक अध्ययनरत हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए करीब 5 से 6 टीचर ही इस विद्यालय में मौजूद हैं. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि विद्यालय में अंग्रेजी, मैथ व साइंस जैसे प्रमुख विषय के टीचर नहीं है. ऐसे में छात्र संख्या बढ़ाने में काफी दिक्कतें हो रही हैं. जो बच्चे नौवीं से बारहवीं तक यहां पढ़ाई भी कर रहे हैं, तो उनको आर्ट्स के टीचरों द्वारा पढ़ाने को मजबूर है. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने व विद्यालय कैसा शिक्षा में सुधार करने के लिए बजट की मांग को लेकर कई बार जिला विद्यालय निरीक्षक व शासन को पत्र भेजा गया है पर इसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.

सात टीचर और छात्र संख्या 200 भी नहीं, बिल्डिंग पूरी जर्जर : पुराने एलडीए ऑफिस के ठीक सामने स्थित वर्ष 1948 में बना लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज एक समय राजधानी के प्रतिष्ठित माध्यमिक विद्यालयों में से एक था. आज इस विद्यालय की स्थिति यह है कि इसके आधे से ज्यादा कमरे एकदम खंडहर हो चुके हैं. जो कमरे कक्षाओं के तौर पर यूज भी हो रहे हैं वह भी काफी खस्ताहाल है कभी भी कोई भी बड़ा हादसा इन विद्यालयों में हो सकता. मौजूदा समय में इस विद्यालय में सात शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं करीब 200 छात्र यहां पर पढ़ रहे हैं. इस विद्यालय में भी कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की भारी कमी है. विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर व दूसरी सुविधाओं की घोर कमी होने के कारण लगातार इसकी छात्र संख्या गिरती जा रही है. सरकार से फंड के नाम पर कोई मदद ना मिलने के कारण विद्यालय प्रबंधक इस विद्यालय के मरम्मत ऐसा स्ट्रक्चर पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिस कारण से यह विद्यालय अब एकदम खंडहर की स्थिति में पहुंच गया है.

लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.
लखनऊ के कई सरकारी विद्यालयों से छात्र गुल, समस्याएं फुल.


सरकार को इन विद्यालयों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए : माध्यमिक शिक्षा संघ के प्रदेश मंत्री व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि राजधानी में विशन नारायण इंटर कॉलेज, लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज, इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज सहित आधा दर्जन एडिट इंटर कॉलेज ऐसे हैं. जिनकी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं. प्रबंधकों के पास पैसा ना होने के कारण वह उसके मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं देते. लगातार गिरती छात्र संख्या ने इन विद्यालयों को और भी पीछे धकेल दिया है. सरकार की ओर से विद्यालयों की भौतिक स्थिति को सुधारने के लिए कायाकल्प योजना सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन विद्यालयों को देखकर लगता है कि सरकार इनकी और बिल्कुल आंखें मूंदे बैठी है. अगर सरकार इन विद्यालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधार दे तो यहां पर आज भी छात्र प्रवेश ले सकते हैं. इस पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडे का कहना है कि विद्यालयों की खस्ताहाल स्थिति के बारे में शासन को अवगत करा दिया गया है. जल्द ही इंफ़्रास्ट्रक्चर सहित दूसरी चीजों के लिए जो भी जरूरी मदद होगा वह मुहैया कराया जाएगा.

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Last Updated : May 20, 2023, 7:44 PM IST
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