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आम के बेहतर उत्पादन के लिए पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए किया जाए सरल प्रावधान

आम के बेहतर फलन, अच्छे उत्पादन और न्यूनतम रोग के लिए वैज्ञानिक तकनीकी से आम के पेड़ों की कटाई छंटाई के लिए अवध आम उत्पादन समिति ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में बागवानों को हो रहीं समस्याओं के समाधान की मांग की गई है.

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Published : Aug 7, 2023, 4:17 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश मे आम की बागवानी कई वर्षों से की जा रही है. माल मलिहाबाद व अन्य कई जगहों पर आम के पेड़ हैं. ज्यादातर आम के बागों की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा होने से इनकी ऊंचाई भी अत्यधिक हो गई है. जिससे पेड़ों में लकड़ी ज्यादा और पत्ते कम हैं. जिससे उनमें स्प्रे व आमों की तुड़ाई में दिक्कतें होती है. इनमें लागत ज्यादा और फायदा कम मिलता है. इस क्षेत्र के किसानों के पास आय का अन्य कोई जरिया भी नहीं है. किसानों और बागवानों की समस्याओं को लेकर अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पुराने हो चुके पेड़ों के कटाई छंटाई के लिए सरल विधि और अनुमित देने की मांग की है.

अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.


अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि पहले पुराने हो चुके पेड़ों की कटाई छंटाई के लिए उनकी ऊंचाई को कम करने के लिए एक रिजूवनेशन तकनीकी अपनाई जाती थी. इसमें लकड़ी का डिस्पोजल रिजूवनेशन का कार्य करने वालों की कमी से बहुत सारे पेड़ों का सूख जाने के कारण इस तकनीक का बहुत ज्यादा प्रचलन नहीं हो पाया. अब किसान चाहते हैं कि कोई विधि निकल आए जिससे सरकारी महकमों का चक्कर न लगाना पड़े और कटाई छंटाई में आम के वृक्ष भी न मरें और आम के पेड़ों की ऊंचाई भी कम हो जाए. जिससे पेड़ों में पत्ते आने लगें. जिससे किसानों अच्छा उत्पादन मिल सके.


  • पेड़ की शाखाओं की लंबाई और ऊंचाई का 60% नीचे का हिस्सा छोड़कर शेष ऊपर का 40% काट दिया जाए. यदि पेड़ से पेड़ की दूरी 10 मीटर है तो 6 मीटर छोड़कर 4 मीटर भाग काट दिया जाए तो पेड़ जीवित बचा रहेगा या काटने की ऊंचाई अलग-अलग दूरी पर लगाए गए पौधों के अनुसार व्यवस्थित की जा सकती है.
  • जिन पौधों में बहुत सारी शाखाएं तने से निकल रही हैं. उनमें प्राथमिक शाखाओं के अतिरिक्त शाखाओं को उनके आधार से काट दिया जाए एवं चार या पांच मुख्य शाखाएं ही सुरक्षित रखी जाए ऐसा करने से पेड़ नहीं सूखता है और शाखाओं की भीड़ भी कम हो जाएगी.
  • पेड़ की मुख्य शाखा काटकर ऊपर का हिस्सा खुला रखने से भी भीड़ नहीं होगी.
  • गुणवत्ता युक्त कीटनाशक उपलब्धता कराई जाए एवं कोरोगेटेड बॉक्स, कैरेट एवं कारवेस्टर की सुनिश्चित कराई जांच कराई जाए.
  • निजी नलकूप के लिए किसानों से फिक्स चार्ज लिया जाए निःशुल्क कोई भी स्थाई समाधान नहीं है



महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया तकनीक का उपयोग करने से सुधार भी हो जाएगा और उसकी मृत्यु भी नहीं होगी. इस तकनीक को नोटिफाई करके किसानों को निर्देशित कर दिया जाए. किसान अपने बगीचे में इस्तेमाल कर सकते हैं. कटाई-छंटाई के लिए वह अपने बगीचे का नंबरों की संख्या ऊंचाई कितनी है. इसकी सूचना उद्यान विभाग को दे दें. इसके लिए किसानों को वन विभाग का चक्कर काटना न पड़े. उद्यान विभाग उचित समझता है तो कटाई करते समय उद्यान विभाग निरीक्षण कर ले, अगर दिए गए से ज्यादा कटाई हो रही है तो किसान के ऊपर उचित कार्रवाई की जाए, अन्यथा कार्य करने दिया जाए. उपरोक्त बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो बहुत सारे किसान आगे आकर कटाई छंटाई करेंगे, जिससे आम की बिगड़ती दशा और अर्थव्यवस्था दोनों में सुधार होगा.

यह भी पढ़ें : राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल, राहत के बाद पहली बार संसद भवन पहुंचे

लखनऊ : उत्तर प्रदेश मे आम की बागवानी कई वर्षों से की जा रही है. माल मलिहाबाद व अन्य कई जगहों पर आम के पेड़ हैं. ज्यादातर आम के बागों की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा होने से इनकी ऊंचाई भी अत्यधिक हो गई है. जिससे पेड़ों में लकड़ी ज्यादा और पत्ते कम हैं. जिससे उनमें स्प्रे व आमों की तुड़ाई में दिक्कतें होती है. इनमें लागत ज्यादा और फायदा कम मिलता है. इस क्षेत्र के किसानों के पास आय का अन्य कोई जरिया भी नहीं है. किसानों और बागवानों की समस्याओं को लेकर अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पुराने हो चुके पेड़ों के कटाई छंटाई के लिए सरल विधि और अनुमित देने की मांग की है.

अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति का पत्र.


अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि पहले पुराने हो चुके पेड़ों की कटाई छंटाई के लिए उनकी ऊंचाई को कम करने के लिए एक रिजूवनेशन तकनीकी अपनाई जाती थी. इसमें लकड़ी का डिस्पोजल रिजूवनेशन का कार्य करने वालों की कमी से बहुत सारे पेड़ों का सूख जाने के कारण इस तकनीक का बहुत ज्यादा प्रचलन नहीं हो पाया. अब किसान चाहते हैं कि कोई विधि निकल आए जिससे सरकारी महकमों का चक्कर न लगाना पड़े और कटाई छंटाई में आम के वृक्ष भी न मरें और आम के पेड़ों की ऊंचाई भी कम हो जाए. जिससे पेड़ों में पत्ते आने लगें. जिससे किसानों अच्छा उत्पादन मिल सके.


  • पेड़ की शाखाओं की लंबाई और ऊंचाई का 60% नीचे का हिस्सा छोड़कर शेष ऊपर का 40% काट दिया जाए. यदि पेड़ से पेड़ की दूरी 10 मीटर है तो 6 मीटर छोड़कर 4 मीटर भाग काट दिया जाए तो पेड़ जीवित बचा रहेगा या काटने की ऊंचाई अलग-अलग दूरी पर लगाए गए पौधों के अनुसार व्यवस्थित की जा सकती है.
  • जिन पौधों में बहुत सारी शाखाएं तने से निकल रही हैं. उनमें प्राथमिक शाखाओं के अतिरिक्त शाखाओं को उनके आधार से काट दिया जाए एवं चार या पांच मुख्य शाखाएं ही सुरक्षित रखी जाए ऐसा करने से पेड़ नहीं सूखता है और शाखाओं की भीड़ भी कम हो जाएगी.
  • पेड़ की मुख्य शाखा काटकर ऊपर का हिस्सा खुला रखने से भी भीड़ नहीं होगी.
  • गुणवत्ता युक्त कीटनाशक उपलब्धता कराई जाए एवं कोरोगेटेड बॉक्स, कैरेट एवं कारवेस्टर की सुनिश्चित कराई जांच कराई जाए.
  • निजी नलकूप के लिए किसानों से फिक्स चार्ज लिया जाए निःशुल्क कोई भी स्थाई समाधान नहीं है



महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया तकनीक का उपयोग करने से सुधार भी हो जाएगा और उसकी मृत्यु भी नहीं होगी. इस तकनीक को नोटिफाई करके किसानों को निर्देशित कर दिया जाए. किसान अपने बगीचे में इस्तेमाल कर सकते हैं. कटाई-छंटाई के लिए वह अपने बगीचे का नंबरों की संख्या ऊंचाई कितनी है. इसकी सूचना उद्यान विभाग को दे दें. इसके लिए किसानों को वन विभाग का चक्कर काटना न पड़े. उद्यान विभाग उचित समझता है तो कटाई करते समय उद्यान विभाग निरीक्षण कर ले, अगर दिए गए से ज्यादा कटाई हो रही है तो किसान के ऊपर उचित कार्रवाई की जाए, अन्यथा कार्य करने दिया जाए. उपरोक्त बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो बहुत सारे किसान आगे आकर कटाई छंटाई करेंगे, जिससे आम की बिगड़ती दशा और अर्थव्यवस्था दोनों में सुधार होगा.

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