लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर यूपी के सभी जिला अस्पतालों में होगी कीमोथेरेपी लखनऊ : प्रदेश में कैंसर मरीजों के लिए बड़ी पहल की जा रही हैं. कैंसर मरीजों को इलाज की सुविधा बढ़ाने के साथ बेहतर करने पर जोर हैं. इसके लिए बड़े अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ने की तैयारी हैं. इसके अलावा लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर प्रदेश के कुछ और जिला अस्पताल को कैंसर के इलाज के लिए डेवलप करने पर जोर दिया जा रहा हैं. बलरामपुर अस्पताल में कीमोथेरेपी का उदाहरण देकर जिले के अन्य अस्पतालों को भी यह सौगात मिलने जा रही हैं. कीमोथेरेपी की सुविधा कई जिलों के अस्पतालों में उपलब्ध होगी. ऐसे में कीमोथेरेपी के लिए मरीजों को अब दूसरे शहर का रुख नहीं करना पड़ेगा.
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर यूपी के सभी जिला अस्पतालों में होगी कीमोथेरेपी अंकोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अभय सिंह ने कहा कि कई दवाईयों का मिश्रण व ज़्यादा तेज़ दवाइयों का इस्तेमाल करके कैंसर का इलाज करना कीमोथेरेपी या “कीमो” कहलाता है. ये दवाइयां कैंसर कोशिकाओं को मारने या उन्हें बढ़ने से रोकने का काम करती हैं. हर दवा अलग तरीके से काम कर सकती है. सामान्य तौर पर कीमोथेरेपी दवाएं विभाजित होने वाली कोशिकाओं पर असर करती हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 100 से 150 के बीच में मरीज आते हैं. जिनमें से लगभग चार से पाच मरीज की कीमोथेरेपी होनी होती है. बीते अगस्त महीने से बलरामपुर अस्पताल में कीमोथेरेपी की शुरुआत हुई है. यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला अस्पताल है. जहां पर कीमोथेरेपी की व्यवस्था है और इसे नोडल बनाया गया है. अस्पताल में जब कीमोथेरेपी की शुरुआत होने जा रही थी उससे पहले अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता के निर्देशन में सबसे पहले इसके दवाओं का इंतजाम किया गया. जब भी हमारे पास कोई कैंसर पीड़ित मरीज आता है तो उन में देखा गया है कि 60 फ़ीसदी मरीज ऐसे होते हैं जिनमें कैंसर लगभग फैल चुका होता है. ऐसे मरीजों की स्थिति देखकर उनकी तत्कालिक स्थिति के अनुसार इलाज शुरू किया जाता है.
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर यूपी के सभी जिला अस्पतालों में होगी कीमोथेरेपी लखीमपुर खीरी से अजय पाल सिंह ने बताया कि उनके मरीज को पेनक्रियाज में कैंसर था. जिसके कारण बहुत दिक्कत परेशानी हो रही थी. इसके लिए बहुत भटके हैं कहीं भी इलाज नहीं मिला है. केजीएमयू में भी दिखाने के लिए गए थे वहां पर बेड खाली नहीं होने की वजह से काफी परेशानी हुई थी. कई बार केजीएमयू गए थे, लेकिन वहां पर बड़ी समस्या हुई भीड़ के चलते कभी इलाज नहीं हुआ. इसके बाद जानकारी प्राप्त हुई बलरामपुर अस्पताल में भी इसका इलाज संभव है तो यहां पर इलाज चल रहा है. कीमोथेरेपी हो रही है, पहले से अब में काफी अंतर मरीज में देखने को मिला है. यहां बहुत अच्छे से इलाज हुआ है और यहां के डॉक्टरों के इलाज से हम संतुष्ट हैं.
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर यूपी के सभी जिला अस्पतालों में होगी कीमोथेरेपी आलमबाग निवासी असलम अली ने बताया कि मरीज को खाने की नली में कैंसर है. इसके लिए सबसे पहले लोहिया और केजीएमयू के बहुत चक्कर लगाए, लेकिन वहां पर इलाज नहीं मिल पाया. इलाज नहीं मिल पाने के कारण हताश भी बहुत हुए. फिर बलरामपुर अस्पताल में लेकर मरीज को आए हैं. यहां पर कीमोथेरेपी मरीज की चल रही है, अभी स्थिति पहले से बेहतर है. यहां पर जितने भी विशेषज्ञ डॉक्टर हैं या स्टाफ है सभी बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं और अगर कोई दिक्कत परेशानी होती है तो पूछते हैं. डॉ. अभय ने बताया कि अस्पताल में इस समय अस्पताल में कुल छह कैंसर पीड़ित मरीज भर्ती हैं. जिनका इलाज अस्पताल में चल रहे हैं और उन्हें कीमोथेरेपी दी जा रही है. कीमोथेरेपी में आमतौर पर किसी समयावधि के दौरान इलाज की कई खुराकें शामिल होती हैं. ये इलाज एक निश्चित समय पर दिए जाते हैं. शेड्यूल का लक्ष्य दवाई से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा पहुंचाना है और शरीर को ठीक होने का एक मौका देना है. कीमोथेरेपी के एक चक्र में दो बातें शामिल होती हैं. लगातार जितने दिनों तक इलाज चलता है और जितने दिनों तक आराम करने के लिए कहा जाता है. जितनी बार यह चक्र दोहराने के लिए कहा जाता है. वहीं कीमोथेरेपी का एक कोर्स बनाता है. कीमोथेरेपी किस तरह की है और रोगी का स्वास्थ्य कैसा है, इसके हिसाब से, कीमोथेरेपी अस्पताल, औषधालय या घर पर दी जा सकती है.बता दें, कीमोथेरेपी के लिए बड़े अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ने की तैयारी है. इसके अलावा लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की तर्ज पर प्रदेश के कुछ और जिला अस्पताल को कैंसर के इलाज के लिए डेवलप करने पर जोर दिया जा रहा है. यह बातें प्रदेश चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने कही हैं. कैंसर को लेकर बनाए गए स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप की दूसरी बैठक में उन्होंने कहा कि संसाधन युक्त जिला अस्पतालों में कैंसर विशेषज्ञों की तैनाती कर कैंसर का इलाज शुरू किया जाएगा. साथ ही पब्लिक प्राइवेट भागीदारी से सभी जिलों में कीमोथेरेपी क्लीनिक बनाने पर भी सहमति बनी है.
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