लखनऊ : यूपी का पहला जिला अस्पताल लोकबंधु अस्पताल होगा, जहां पर आईपीएचएल लैब स्थापित होगी. आईपीएचएल लैब में करीब 150 से अधिक प्रकार की जांचें की जा सकेंगी. इसके लिए लैब टेक्नीशियन, एक माइक्रोबाॅयलॉजिस्ट, एक बायोकेमिस्ट के साथ में पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर होंगे. फिलहाल किसी भी जिला अस्पताल में इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैबोरेट्री लैब नहीं है. जिसके कारण माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित कोई भी जांचें यहां पर नहीं हो पाती हैं. राजधानी लखनऊ के तमाम जिला अस्पतालों में यही हाल है. फिलहाल जल्द ही लोकबंधु अस्पताल में आईपीएचएल लैब स्थापित होने जा रही है. इससे मरीजों को बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. माइक्रोबायोलॉजी में वायरोलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी, प्रोटिस्टोलॉजी, माइकोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और पैरासिटोलॉजी की जांच होती हैं.
जल्द शुरू होगा आईपीएचएल लैब
लोक बंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि जल्द ही इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैबोरेट्री आईपीएचएल लैब स्थापित होने जा रही है. लैब का काम अगले हफ्ते से शुरू होगा. हाल ही में सिटी स्कैन मशीन स्थापित हुई थी. इसके अलावा लेजर ट्रीटमेंट के द्वारा पथरी का ऑपरेशन शुरू हुआ था. ब्लड बैंक भी स्थापित हो रहा है और पैथोलॉजी भी शिफ्ट की जा रही है. अस्पताल में रोजाना हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में क्षेत्रीय लोगों को बड़े मेडिकल संस्थानों की ओर रुख न करना पड़े, वहां जाकर धक्का न खाना पड़े. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है. बहुत से मरीज यहां पर आते हैं, जिनकी स्थिति ठीक नहीं होती हैं कि उन्हें अन्य अस्पताल रेफर किया जाए.
मरीजों को करना पड़ा है रेफर
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में पैथोलॉजी में सभी जांचें होती हैं, लेकिन यहां पर आईपीएचएल नहीं है. न ही अभी इसे स्थापित करने की बात चल रही है. आईपीएचएल में माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित सभी जांच होती है. अस्पताल में जो भी ऐसे मरीज आते हैं उन्हें केजीएमयू या फिर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. उनका इलाज बड़े संस्थानों में होता है. कई केस में हम देखते हैं कि मरीज की स्थिति ठीक नहीं है, उसे प्राथमिक इलाज अस्पताल में ही दिया जाता है. इसके बाद केजीएमयू के विशेषज्ञों से बातचीत करते हैं और फिर उन्हें रेफर करते हैं, ताकि बड़े संस्थान में जाकर मरीज को गंभीर स्थिति में घंटों इलाज के लिए इंतजार न करना पड़े और न उसके जान पर बन बनाए.
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