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दूसरी वर्षगांठ पर मेट्रो प्रशासन दे रहा मुफ्त यात्रा का तोहफा, जाने कौन होंगे पात्र - उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर व्यावसायिक सेवा

आज लखनऊ मेट्रो उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर व्यावसायिक सेवा आरंभ होने के दो साल पूरे हो रहे हैं. दूसरी वर्षगांठ पर मेट्रो प्रशासन गो-स्मार्ट कार्ड धारकों को मुफ्त यात्रा का तोहफा दे रहा है. आरंभ होने से अब तक कुल राइडरशिप तीन करोड़ के पार पहुंची.

मेट्रो प्रशासन दे रहा मुफ्त यात्रा का तोहफा
मेट्रो प्रशासन दे रहा मुफ्त यात्रा का तोहफा
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Published : Mar 8, 2021, 7:32 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी व गोरखपुर में मेट्रो रेल परियोजना का कार्य किया जा रहा है. सोमवार को लखनऊ मेट्रो उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर व्यावसायिक सेवा आरंभ होने के दो साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर लखनऊ मेट्रो कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.

लखनऊ वासियों को मेट्रो पर भरोसा
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने इस अवसर पर लखनऊ वासियों से मिल रहे समर्थन और भरोसे के लिए उनका आभार जताया है. उन्होंने भविष्य में भी पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ यात्रियों की सेवा करते रहने के लिए प्रबिद्धता व्यक्त की है.

कैसा रहा लखनऊ मेट्रो का अब तक का सफर

लखनऊ मेट्रो का अब तक का सफर कई चुनौतियों और उपलब्धियों से भरा रहा है. 8 मार्च 2019 को सम्पूर्ण उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर मेट्रो सेवा आरंभ कर लखनऊ मेट्रो ने देश में सबसे तेज मेट्रो परियोजना के निर्माण और निष्पादन का कीर्तिमान स्थापित किया था. 'सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया‘ तक 23 किमी. लंबे उत्तर-दक्षिणी काॅरिडोर को पूरी तरह बनकर तैयार होने होने में चार साल छह माह से भी कम का वक़्त लगा, जो इसके निर्माण के लिए तय की गई निर्धारित अवधि से भी कम था. यह परियोजना अपने तय बजट के अंदर निर्धारित अवधि से 36 दिन पहले सम्पन्न हुआ. इससे पूर्व लखनऊ मेट्रो के प्राॅयरिटी सेक्शन ‘ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग मेट्रो स्टेशन‘ पर व्यावसायिक सेवा की शुरुआत पांच सितंबर 2017 को हुई थी. यह उपलब्धि लखनऊ मेट्रो ने महज तीन साल की अवधि में ही प्राप्त कर ली थी.


गो-स्मार्ट कार्ड धारक करेंगे मुफ्त यात्रा
लखनऊ मेट्रो के उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर की व्यवसायिक सेवा के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यूपी मेट्रो ने सभी गो-स्मार्ट कार्ड उपभोक्ताओं को 8 मार्च के दिन मुफ्त यात्रा सेवा प्रदान करने का निर्णय लिया है. मेट्रो की गो-स्मार्ट कार्ड सुविधा यात्रियों के लिए आसान और सस्ती यात्रा सुलभ कराती है. गो-स्मार्ट कार्ड धारक को प्रत्येक यात्रा पर 10 प्रतिशत की छूट मिलती है, साथ ही इससे यात्रियों के समय की भी बचत होती है. एक गो-स्मार्ट कार्ड का मूल्य मात्र 200 रुपये है, जिसमें से 100 रुपये सिक्योरिटी राशि है. रजिस्टर्ड कार्डधारक मेट्रो स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं. इस कार्ड को ऑनलाइन भी रिचार्ज किया जा सकता है. इससे हाउस टैक्स और बीएसएनएल फोन बिल का भुगतान भी संभव है.

23 किलोमीटर के रनवे पर 343 फेरे लगाती है मेट्रो
लखनऊ मेट्रो की मेट्रो ट्रेन सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच 23 किलोमीटर लंबे उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर में प्रतिदिन 343 फेरे लगाती है. मेट्रो की यह सार्वजनिक परिवहन प्रणाली सुरक्षित होने के साथ-साथ पर्यावरण के दृष्टि से भी अनुकूल है. यात्रा के अन्य माध्यमों की तुलना में भी यह सस्ती और आरामदायक है, साथ ही यहां विशेष यात्रियों और महिलाओं की सहूलियत का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. कोविड के मद्देनजर सुरक्षित और सुगम यात्रा के लिए सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. इस साल की शुरुआत से अल्ट्रावायलेट किरणों से मेट्रो ट्रेनों के कोच को सैनिटाइज करने वाली लखनऊ मेट्रो देश की पहली मेट्रो सेवा बन गई है. इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि पिछले साल सात सितंबर 2020 से मेट्रो सेवा के फिर से शुरू होने के बाद से मेट्रो की यात्री संख्या में लगातार सुधार हुआ है. लखनऊ मेट्रो 42 हजार यात्री संख्या के साथ कोरोना पूर्व की राइडरशिप का 65 प्रतिशत पहले ही हासिल कर चुकी है. हालांकि इसी वक्त में अन्य राज्यों की मेट्रो सेवाओं की राइडरशिप रिकवरी काफी कम है. कोविड के बाद के दौर में इस वर्ष 15 फरवरी 2021 को लखनऊ मेट्रो की राइडरशिप 42,515 तक पहुंच गई थी.

मेट्रो में समय की अहमियत
अगर मेट्रो सेवा अपने समय से 59 सेकंड से अधिक पीछे हो तो उसे लेट माना जाना है. लखनऊ मेट्रो ने अपनी सेवा के दौरान 99.99 प्रतिशत की दर से यात्रियों को समयबद्ध सेवा दी है. लखनऊ मेट्रो ने यह उपलब्धि ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) तकनीक के माध्यम से हासिल की है. यह संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली या कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मेट्रो ट्रेनों की निगरानी के साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि इनमें किसी तरह की देरी न हो. यह ऑटोमेटिक सिस्टम पूरे ट्रेन परिचालन का पर्यवेक्षण व विश्लेषण कर मेट्रो ट्रेनों को नियत समयसारिणी पर चलने के लिए निर्देशित करता है. इस सिस्टम की बदौलत लखनऊ मेट्रो के अब तक के तीन सालों की सेवा में एक भी दुर्घटना घटित नहीं हुई है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी व गोरखपुर में मेट्रो रेल परियोजना का कार्य किया जा रहा है. सोमवार को लखनऊ मेट्रो उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर व्यावसायिक सेवा आरंभ होने के दो साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर लखनऊ मेट्रो कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.

लखनऊ वासियों को मेट्रो पर भरोसा
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने इस अवसर पर लखनऊ वासियों से मिल रहे समर्थन और भरोसे के लिए उनका आभार जताया है. उन्होंने भविष्य में भी पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ यात्रियों की सेवा करते रहने के लिए प्रबिद्धता व्यक्त की है.

कैसा रहा लखनऊ मेट्रो का अब तक का सफर

लखनऊ मेट्रो का अब तक का सफर कई चुनौतियों और उपलब्धियों से भरा रहा है. 8 मार्च 2019 को सम्पूर्ण उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर मेट्रो सेवा आरंभ कर लखनऊ मेट्रो ने देश में सबसे तेज मेट्रो परियोजना के निर्माण और निष्पादन का कीर्तिमान स्थापित किया था. 'सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया‘ तक 23 किमी. लंबे उत्तर-दक्षिणी काॅरिडोर को पूरी तरह बनकर तैयार होने होने में चार साल छह माह से भी कम का वक़्त लगा, जो इसके निर्माण के लिए तय की गई निर्धारित अवधि से भी कम था. यह परियोजना अपने तय बजट के अंदर निर्धारित अवधि से 36 दिन पहले सम्पन्न हुआ. इससे पूर्व लखनऊ मेट्रो के प्राॅयरिटी सेक्शन ‘ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग मेट्रो स्टेशन‘ पर व्यावसायिक सेवा की शुरुआत पांच सितंबर 2017 को हुई थी. यह उपलब्धि लखनऊ मेट्रो ने महज तीन साल की अवधि में ही प्राप्त कर ली थी.


गो-स्मार्ट कार्ड धारक करेंगे मुफ्त यात्रा
लखनऊ मेट्रो के उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर की व्यवसायिक सेवा के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यूपी मेट्रो ने सभी गो-स्मार्ट कार्ड उपभोक्ताओं को 8 मार्च के दिन मुफ्त यात्रा सेवा प्रदान करने का निर्णय लिया है. मेट्रो की गो-स्मार्ट कार्ड सुविधा यात्रियों के लिए आसान और सस्ती यात्रा सुलभ कराती है. गो-स्मार्ट कार्ड धारक को प्रत्येक यात्रा पर 10 प्रतिशत की छूट मिलती है, साथ ही इससे यात्रियों के समय की भी बचत होती है. एक गो-स्मार्ट कार्ड का मूल्य मात्र 200 रुपये है, जिसमें से 100 रुपये सिक्योरिटी राशि है. रजिस्टर्ड कार्डधारक मेट्रो स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं. इस कार्ड को ऑनलाइन भी रिचार्ज किया जा सकता है. इससे हाउस टैक्स और बीएसएनएल फोन बिल का भुगतान भी संभव है.

23 किलोमीटर के रनवे पर 343 फेरे लगाती है मेट्रो
लखनऊ मेट्रो की मेट्रो ट्रेन सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच 23 किलोमीटर लंबे उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर में प्रतिदिन 343 फेरे लगाती है. मेट्रो की यह सार्वजनिक परिवहन प्रणाली सुरक्षित होने के साथ-साथ पर्यावरण के दृष्टि से भी अनुकूल है. यात्रा के अन्य माध्यमों की तुलना में भी यह सस्ती और आरामदायक है, साथ ही यहां विशेष यात्रियों और महिलाओं की सहूलियत का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. कोविड के मद्देनजर सुरक्षित और सुगम यात्रा के लिए सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. इस साल की शुरुआत से अल्ट्रावायलेट किरणों से मेट्रो ट्रेनों के कोच को सैनिटाइज करने वाली लखनऊ मेट्रो देश की पहली मेट्रो सेवा बन गई है. इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि पिछले साल सात सितंबर 2020 से मेट्रो सेवा के फिर से शुरू होने के बाद से मेट्रो की यात्री संख्या में लगातार सुधार हुआ है. लखनऊ मेट्रो 42 हजार यात्री संख्या के साथ कोरोना पूर्व की राइडरशिप का 65 प्रतिशत पहले ही हासिल कर चुकी है. हालांकि इसी वक्त में अन्य राज्यों की मेट्रो सेवाओं की राइडरशिप रिकवरी काफी कम है. कोविड के बाद के दौर में इस वर्ष 15 फरवरी 2021 को लखनऊ मेट्रो की राइडरशिप 42,515 तक पहुंच गई थी.

मेट्रो में समय की अहमियत
अगर मेट्रो सेवा अपने समय से 59 सेकंड से अधिक पीछे हो तो उसे लेट माना जाना है. लखनऊ मेट्रो ने अपनी सेवा के दौरान 99.99 प्रतिशत की दर से यात्रियों को समयबद्ध सेवा दी है. लखनऊ मेट्रो ने यह उपलब्धि ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) तकनीक के माध्यम से हासिल की है. यह संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली या कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मेट्रो ट्रेनों की निगरानी के साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि इनमें किसी तरह की देरी न हो. यह ऑटोमेटिक सिस्टम पूरे ट्रेन परिचालन का पर्यवेक्षण व विश्लेषण कर मेट्रो ट्रेनों को नियत समयसारिणी पर चलने के लिए निर्देशित करता है. इस सिस्टम की बदौलत लखनऊ मेट्रो के अब तक के तीन सालों की सेवा में एक भी दुर्घटना घटित नहीं हुई है.

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