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खुद की मुसीबत भूल गए पुलिसवाले, क्योंकि तोड़नी है कोरोना संक्रमण की चेन - कोविड-19 प्रोटोकाल

राजधानी में कोरोना संक्रमण के बीच लखनऊ पुलिस लोगों की लगातार मदद कर रही है. कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जो कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद, होम आइसोलेशन में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. साथ ही लोगों को कोरोना से जागरूक कर रहे हैं ताकि संक्रमण की चेन तोड़ी जा सके.

कोरोना से लड़ाई में पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से मोर्चे पर डटी
कोरोना से लड़ाई में पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से मोर्चे पर डटी
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Published : Apr 22, 2021, 4:22 PM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना से लड़ाई में पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से मोर्चे पर डटी हुई है. हाल यह है कि पुलिस अधिकारी कोरोना संक्रमित होने पर भी होम आइसोलेशन में रहते हुए ड्यूटी निभा रहे हैं. फोन पर मातहतों के संपर्क में रहकर दिशा-निर्देश देने के साथ ही अन्य काम भी निपटा रहे हैं.

संक्रमण से हालत बिगड़ी, लेकिन कर्फ्यू पालन कराने की चिंता सता रही
डीसीपी साउथ रवि कुमार कोरोना संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेशन में रहे. इस दौरान वह संक्रमण के बाद भी लगातार विभागीय जिम्मेदारी निपटाते रहे. परिजनों के अनुसार, रवि आइसोलेशन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल और रात्रिकालीन कर्फ्यू का पालन कराने को लेकर चिंतित रहते थे. इस संबंध में वह अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन पर बराबर दिशा-निर्देश दे रहे थे. मगर रविवार को संक्रमण से उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. अभी वह अस्पताल में ही हैं.

कोविड-19 ने बढ़ा दी जिम्मेदारी, उसे पूरा करना पहला फर्ज
एडीसीपी साउथ पूर्णेन्दु सिंह भी कोरोना संक्रमित होने के बावजूद होम आइसोलेशन में कोरोना से जंग में अपना योगदान दे रहे हैं. इस दौरान पूर्णेन्दु ने बताया कि वह सुबह उठकर कुछ देर प्राणायाम करते हैं. इसके बाद मातहतों से फोन से कोविड प्रोटोकॉल और रात्रि कालीन कर्फ्यू को लेकर अपडेट लेते हैं और अन्य जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं. पूर्णेन्दु सिंह का कहना है कि कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए इस वक्त पुलिस की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. ऐसे में वह सिर्फ अपना फर्ज निभा रहे हैं.

मौजूदा हालात गंभीर, विशेष ध्यान देने की जरूरत
इंस्पेक्टर चौक विश्वजीत सिंह भी कई दिन पहले कोरोना से संक्रमित हुए थे. इस दौरान वह कोतवाली परिसर में स्थित अपने आवास में ही क्वारंटाइन हुए. विश्वजीत सिंह भी सुबह से देर रात तक सभी जिम्मेदारियों को फोन से ही निभा रहे हैं. विश्वजीत का कहना है कि उनके क्षेत्र में ही केजीएमयू का कोविड-19 अस्पताल है. मौजूदा हालात में व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना जरूरी है.

संक्रमण की चेन तोड़ना जरूरी
इंस्पेक्टर विभूति खंड चंद्रशेखर सिंह भी होम आइसोलेशन में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. चंद्रशेखर का कहना है कि कोरोना को लेकर हालात गंभीर हो गए हैं. संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. चंद्रशेखर का कहना है कि बीमार होने पर भी अपना फर्ज निभाने में कोई कोताही न हो, इसका पूरा प्रयास कर रहा हूं.

मरीजों के लिए ऑक्सीजन लेकर पहुंचते ये जवान
राजधानी में कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करना आसान नहीं है. ऐसे गरीब असहाय लोगों के लिए लखनऊ कमिश्नरेट में तैनात उपनिरीक्षक नितिन यादव फरिश्ता बनकर सामने आए हैं. दारोगा नितिन ने दो ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं और 3 सिलेंडर की व्यवस्था अपने डॉक्टर दोस्तों से मांग कर की है. वह ऑक्सीजन का सिलेंडर जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं. साथ ही नितिन युवाओं के एक व्हाट्सएप ग्रुप से भी जुड़े हुए हैं. इस ग्रुप में मदद मांगने वालों को वह दवा आदि भी मुहैया करा रहे हैं. नितिन का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए जरूरतमंद लोगों की मदद करना हर किसी का नैतिक दायित्व है.

पुलिस के वाहन से पहुंचाए ऑक्सीजन सिलेंडर
नितिन यादव ने बताया कि बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमित लोगों के परिजन ट्विटर पर लगातार मदद की गुहार लगा रहे थे. इसी बीच एक व्यक्ति ने लखनऊ पुलिस को टैग करते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की. ट्वीट करने वाले से संपर्क करने पर पता चला कि पीजीआई क्षेत्र के एक प्राइवेट अस्पताल में 11 मरीज ऐसे हैं, जिनकी हालत बहुत नाजुक है. अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो जाने से उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है. नितिन ने साथियों के सहयोग से हॉस्पिटल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रबंध किया, जहां मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी. उन्होंने बताया कि अस्पताल के पास सिलेंडर लाने के लिए वाहन की व्यवस्था भी नहीं थी, जिसके बाद पुलिस विभाग के वाहन से ही आक्सीजन सिलेंडरों को अस्पताल तक पहुंचाया गया.

इसे भी पढ़ें:- मुख्तार अंसारी 24 साल से बन रहा विधायक, 13 साल में ज्यादातर रहा बैरक में

लखनऊ: राजधानी में कोरोना से लड़ाई में पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से मोर्चे पर डटी हुई है. हाल यह है कि पुलिस अधिकारी कोरोना संक्रमित होने पर भी होम आइसोलेशन में रहते हुए ड्यूटी निभा रहे हैं. फोन पर मातहतों के संपर्क में रहकर दिशा-निर्देश देने के साथ ही अन्य काम भी निपटा रहे हैं.

संक्रमण से हालत बिगड़ी, लेकिन कर्फ्यू पालन कराने की चिंता सता रही
डीसीपी साउथ रवि कुमार कोरोना संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेशन में रहे. इस दौरान वह संक्रमण के बाद भी लगातार विभागीय जिम्मेदारी निपटाते रहे. परिजनों के अनुसार, रवि आइसोलेशन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल और रात्रिकालीन कर्फ्यू का पालन कराने को लेकर चिंतित रहते थे. इस संबंध में वह अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन पर बराबर दिशा-निर्देश दे रहे थे. मगर रविवार को संक्रमण से उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. अभी वह अस्पताल में ही हैं.

कोविड-19 ने बढ़ा दी जिम्मेदारी, उसे पूरा करना पहला फर्ज
एडीसीपी साउथ पूर्णेन्दु सिंह भी कोरोना संक्रमित होने के बावजूद होम आइसोलेशन में कोरोना से जंग में अपना योगदान दे रहे हैं. इस दौरान पूर्णेन्दु ने बताया कि वह सुबह उठकर कुछ देर प्राणायाम करते हैं. इसके बाद मातहतों से फोन से कोविड प्रोटोकॉल और रात्रि कालीन कर्फ्यू को लेकर अपडेट लेते हैं और अन्य जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं. पूर्णेन्दु सिंह का कहना है कि कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए इस वक्त पुलिस की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. ऐसे में वह सिर्फ अपना फर्ज निभा रहे हैं.

मौजूदा हालात गंभीर, विशेष ध्यान देने की जरूरत
इंस्पेक्टर चौक विश्वजीत सिंह भी कई दिन पहले कोरोना से संक्रमित हुए थे. इस दौरान वह कोतवाली परिसर में स्थित अपने आवास में ही क्वारंटाइन हुए. विश्वजीत सिंह भी सुबह से देर रात तक सभी जिम्मेदारियों को फोन से ही निभा रहे हैं. विश्वजीत का कहना है कि उनके क्षेत्र में ही केजीएमयू का कोविड-19 अस्पताल है. मौजूदा हालात में व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना जरूरी है.

संक्रमण की चेन तोड़ना जरूरी
इंस्पेक्टर विभूति खंड चंद्रशेखर सिंह भी होम आइसोलेशन में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. चंद्रशेखर का कहना है कि कोरोना को लेकर हालात गंभीर हो गए हैं. संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. चंद्रशेखर का कहना है कि बीमार होने पर भी अपना फर्ज निभाने में कोई कोताही न हो, इसका पूरा प्रयास कर रहा हूं.

मरीजों के लिए ऑक्सीजन लेकर पहुंचते ये जवान
राजधानी में कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करना आसान नहीं है. ऐसे गरीब असहाय लोगों के लिए लखनऊ कमिश्नरेट में तैनात उपनिरीक्षक नितिन यादव फरिश्ता बनकर सामने आए हैं. दारोगा नितिन ने दो ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं और 3 सिलेंडर की व्यवस्था अपने डॉक्टर दोस्तों से मांग कर की है. वह ऑक्सीजन का सिलेंडर जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं. साथ ही नितिन युवाओं के एक व्हाट्सएप ग्रुप से भी जुड़े हुए हैं. इस ग्रुप में मदद मांगने वालों को वह दवा आदि भी मुहैया करा रहे हैं. नितिन का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए जरूरतमंद लोगों की मदद करना हर किसी का नैतिक दायित्व है.

पुलिस के वाहन से पहुंचाए ऑक्सीजन सिलेंडर
नितिन यादव ने बताया कि बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमित लोगों के परिजन ट्विटर पर लगातार मदद की गुहार लगा रहे थे. इसी बीच एक व्यक्ति ने लखनऊ पुलिस को टैग करते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की. ट्वीट करने वाले से संपर्क करने पर पता चला कि पीजीआई क्षेत्र के एक प्राइवेट अस्पताल में 11 मरीज ऐसे हैं, जिनकी हालत बहुत नाजुक है. अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो जाने से उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है. नितिन ने साथियों के सहयोग से हॉस्पिटल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रबंध किया, जहां मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी. उन्होंने बताया कि अस्पताल के पास सिलेंडर लाने के लिए वाहन की व्यवस्था भी नहीं थी, जिसके बाद पुलिस विभाग के वाहन से ही आक्सीजन सिलेंडरों को अस्पताल तक पहुंचाया गया.

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