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वाह रे यूपी पुलिस! अच्छे खासे जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में साबित किया मृत - जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में बताया मृत

यूपी की राजधानी लखनऊ में पुलिस का नया कारनामा सामने आया है. जहां पुलिस ने एक जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में मृत घोषित कर दिया है. इस पूरे मामले में कोर्ट ने एसएचओ मड़ियांव को भी तलब किया है.

सियाराम.
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Published : Sep 20, 2019, 10:22 AM IST

लखनऊ: सीएम योगी की हाईटेक पुलिस का नया कारनामा सामने आया है. थाना मड़ियांव पुलिस ने जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में मुर्दा बताया है. मामला बाराबंकी जिले से जुड़ा हुआ है, जहां के रहने वाले सियाराम को मड़ियांव पुलिस ने जिंदा होते हुए भी मृत घोषित कर दिया.

पुलिस ने जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित किया.

गैरहाजिर चल रहा सियाराम
वर्ष 2013 में बाराबंकी के दनियालपुर में रहने वाले सियाराम रावत को सीजीएम बाराबंकी ने एक मामले में 3 साल की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद वह काफी समय से गैरहाजिर चल रहा था, जिसके बाद कोर्ट ने सियाराम के खिलाफ वारंट जारी किया था. सीजीएम कोर्ट के माध्यम से थाना मड़ियांव पुलिस को सियाराम की जानकारी देने के लिए कहा गया था. मड़ियांव पुलिस ने कोर्ट में 16 अगस्त को दी रिपोर्ट में बताया कि सियाराम की मौत हो चुकी है.

हाईकोर्ट ने SHO मड़ियांव को किया तलब
यूपी पुलिस का यह कारनामा तब सामने आया जब सियाराम वारंट कैंसिल कराने कोर्ट जा पहुंचा. सियाराम ने बताया कि वह 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ता खुर्द, गायत्री नगर में रह रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के जज ऋतुराज अवस्थी ने गुरुवार को एसएचओ मड़ियांव को तलब किया. वहीं गुरुवार को न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार ने सुनवाई करते हुए एसएचओ मड़ियांव को कांस्टेबल स्वरूप सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं. कार्रवाई को लेकर ईटीवी भारत ने जब पुलिस अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने मामले की जानकारी न होते हुए कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

जीवित सियाराम का कहना है कि झगड़ा हुआ था. मैं करीब 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ताखुर्द, गायत्री नगर में रहता हूं. बाराबंकी के दनियालपुर का रहने वाला हूं. पत्नी का देहांत हो चुका है. पुलिस कभी मुझसे मिलने नहीं आई.

सियाराम के वकील विवेक चंद्रा का कहना है कि 2013 में सियाराम को सीजीएम बाराबंकी ने 3 साल की सजा सुनाई. सजा होने के बाद मुकदमा क्रिमिनल डिवीजन हाइकोर्ट में फाइल किया गया, जहां पर इनकी बेल मंजूर हो गई. अगस्त में इनके खिलाफ वारंट जारी हुआ. वारंट सर्व थ्रू सीजीएम के लिए कोर्ट ने आदेशित किया. वारंट जाने के बाद सीजीएम ने एसएचओ मडियांव के लिए जानकारी देने के लिए कहा. पुलिस आंख्या में सीजीएम को लिख कर दिया कि सियाराम की मौत हो चुकी है. जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएचओ मड़ियांव को तलब किया और पूछा गया कि आखिर किस आधार पर ऐसी रिपोर्ट लगाई गई.

लखनऊ: सीएम योगी की हाईटेक पुलिस का नया कारनामा सामने आया है. थाना मड़ियांव पुलिस ने जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में मुर्दा बताया है. मामला बाराबंकी जिले से जुड़ा हुआ है, जहां के रहने वाले सियाराम को मड़ियांव पुलिस ने जिंदा होते हुए भी मृत घोषित कर दिया.

पुलिस ने जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित किया.

गैरहाजिर चल रहा सियाराम
वर्ष 2013 में बाराबंकी के दनियालपुर में रहने वाले सियाराम रावत को सीजीएम बाराबंकी ने एक मामले में 3 साल की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद वह काफी समय से गैरहाजिर चल रहा था, जिसके बाद कोर्ट ने सियाराम के खिलाफ वारंट जारी किया था. सीजीएम कोर्ट के माध्यम से थाना मड़ियांव पुलिस को सियाराम की जानकारी देने के लिए कहा गया था. मड़ियांव पुलिस ने कोर्ट में 16 अगस्त को दी रिपोर्ट में बताया कि सियाराम की मौत हो चुकी है.

हाईकोर्ट ने SHO मड़ियांव को किया तलब
यूपी पुलिस का यह कारनामा तब सामने आया जब सियाराम वारंट कैंसिल कराने कोर्ट जा पहुंचा. सियाराम ने बताया कि वह 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ता खुर्द, गायत्री नगर में रह रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के जज ऋतुराज अवस्थी ने गुरुवार को एसएचओ मड़ियांव को तलब किया. वहीं गुरुवार को न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार ने सुनवाई करते हुए एसएचओ मड़ियांव को कांस्टेबल स्वरूप सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं. कार्रवाई को लेकर ईटीवी भारत ने जब पुलिस अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने मामले की जानकारी न होते हुए कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

जीवित सियाराम का कहना है कि झगड़ा हुआ था. मैं करीब 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ताखुर्द, गायत्री नगर में रहता हूं. बाराबंकी के दनियालपुर का रहने वाला हूं. पत्नी का देहांत हो चुका है. पुलिस कभी मुझसे मिलने नहीं आई.

सियाराम के वकील विवेक चंद्रा का कहना है कि 2013 में सियाराम को सीजीएम बाराबंकी ने 3 साल की सजा सुनाई. सजा होने के बाद मुकदमा क्रिमिनल डिवीजन हाइकोर्ट में फाइल किया गया, जहां पर इनकी बेल मंजूर हो गई. अगस्त में इनके खिलाफ वारंट जारी हुआ. वारंट सर्व थ्रू सीजीएम के लिए कोर्ट ने आदेशित किया. वारंट जाने के बाद सीजीएम ने एसएचओ मडियांव के लिए जानकारी देने के लिए कहा. पुलिस आंख्या में सीजीएम को लिख कर दिया कि सियाराम की मौत हो चुकी है. जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएचओ मड़ियांव को तलब किया और पूछा गया कि आखिर किस आधार पर ऐसी रिपोर्ट लगाई गई.

Intro:एक्सक्लूसिव

नोट : कुछ विजुअल रैप से भी भेजे जाएंगे

... जब कोर्ट में हाजिर हुआ 'मुर्दा'

सीएम योगी की हाईटेक पुलिस का नया कारनामा आया सामने

लखनऊ : ... जब कोर्ट में हाजिर हुआ 'मुर्दा'। जी हां, यह सुनने में बड़ा अजीब लग रहा होगा। लेकिन, यह दिलचस्प वाकया लखनऊ हाई कोर्ट में हुआ। राजधानी के मड़ियांव थाना क्षेत्र में रहने वाला सियाराम रावत जब जज के सामने पहुंचा तो वह हैरान हो गए।
सीएम योगी की हाईटेक पुलिस का नया कारनामा सामने आया है। थाना मड़ियांव पुलिस ने जिंदा व्यक्ति को कोर्ट में मुर्दा बताया है। दरअसल, मामला बाराबंकी जिले से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2013 में बाराबंकी के दनियालपुर में रहने वाले सियाराम रावत को सीजीएम बाराबंकी ने एक मामले में 3 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद वह काफी समय से गैरहाजिर चल रहा था। जिसके बाद कोर्ट ने सियाराम के खिलाफ वारंट जारी किया था। सीजीएम कोर्ट के माध्यम से थाना मड़ियांव पुलिस को सियाराम की जानकारी करने के लिए कहा गया था। मड़ियांव पुलिस ने कोर्ट में 16 अगस्त को दी रिपोर्ट में बताया कि सियाराम की मौत हो चुकी है। यूपी पुलिस का यह कारनामा तब सामने आया जब सियाराम वारंट कैंसिल कराने कोर्ट पहुंचा। सियाराम ने बताया कि वह 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ता खुर्द, गायत्री नगर में रह रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट के जज ऋतुराज अवस्थी ने गुरुवार को एसएचओ मड़ियांव को तलब किया। वहीं गुरुवार को न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार ने सुनवाई करते हुए एसएचओ मड़ियांव को कांस्टेबल स्वरूप सिंह के खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वायरी करने का निर्देश दिया है।
वहीं कार्रवाई को लेकर ईटीवी भारत ने जब पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मामले की जानकारी न होते हुए कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।




Body:बाइट वन- सियाराम रावत

झगड़ा हुआ था। मैं करीब 25 साल से मड़ियांव स्थित नौबस्ताखुर्द गायत्री नगर में रहता हूं। बाराबंकी के दनियालपुर का रहने वाला हूं। पत्नी का देहांत हो चुका है। यहां बेटे, बहुएं व उनके बच्चे साथ में रहते हैं। पुलिस कभी मुझ से नहीं मिली नहीं पता कहां से रिपोर्ट लगा दी है।

बाइट दो- विवेक चंद्रा, सियाराम के वकील

सियाराम रावत को सन 2013 में सीजीएम बाराबंकी ने 3 साल की सजा सुनाई। सजा होने के बाद मुकदमा क्रिमिनल डिवीजन हाइकोर्ट में फाइल किया गया, जहां पर इनकी बेल मंजूर हो गई। जिसके बाद से यह प्रकरण अभी तक चला आ रहा है। अगस्त में इनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी हुआ। वारंट सर्व थ्रू सीजीएम के लिए कोर्ट ने आदेशित किया। वारंट जाने के बाद सीजीएम ने एसएचओ मडियांव के लिए जानकारी देने के लिए कहा। एसएसओ साहब ने पता नहीं अपने कार्यवाहक को भेजा या नहीं भेजा। उन्होंने अपनी आंख्या में सीजीएम को लिख कर दिया कि सियाराम की मौत हो चुकी है। हमने यहां पर बेल रिकॉल एप्लीकेशन फाइल की, जिसमें हमने बेलेबल वारंट को खत्म करने के लिए कहा। सीजीएम की रिपोर्ट जब कोर्ट में देखी गई, जिसमें एसएचओ साहब की रिपोर्ट पर सीजीएम ने भी अपनी रिपोर्ट
बनाई थी, जिसमें सियाराम को मृत घोषित किया गया था। उस रिपोर्ट के अनुसार 13-9-2019 को जस्टिस ऋतुराज अवस्थी साहब के यहां मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएचओ मड़ियांव को तलब किया गया और पूछा गया कि किस आधार पर ऐसी रिपोर्ट दी गई है।






Conclusion:राहुल श्रीवास्तव, लखनऊ
8318787082

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