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ऑटो चोरी के खेल में लखनऊ-कानुपर आरटीओ के कर्मचारी रडार पर

राजधानी में लखनऊ पुलिस ने चोरी के 10 ऑटो को चिन्हित कर बरामद किया है. वहीं ऑटो बेचने वाले 7 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया है. अब पुलिस की पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं, जिसमें लखनऊ और कानपुर आरटीओ में तैनात कई अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं. लखनऊ पुलिस इनके खिलाफ सबूत जुटा रही है, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

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ऑटो चोरी के मामले में 7 लोग गिरफ्तार हुए.
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Published : Sep 19, 2020, 10:17 AM IST

लखनऊ: बीते दिनों लखनऊ पुलिस ने लग्जरी गाड़ियों की चोरी करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 100 से भी अधिक लग्जरी गाड़ियों बरामद की थी और कई लोगों को जेल भेजा था. वहीं अब लखनऊ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चोरी के 10 ऑटो को बरामद किया है और 7 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

गिरोह के सरगना असलम खान से पुलिस ने लंबी पूछताछ की है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं. असलम खान ने लखनऊ और कानपुर आरटीओ में तैनात कई अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम लिए हैं, जिनके खिलाफ लखनऊ पुलिस सबूत जुटा रही है. सबूत मिलने के बाद आरटीओ में तैनात कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

नियम के तहत 15 वर्ष पुराने ऑटो को निष्प्रयोज्य ( सड़क पर चलने के लिए अवैध) माना जाता है. ऐसे में 15 वर्ष पुराने ऑटो को आरटीओ में जमा किया जाता है, जिसके बाद इन ऑटो को कबाड़ी वाले को बेच दिया जाता है, लेकिन चोरी के ऑटो बेचने वाले गिरोह आरटीओ में तैनात कर्मचारी और कबाड़ी वाले की मदद से इन ऑटो के चेचिस नंबर बदलकर व फर्जी दस्तावेज बनाकर ऑटो को सड़कों पर उतार देते हैं और इन्हें बेच कर मोटी रकम वसूली जाती है.

लखनऊ पुलिस ने ऐसे ऑटो को चिन्हित किया था, जिसके बाद 10 ऑटो को जब्त किया गया था. वहीं ऑटो बेचने वाले 7 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया. अब लखनऊ पुलिस चोरी के ऑटो बेचने में सहयोग करने वाले आरटीओ के कर्मचारी और कबाड़ी वाले की पहचान करने में जुटी है. कुछ ऑडियो द्वारा कर्मचारियों को चिन्हित किया गया है. इनके बारे में सबूत मिलते ही कार्रवाई की जाएगी. डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑटो चोरी के गिरोह में आरटीओ ऑफिस में तैनात कर्मचारियों की भूमिका निकल के सामने आई है. सबूतों के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी.


गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में यह बात निकलकर सामने आई थी कि गिरोह कई वर्षों से चोरी के ऑटो को बेचने का काम करते थे. पुलिस ने अब तक 60 ऑटो को चिन्हित किया है, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सड़कों पर संचालित है. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के तहत निष्प्रयोजित ऑटो को कबाड़ी वाले से 10 से 12 हजार में खरीदा जाता है, जिसके बाद इसके दस्तावेज तैयार कर इसे 50 से 60 हजार रुपये में बेच दिया जाता है. चोरी के ऑटो बेचने वाला गिरोह आरटीओ की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे, जिसके आधार पर यह ऑटो बेचे जाते हैं.

लखनऊ: बीते दिनों लखनऊ पुलिस ने लग्जरी गाड़ियों की चोरी करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 100 से भी अधिक लग्जरी गाड़ियों बरामद की थी और कई लोगों को जेल भेजा था. वहीं अब लखनऊ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चोरी के 10 ऑटो को बरामद किया है और 7 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

गिरोह के सरगना असलम खान से पुलिस ने लंबी पूछताछ की है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं. असलम खान ने लखनऊ और कानपुर आरटीओ में तैनात कई अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम लिए हैं, जिनके खिलाफ लखनऊ पुलिस सबूत जुटा रही है. सबूत मिलने के बाद आरटीओ में तैनात कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

नियम के तहत 15 वर्ष पुराने ऑटो को निष्प्रयोज्य ( सड़क पर चलने के लिए अवैध) माना जाता है. ऐसे में 15 वर्ष पुराने ऑटो को आरटीओ में जमा किया जाता है, जिसके बाद इन ऑटो को कबाड़ी वाले को बेच दिया जाता है, लेकिन चोरी के ऑटो बेचने वाले गिरोह आरटीओ में तैनात कर्मचारी और कबाड़ी वाले की मदद से इन ऑटो के चेचिस नंबर बदलकर व फर्जी दस्तावेज बनाकर ऑटो को सड़कों पर उतार देते हैं और इन्हें बेच कर मोटी रकम वसूली जाती है.

लखनऊ पुलिस ने ऐसे ऑटो को चिन्हित किया था, जिसके बाद 10 ऑटो को जब्त किया गया था. वहीं ऑटो बेचने वाले 7 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया. अब लखनऊ पुलिस चोरी के ऑटो बेचने में सहयोग करने वाले आरटीओ के कर्मचारी और कबाड़ी वाले की पहचान करने में जुटी है. कुछ ऑडियो द्वारा कर्मचारियों को चिन्हित किया गया है. इनके बारे में सबूत मिलते ही कार्रवाई की जाएगी. डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑटो चोरी के गिरोह में आरटीओ ऑफिस में तैनात कर्मचारियों की भूमिका निकल के सामने आई है. सबूतों के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी.


गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में यह बात निकलकर सामने आई थी कि गिरोह कई वर्षों से चोरी के ऑटो को बेचने का काम करते थे. पुलिस ने अब तक 60 ऑटो को चिन्हित किया है, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सड़कों पर संचालित है. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के तहत निष्प्रयोजित ऑटो को कबाड़ी वाले से 10 से 12 हजार में खरीदा जाता है, जिसके बाद इसके दस्तावेज तैयार कर इसे 50 से 60 हजार रुपये में बेच दिया जाता है. चोरी के ऑटो बेचने वाला गिरोह आरटीओ की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे, जिसके आधार पर यह ऑटो बेचे जाते हैं.

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