लखनऊ : विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को एक जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है. यह एक भयानक बीमारी है जबकि क्योरबेल हैं. टीबी कभी कभी डायग्नोस करना मुश्किल हो जाता हैं. इसमें दिक्कतें आई हैं. इसमें इलाज लंबा होता हैं. कुछ लोग पैसों की कमी के कारण कोर्स पूरा नहीं कर पाते हैं. सरकार की मुहिम है कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाना है.
यह बातें मंगलवार को केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में आयोजित विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर कहीं. उन्होंने कहा कि इसके लिए उत्तर प्रदेश में भी इस अभियान को लागू किया गया है. केजीएमयू और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गांव को गोद लिया है. इसके अलावा टीबी से पीड़ित बच्चों को भी गोद लिया है. ताकि उनका इलाज बेहतर तरीके से मिल सके. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चैलेंज यह है कि इसका इलाज काफी लंबा है. कई बार मरीज हताश हो जाते हैं और बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं या फिर किसी मजबूरी के चलते इलाज पूरा नहीं हो पाता है. इस बीमारी के बचाव के लिए सब्र सबसे अहम है. इसलिए मरीजों को घबराने की बजाय नियमित रूप से दवाओं और चिकित्सकों के बताए गए भोजन को ग्रहण करना चाहिए.
पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि टीबी के खिलाफ 'टीबी मुक्त अभियान' भारत सरकार का मुहिम है. अगर किसी घर में एक सदस्य को टीबी है तो बाकी सदस्यों को भी होने का खतरा रहता है. इसके लिए भी दवा उपलब्ध है. बस जरूरत है जागरूकता की. इसीलिए समय-समय पर पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं.
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