लखनऊ: केजीएमयू में एक अफसर के बेटे को नौकरी देने की लंबी पटकथा तैयार की गई. बेटे को पहले प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सीनियर रेजीडेंट की नौकरी दी गई. वहां उसका एक साल का अनुभव पूरा होते ही स्थाई शिक्षक भर्ती का पिटारा खोल दिया गया. मेधावियों को दरकिनार कर नेपाल से पढ़कर आए अफसर के बेटे को शिक्षक बना दिया गया.
आरोपों की हुई पड़ताल
केजीएमयू में शिक्षकभर्ती में हुए घपले की शिकायत के बाद ईटीवी भारत ने आरोपों की पड़ताल शुरू की. संस्थान के जिम्मेदार जहां अफसर के बेटे को शिक्षक बनाने के फैसले को जायज ठहरा रहे हैं. वहीं केजीएमयू से पास व एम्स में नौकरी करने वाले मेधावियों को दरकिनार करने के सवालों पर 'चयन समिति' के फैसले का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं.
अफसर के बेटे को मिली नौकरी
अफसर के बेटे को नौकरी देने के लिए पहले प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सीनियर रेजीडेंट के पद पर तैनात किया गया. शिक्षक भर्ती के लिए एक साल का अनुभव आवश्यक होता है. यह काम प्लास्टिक सर्जरी में बड़े पद पर तैनात सगे संबंधी की तैनाती के दौरान हुआ. वहीं जैसे ही बेटे का अनुभव वर्ष 2019 में पूरा हुआ. प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डंप स्थाई शिक्षक भर्ती का पिटारा खोल दिया गया. इसके बाद नेपाल से एमबीबीएस, केरल से प्राइवेट में डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का साक्षात्कार लेकर शिक्षक बना दिया गया. वहीं मेडिकल की सरकारी प्रवेश परीक्षा पास कर देश के टॉप संस्थानों से एमबीबीएस, एमएस व एमसीएच की पढ़ाई करने वाले मेधावियों को दरकिनार कर दिया गया. संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने पहले तो अफसर के बेटे को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेजीडेंट डॉक्टर की नौकरी मिलने संबंधी जानकारी होने से इनकार किया. बाद में उन्होंने शिक्षक भर्ती को नियमों के अनुसार बता दिया.
आरक्षित वर्ग की सीटें हुईं गायब
केजीएमयू में आरक्षण रोस्टर में भी खेल किया गया. चहेतों को नौकरी देने के लिए मनमाफिक सीटों पर विज्ञापन जारी कर दिया गया. मेडिकल व दंत विभाग के रेजीडेंट की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में आरक्षित वर्ग की सीटें गायब कर दी गईं. इसको लेकर आरक्षित वर्ग के शिक्षकों ने विरोध किया. यह देखकर साक्षात्कार प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दी गई. वहीं 26 फरवरी को बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने भी मुख्यमंत्री से आरक्षण रोस्टर व अन्य गड़बड़ियों की शिकायत की मगर संस्थान की मनमानी जारी रही.
वीडियो रिकॉर्डिंग से सच आएगा सामने
बता दें कि भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का नाम, पता, जाति और धर्म चयन समिति के सामने गोपनीय रखा जाता है. कमेटी के समक्ष हाजिर होने से पहले उसे एक कोड आवंटित कर दिया जाता है. उसी कोड से अभ्यार्थी को बुलाया जाता है. वहीं एक अभ्यार्थी के मुताबिक केजीएमयू में चहेतों को शिक्षक बनाने के लिए इन नियमों को तार-तार किया जा रहा है. हाल में ही शिक्षक प्रमोशन साक्षात्कार मसले पर भी सवाल उठे हैं. एससी-एसटी आयोग ने संस्थान से प्रमोशन कमेटी की रिकार्डिंग तलब की है. यदि राजभवन भी वीडियो रिकॉर्डिंग तलब करता है, तो शिक्षक भर्ती में इंटरव्यू की आड़ में चल रहे खेल का भंडाफोड़ हो सकता है.
यह है मामला
केजीएमयू के 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती चल रही है. महीनों से मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार चल रहे हैं. इंटरव्यू के लिफाफे एक-एक कर खुल रहे हैं. विभिन्न विभागों की नियुक्तियों में कारनामे भी उजागर हो रहे हैं. नवनियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई है. मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री व राज्यपाल से शिकायत की थी. आठ मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब कर ली. सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग और रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती पर लगा है.
ये सवाल मांग रहे जवाब
प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है, ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक, छात्रों को एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की मगर उनका चयन नहीं हुआ. वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया. खास बात यह भी है कि चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्स ऋषिकेश में शिक्षक पद पर है. उसे भी नेपाल से डिग्री लेने वाले अफसर के बेटे के आगे निकाल दिया गया. यही नहीं केजीएमयू से पास सीनियर रेजीडेंट करने वाले अभ्यर्थी को भी नकार दिया गया. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.