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एक अनोखी पहलः भिखारियों को रोजगार देगा लखनऊ नगर निगम - lucknow news

राजधानी लखनऊ में साढे चार हजार से ज्यादा लोग भीख मांगकर गुजारा करते हैं. लखनऊ नगर निगम ऐसे भिखारियों के पुनर्वास की तैयारी कर रहा है. उन्हें नगर निगम के आश्रय स्थल में रखा जाएगा और उनकी कार्यक्षमता के अनुसार रोजगार भी दिया जाएगा.

भिखारियों को पुनर्वास और रोजगार देगा लखनऊ नगर निगम
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Published : Jun 28, 2019, 7:50 PM IST

लखनऊः भीख मांगने की कुप्रथा आजादी के बाद से अब तक देश में चली आ रही है. हर शहर में चौराहों से लेकर धार्मिक स्थलों तक ऐसे लोगों की भरमार देखने को मिलती है, जो भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं. भिखारियों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों का कहना है कि मादक पदार्थों का नशा एक ऐसी बड़ी समस्या है, जो भिखारियों के पुनर्वास में आड़े आती है.

भिखारियों को रोजगार और पुनर्वास देगा लखनऊ नगर निगम.

क्या है पूरा मामलाः

  • राजधानी लखनऊ में भी ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है, जो भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं.
  • एक निजी सामाजिक संस्था के सर्वे के अनुसार 6 साल पहले लखनऊ में वयस्क भिखारियों की तादाद साढ़े चार हजार से ज्यादा थी.
  • नगर निगम प्रशासन इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बड़ी पहल करने जा रहा है.
  • इसके लिए भिखारियों की एक सूची तैयार की जा रही है.
  • प्रथम चरण में भिखारियों को नगर निगम के आश्रय स्थल तकरोही में रखा जाएगा.
  • उन्हें कार्य क्षमता के अनुसार नगर निगम में सफाई या अन्य कार्य पूरा करने का अवसर भी दिया जाएगा.

भिखारियों को पुनर्वास के लिहाज से उन्हें रोजगार दिया जाना जरूरी है. केवल आश्रय स्थल ही नहीं, उन्हें विभिन्न कार्यों से जोड़ने की भी योजना पर काम किया जा रहा है. इस योजना पर अगले महीने से अमल किया जाएगा.
-डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त लखनऊ

लखनऊः भीख मांगने की कुप्रथा आजादी के बाद से अब तक देश में चली आ रही है. हर शहर में चौराहों से लेकर धार्मिक स्थलों तक ऐसे लोगों की भरमार देखने को मिलती है, जो भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं. भिखारियों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों का कहना है कि मादक पदार्थों का नशा एक ऐसी बड़ी समस्या है, जो भिखारियों के पुनर्वास में आड़े आती है.

भिखारियों को रोजगार और पुनर्वास देगा लखनऊ नगर निगम.

क्या है पूरा मामलाः

  • राजधानी लखनऊ में भी ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है, जो भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं.
  • एक निजी सामाजिक संस्था के सर्वे के अनुसार 6 साल पहले लखनऊ में वयस्क भिखारियों की तादाद साढ़े चार हजार से ज्यादा थी.
  • नगर निगम प्रशासन इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बड़ी पहल करने जा रहा है.
  • इसके लिए भिखारियों की एक सूची तैयार की जा रही है.
  • प्रथम चरण में भिखारियों को नगर निगम के आश्रय स्थल तकरोही में रखा जाएगा.
  • उन्हें कार्य क्षमता के अनुसार नगर निगम में सफाई या अन्य कार्य पूरा करने का अवसर भी दिया जाएगा.

भिखारियों को पुनर्वास के लिहाज से उन्हें रोजगार दिया जाना जरूरी है. केवल आश्रय स्थल ही नहीं, उन्हें विभिन्न कार्यों से जोड़ने की भी योजना पर काम किया जा रहा है. इस योजना पर अगले महीने से अमल किया जाएगा.
-डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त लखनऊ

Intro:लखनऊ .उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साढे चार हजार से ज्यादा लोग भीख मांगकर गुजारा करते हैं. लखनऊ नगर निगम प्रशासन ऐसे भिखारियों के पुनर्वास की तैयारी कर रहा है उन्हें नगर निगम के आश्रय स्थल में रखा जाएगा और उनकी कार्यक्षमता के अनुसार रोजगार भी दिलाया जाएगा.


Body:भीख मांगने की कुप्रथा आजादी के बाद से अब तक देश में चली आ रही है हर शहर में चौराहों से लेकर धार्मिक स्थलों तक ऐसे लोगों की भरमार देखने को मिलती है जो भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है एक निजी सामाजिक संस्था के सर्वे के अनुसार 6 साल पहले लखनऊ में वयस्क भिखारियों की तादाद साढ़े चार हजार से ज्यादा थी लखनऊ नगर निगम प्रशासन इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बड़ी पहल करने जा रहा है । इसके लिए भिखारियों की एक सूची तैयार की जा रही है । प्रथम चरण में भिखारियों को नगर निगम के आश्रय स्थल तकरोही में रखा जाएगा बाद में उन्हें कार्य क्षमता के अनुसार नगर निगम में सफाई या अन्य कार्य पूरा करने का अवसर भी दिया जाएगा। नगर आयुक्त डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी के अनुसार भिखारियों को पुनर्वास के लिहाज से उन्हें रोजगार दिया जाना जरूरी है इसलिए केवल आश्रय स्थल ही नहीं उन्हें विभिन्न कार्यों से जोड़ने की भी योजना पर काम किया जा रहा है इस योजना पर अगले महीने से अमल किया जाएगा.

बाइट /डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी नगर आयुक्त लखनऊ


Conclusion:लखनऊ शहर में बड़ी तादाद में मौजूद भिखारियों के पुनर्वास में कई समस्याएं भी हैं। भिखारियों के बारे में काम करने वाले सामाजिक संगठनों का कहना है कि मादक पदार्थों का नशा एक ऐसी बड़ी समस्या है जो भिखारियों के पुनर्वास में आड़े आती है।

पीटीसी अखिलेश तिवारी
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