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बलरामपुर अस्पताल से मरीज ​शिफ्ट करने के मामले में डिप्टी सीएम सख्त, दिया यह आदेश

बलरामपुर अस्पताल में इलाज न मिलने और उसे निजी अस्पताल में शिफ्ट करने के मामले में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने दो दिन के अंदर स्पष्टीकरण सहित विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

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Published : Apr 24, 2023, 10:41 PM IST

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लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल में आकस्मिक चिकित्सा मिलने में देरी होने के मामले को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान में लिया. दरअसल बीते दिन रविवार को अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज को लाया गया था. इस दौरान मरीज को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण निजी संचालक द्वारा सरकारी स्ट्रेचर का प्रयोग कर प्राइवेट एंबुलेंस के माध्यम से मरीज को अन्य अस्पताल ले जाने का मामला सामने आया था. बलरामपुर अस्पताल में हुए इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक में संज्ञान में ले लिया है. उन्होंने इस मामले में दो दिन के अंदर स्पष्टीकरण सहित विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. इसके अलावा उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि रिपोर्ट प्राप्त होने पर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.

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बता दें, बलरामपुर अस्पताल में दिनदहाड़े निजी अस्पताल में मरीजों को ​शिफ्ट कराया गया था. बीते रविवार दोपहर आए गंभीर मरीज को सरकारी एंबुलेंस लेकर इमरजेंसी आई थी. मरीज की हालत बेहद नाजुक थी. मरीज के भर्ती होने में देरी हो रही थी. इसी बीच निजी अस्पताल के एजेंट ज​रिए सांठगांठ होते ही उसे स्ट्रेचर पर लादकर गेट पर लाया गया. वहां से मरीज को निजी अस्पताल भेज दिया गया. इसे पूरे मसले का वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ. अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.


दरअसल बाराबंकी का रहने वाला सैफ (25) हादसे में जख्मी हो गया था. सिर में गंभीर चोट होने पर तीमारदार पहले मरीज को केजीएमयू ट्रॉमा ले गए. वहां पर जांच पड़ताल बाद मरीज को बेड खाली न होने का हवाला देकर बलरामपुर अस्पताल भेजा गया. सरकारी एंबुलेंस दोपहर करीब एक बजे मरीज को लेकर इमरजेंसी पहुंची. आरोप है यहां पर मरीज की हालत गंभीर बताई गई. आरोप है निजी अस्पताल के दलाल ने बेहतर इलाज का झांसा देकर निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. तीमारदार भी इलाज कराने को राजी हो गए. एंबुलेंस भी अस्पताल के गेट पर आकर लग गई. तीमारदार स्ट्रेचर पर लादकर उसे गेट तक लाए. वहां से मरीज को निजी एंबुलेंस में ​शिफ्ट करके ले गए. इस पूरे मामले का वीडियो कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया पर वॉयरल होने लगा. अस्पताल प्रशासन पहले मामले में लीपापोती में जुटा रहा. दबाव आने पर मामले की जांच की बात कही.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, गुंडा टैक्स वसूलने वालों की गर्मी उतर गई, यूपी में सबकुछ चंगा

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल में आकस्मिक चिकित्सा मिलने में देरी होने के मामले को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान में लिया. दरअसल बीते दिन रविवार को अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज को लाया गया था. इस दौरान मरीज को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण निजी संचालक द्वारा सरकारी स्ट्रेचर का प्रयोग कर प्राइवेट एंबुलेंस के माध्यम से मरीज को अन्य अस्पताल ले जाने का मामला सामने आया था. बलरामपुर अस्पताल में हुए इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक में संज्ञान में ले लिया है. उन्होंने इस मामले में दो दिन के अंदर स्पष्टीकरण सहित विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. इसके अलावा उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि रिपोर्ट प्राप्त होने पर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.

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बता दें, बलरामपुर अस्पताल में दिनदहाड़े निजी अस्पताल में मरीजों को ​शिफ्ट कराया गया था. बीते रविवार दोपहर आए गंभीर मरीज को सरकारी एंबुलेंस लेकर इमरजेंसी आई थी. मरीज की हालत बेहद नाजुक थी. मरीज के भर्ती होने में देरी हो रही थी. इसी बीच निजी अस्पताल के एजेंट ज​रिए सांठगांठ होते ही उसे स्ट्रेचर पर लादकर गेट पर लाया गया. वहां से मरीज को निजी अस्पताल भेज दिया गया. इसे पूरे मसले का वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ. अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.


दरअसल बाराबंकी का रहने वाला सैफ (25) हादसे में जख्मी हो गया था. सिर में गंभीर चोट होने पर तीमारदार पहले मरीज को केजीएमयू ट्रॉमा ले गए. वहां पर जांच पड़ताल बाद मरीज को बेड खाली न होने का हवाला देकर बलरामपुर अस्पताल भेजा गया. सरकारी एंबुलेंस दोपहर करीब एक बजे मरीज को लेकर इमरजेंसी पहुंची. आरोप है यहां पर मरीज की हालत गंभीर बताई गई. आरोप है निजी अस्पताल के दलाल ने बेहतर इलाज का झांसा देकर निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. तीमारदार भी इलाज कराने को राजी हो गए. एंबुलेंस भी अस्पताल के गेट पर आकर लग गई. तीमारदार स्ट्रेचर पर लादकर उसे गेट तक लाए. वहां से मरीज को निजी एंबुलेंस में ​शिफ्ट करके ले गए. इस पूरे मामले का वीडियो कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया पर वॉयरल होने लगा. अस्पताल प्रशासन पहले मामले में लीपापोती में जुटा रहा. दबाव आने पर मामले की जांच की बात कही.

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