लखनऊ : उत्तर प्रदेश मे आम की बागवानी कई वर्षों से की जा रही है. माल मलिहाबाद व अन्य कई जगहों पर आम के पेड़ हैं. ज्यादातर आम के बागों की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा होने से इनकी ऊंचाई भी अत्यधिक हो गई है. जिससे पेड़ों में लकड़ी ज्यादा और पत्ते कम हैं. जिससे उनमें स्प्रे व आमों की तुड़ाई में दिक्कतें होती है. इनमें लागत ज्यादा और फायदा कम मिलता है. इस क्षेत्र के किसानों के पास आय का अन्य कोई जरिया भी नहीं है. किसानों और बागवानों की समस्याओं को लेकर अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पुराने हो चुके पेड़ों के कटाई छंटाई के लिए सरल विधि और अनुमित देने की मांग की है.
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि पहले पुराने हो चुके पेड़ों की कटाई छंटाई के लिए उनकी ऊंचाई को कम करने के लिए एक रिजूवनेशन तकनीकी अपनाई जाती थी. इसमें लकड़ी का डिस्पोजल रिजूवनेशन का कार्य करने वालों की कमी से बहुत सारे पेड़ों का सूख जाने के कारण इस तकनीक का बहुत ज्यादा प्रचलन नहीं हो पाया. अब किसान चाहते हैं कि कोई विधि निकल आए जिससे सरकारी महकमों का चक्कर न लगाना पड़े और कटाई छंटाई में आम के वृक्ष भी न मरें और आम के पेड़ों की ऊंचाई भी कम हो जाए. जिससे पेड़ों में पत्ते आने लगें. जिससे किसानों अच्छा उत्पादन मिल सके.
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महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया तकनीक का उपयोग करने से सुधार भी हो जाएगा और उसकी मृत्यु भी नहीं होगी. इस तकनीक को नोटिफाई करके किसानों को निर्देशित कर दिया जाए. किसान अपने बगीचे में इस्तेमाल कर सकते हैं. कटाई-छंटाई के लिए वह अपने बगीचे का नंबरों की संख्या ऊंचाई कितनी है. इसकी सूचना उद्यान विभाग को दे दें. इसके लिए किसानों को वन विभाग का चक्कर काटना न पड़े. उद्यान विभाग उचित समझता है तो कटाई करते समय उद्यान विभाग निरीक्षण कर ले, अगर दिए गए से ज्यादा कटाई हो रही है तो किसान के ऊपर उचित कार्रवाई की जाए, अन्यथा कार्य करने दिया जाए. उपरोक्त बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो बहुत सारे किसान आगे आकर कटाई छंटाई करेंगे, जिससे आम की बिगड़ती दशा और अर्थव्यवस्था दोनों में सुधार होगा.
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