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Health News : मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज, इन बातों का रखें ख्याल - बलरामपुर अस्पताल

मानसून में बदलाव के कारण सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में त्वचा रोग, वायरल फीवर, उल्टी-दस्त और कंजक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है. चिकित्सकों के अनुसार मौसम में बदलाव के कारण कई संक्रामक रोग घेर लेते हैं. ऐसे में कुछ ऐहतियात बरत कर स्वस्थ रहा जा सकता है.

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Published : Jul 19, 2023, 10:37 PM IST

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज. देखें खबर

लखनऊ : मौसम में जब भी परिवर्तन होता है तो सर्दी जुखाम बुखार वायरल बीमारी परिवार के सभी सदस्यों को होती है. अगर घर के किसी एक व्यक्ति को सर्दी जुखाम बुखार या त्वचा इंफेक्शन हुआ है तो वह तेजी से घर के बाकी सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. मौजूदा समय में कभी बारिश हो रही है कभी मौसम पूरा गर्म है मानसून परिवर्तन के कारण इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ हो रही है ज्यादातर मरीज त्वचा रोग और वायरल बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. इस मौसम में होने वायरल फीवर में मरीज को उल्टी, दस्त, मन मचलना, घबराहट, बैचेनी और बुखार मरीजों को हो रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक वातावरण में मौजूद नमी से फंगल इंफेक्शन के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके अलावा इंसेक्ट चाइट पानी कीड़े काटने के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं. इसी तरह नमी के कारण कंजक्टिवाइटिस की परेशानी भी बढ़ रही है.

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज.
मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज.

केजीएमयू के क्रिटिकल केयर एवं मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि मौसम में जब भी परिवर्तन होता है उस समय सीजनल वायरल फीवर तेजी से फैलता है. बरसात ऋतु आते ही त्वचा से संबंधित रोग तेजी से फैलते हैं. इसके अलावा उल्टी, दस्त, बुखार वाले मरीज तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि जब बारिश होती है उस समय साफ सफाई अच्छे से नहीं हो पाती है. ऐसे में मच्छर पनपते हैं, जिसके कारण यह बीमारियां होती हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान देना चाहिए कि इस मौसम में अपने घर की साफ सफाई अच्छे से करें. ताकि वहां पर मच्छर न पनपने. अगर कहीं गढ्ढा है और पानी भरा हुआ है तो उसे साफ कर दें. कूलर में पानी भर के न रखें, समय-समय पर कूलर का पानी बदलते रहे. बच्चों को और खुद फुल बांह के कपड़े पहनाएं. घर के बाहर जा रहे हैं तो धूप से बचने का इंतजाम करें. छाता लें या फिर अपने शरीर को ढक कर चलें. इन सभी बातों के अलावा खानपान का भी विशेष ख्याल रखें. बाहर या पार्टी में खाना खाने से बचें. फ्रिज में रखा हुआ भोजन न करें.

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज.
मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज.

बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल अग्निहोत्री ने बताया कि यहां कंजक्टिवाइट के रोजाना सात से आठ मरीज ही आ रहे है. बिना इलाज ठीक नहीं होता फंगल इंफेक्शन केजीएमयू की त्वचा रिकन रोग विशेषज्ञ डॉ. पाल ने बताया कि बारिश के मौसम में कीड़ों के काटने से भी फंगल इफेक्शन स्किन एलर्जी होती है. इससे त्वचा में सूजन और रैशेज हो सकते हैं. कभी- कभी जी मिचलाना या हल्का बुखार भी हो सकता है. बलरामपुर अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. मसूद उस्मानी ने बताया कि फंगल इंफैक्शन बिना इलाज के ठीक नहीं होता. वहीं बरसाती कीड़े काटने को इंसेक्ट चाइट आईबीआर रिएक्शन कहते है. अगर कीड़ा स्किन में रगड़ जाए या रंग जाए तो स्किन में केमिकल बर्न हो जाता है. इससे स्किन लाल हो जाती है और जलन होने लगती है. सही समय पर इलाज करवाने से यह तीन से चार दिन में आसानी से ठीक हो जाता है.



यह भी पढ़ें : यूपी में बिजली की उपलब्धता के सरकारी दावों और हकीकत में है बड़ा अंतर, गांवों की आपूर्ति बदहाल

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज. देखें खबर

लखनऊ : मौसम में जब भी परिवर्तन होता है तो सर्दी जुखाम बुखार वायरल बीमारी परिवार के सभी सदस्यों को होती है. अगर घर के किसी एक व्यक्ति को सर्दी जुखाम बुखार या त्वचा इंफेक्शन हुआ है तो वह तेजी से घर के बाकी सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. मौजूदा समय में कभी बारिश हो रही है कभी मौसम पूरा गर्म है मानसून परिवर्तन के कारण इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ हो रही है ज्यादातर मरीज त्वचा रोग और वायरल बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. इस मौसम में होने वायरल फीवर में मरीज को उल्टी, दस्त, मन मचलना, घबराहट, बैचेनी और बुखार मरीजों को हो रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक वातावरण में मौजूद नमी से फंगल इंफेक्शन के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके अलावा इंसेक्ट चाइट पानी कीड़े काटने के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं. इसी तरह नमी के कारण कंजक्टिवाइटिस की परेशानी भी बढ़ रही है.

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज.
मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त और बुखार के मरीज.

केजीएमयू के क्रिटिकल केयर एवं मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि मौसम में जब भी परिवर्तन होता है उस समय सीजनल वायरल फीवर तेजी से फैलता है. बरसात ऋतु आते ही त्वचा से संबंधित रोग तेजी से फैलते हैं. इसके अलावा उल्टी, दस्त, बुखार वाले मरीज तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि जब बारिश होती है उस समय साफ सफाई अच्छे से नहीं हो पाती है. ऐसे में मच्छर पनपते हैं, जिसके कारण यह बीमारियां होती हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान देना चाहिए कि इस मौसम में अपने घर की साफ सफाई अच्छे से करें. ताकि वहां पर मच्छर न पनपने. अगर कहीं गढ्ढा है और पानी भरा हुआ है तो उसे साफ कर दें. कूलर में पानी भर के न रखें, समय-समय पर कूलर का पानी बदलते रहे. बच्चों को और खुद फुल बांह के कपड़े पहनाएं. घर के बाहर जा रहे हैं तो धूप से बचने का इंतजाम करें. छाता लें या फिर अपने शरीर को ढक कर चलें. इन सभी बातों के अलावा खानपान का भी विशेष ख्याल रखें. बाहर या पार्टी में खाना खाने से बचें. फ्रिज में रखा हुआ भोजन न करें.

मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज.
मानसून के मौसम में बढ़ रहे उल्टी-दस्त व बुखार से मरीज.

बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल अग्निहोत्री ने बताया कि यहां कंजक्टिवाइट के रोजाना सात से आठ मरीज ही आ रहे है. बिना इलाज ठीक नहीं होता फंगल इंफेक्शन केजीएमयू की त्वचा रिकन रोग विशेषज्ञ डॉ. पाल ने बताया कि बारिश के मौसम में कीड़ों के काटने से भी फंगल इफेक्शन स्किन एलर्जी होती है. इससे त्वचा में सूजन और रैशेज हो सकते हैं. कभी- कभी जी मिचलाना या हल्का बुखार भी हो सकता है. बलरामपुर अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. मसूद उस्मानी ने बताया कि फंगल इंफैक्शन बिना इलाज के ठीक नहीं होता. वहीं बरसाती कीड़े काटने को इंसेक्ट चाइट आईबीआर रिएक्शन कहते है. अगर कीड़ा स्किन में रगड़ जाए या रंग जाए तो स्किन में केमिकल बर्न हो जाता है. इससे स्किन लाल हो जाती है और जलन होने लगती है. सही समय पर इलाज करवाने से यह तीन से चार दिन में आसानी से ठीक हो जाता है.



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