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समय से पहले बारिश से बदरंग हुए आम, लागत निकलना हुई मुश्किल

राजधानी लखनऊ स्थित मलिहाबाद अपने आमों के लिए जाना जाता है. यहां के बगीचों में तरह-तरह के आम लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. लेकिन लॉकडाउन और मौसम की बेरुखी के चलते आम उगाने वाले बागवान परेशान हैं. उनका कहना है कि पिछले दिनों हुई बिन मौसम बरसात से कई तरह के रोग उत्पन्न हो गए. जिससे आम बदरंग होने के साथ-साथ पेड़ पर ही सड़ने लगे हैं.

आम बागवान.
आम बागवान.
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Published : Jul 2, 2021, 7:55 AM IST

लखनऊ: पिछले 3 वर्षों से फलपट्टी का बागवान किसी न किसी समस्या के चलते नुकसान उठता चला आ रहा है. उसके बावजूद वह यह सोच कर शांत हो जा रहा है कि शायद अगली फसल अच्छी हो और उसके नुकसान की भरपाई हो जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. बागवानों को हर वर्ष किसी न किसी नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिससे उसकी आर्थिक स्थित दिन ब दिन खराब होती जा रही है. पिछले दिनों हुई बिन मौसम बरसात से कई तरह के रोग उत्पन्न हो गए. जिससे आम बदरंग होने के साथ-साथ पेड़ पर ही सड़ने लगा है. जिससे बागवानों को 50 फीसदी आम की फसल का नुकसान हुआ है. बार-बार बेमौसम हुई बारिश ने आम के रंग को बदसूरत कर दिया. रुक-रुक कर हुई बारिश ने आम को चमक भी फीकी कर दी. जिस कारण आम के उचित दाम मंडियों में नहीं मिल रहे है और आम बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

जानकारी देते संवाददाता और आम बागवान.

बारिश के चलते आम हुआ बेरंग, बाजारों में नहीं मिल रही उचित कीमत
आम बागवान मो. मुश्ताक और अंसार अहमद बताते हैं कि कोरोना महामारी ने पहले से ही आम बागवानों को लंबे घाटे में पहुंचा दिया है. इस बार फसल अच्छी थी तो उम्मीद जगी थी कि पिछले वर्ष के नुकसान की भरपाई हो सकेगी मगर अब 2021 में जब बागवानों को कोरोना कर्फ्यू आदि से राहत मिल चुकी है तो बेमौसम बारिश ने आम को काला कर दिया, जिससे बाजारों में उसकी उचित कीमत नहीं मिल रही है.

कई बार छिड़काव के बाद भी राहत नहीं, दवाओं की डुप्लीकेसी पर लगे रोक
आम बागवान बताते है कि कीटों के लगातार प्रकोप को देखते हुए कई बार छिड़काव कराया गया था. उसके बाद भी कीटों का खात्मा सही ढंग से नहीं हुआ था. जिस कारण बारिश होने के साथ ही आम बेरंग हो गए. बाजारों में नकली दवाओं का संचालन हो रहा है जिस कारण बागों में कीटों का खात्मा नहीं हो पाया. बाजारों में नकली दवाओं का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है जब तक नकली दवाओं पर रोक नहीं लगेंगी तब तक आम बगवान को कोई राहत मिलने वाली नहीं है.

आम बागवानों की आर्थिक स्थिति को देखकर सरकार दे मुआवजा
मलिहाबाद के कई बागवान सुमित पाठक, प्रमोद कुमार, मो. मुश्ताक अन्य बागवानों ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार आम बागवानों के ऊपर ध्यान दे. क्यों कि बागवान केवल आम की फसल पर ही निर्भर हैं. पिछले साल कोरोना, लॉकडाउन के चलते भारी नुकसान हो गया था. इस साल सोच था कि इस फसल से पिछली नुकसान की भरपाई कर देंगे. मगर इस बार बेमौसगम बारिश और नकली दवाओं ने आम की चमक और यश के साथ ही आम को बेरंग कर दिया. जिस कारण मंडियों में आम की उचित कीमतें नहीं मिली. सरकार से अनुरोध है कि हम बागवानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है. सरकार बागवानों की मदद करे. जिससे बागवानों को कुछ राहत मिल सके.

मानसून से पहले हुई बारिश ने आम को किया बदरंग
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉक्टर शैलेन्द्र राजन ने बताया कि बिन मौसम बरसात की वजह से आम की फसल पर बहुत सी बीमारियों ने आक्रमण कर दिया. जिससे वह बेचने लायक नहीं बचा है. कीड़ों के कारण फलों पर धब्बे पड़ गए और कालापन आ गया. इसके अलावा दूसरी बीमारियों की वजह से आम में सड़न प्रारंभ हो गई. उन्होंने बताया कि इस समय आम पर मुख्यतः 3 तरह की बीमारियां दिख रही है. जो मानसून से पहले हुई बारिश की वजह से आ गई है और हमारी मुख्य आम की किस्मों को प्रभावित कर रही है.

आम पर तेजी से फैल रहा एंथ्रेक्नोज, डिप्लोडिया नामक रोग
इस समय एंथ्रेक्नोज, डिप्लोडिया नामक रोग तेजी से फैल रहा है. इस रोक की वजह से आम के बीच व डंठल के पास काले धब्बे पड़ जा रहे हैं. जिससे यह बदरंग हो रहा और शौकीन इससे दूरी बना रहे है. यह समस्या मलिहाबाद के आसपास देखने को मिल रही है. तराई इलाको में बैक्टीरियल केंकर नामक रोग का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. जिसकी वजह से फल बदसूरत होते जा रहे हैं. इसका मुख्य कारण मानसून से पहले होने वाली वर्षा की अधिकता है.

नियमित रूप से हो रही वर्षा के कारण फलों के ऊपर पाई जाने वाली रोग अवरोधक पर्त पानी की अधिकता से धुल कर समाप्त हो गई है. यह प्रकृति द्वारा आम के फल को दिया गया सुरक्षा कवच है. जो चार से पांच बार वर्षा होने के बाद कमजोर हो जाता है. जिसके बाद बीमारी और फल मक्खी को आक्रमण करने का मौका मिल जाता है और तरह-तरह की बीमारियां पैदा करती है.

बारिश होने से पहले ही अपनी फसल को ले तोड़
उन्होंने बताया कि अभी तो बागवानों के सामने एक ही उपाय है कि वह बारिश और अधिक होने से पहले ही अपनी फसल को तोड़ लें. फल को डाल पर पकने का इंतजार न करें. वर्तमान समय मे अगर बागवानों के नुकसान की बात करें तो जो आम बारिश से पहले टूट गया था. वह सुरक्षित रहा लेकिन जो आम बारिश के बाद टूट रहा है. वह लगभग सब बदसूरत हो गया है. क्योंकि बारिश और हुई तो समस्या और तेजी से बढ़ेगी साथ ही फसल को काफी नुकसान होगा.

आम को बैगिंग कर बचाया जा सकता है
डॉ. राजन बताते है कि बागवान इस समस्या से बचने के लिए बैगिंग का उपयोग कर सकते है हाल की हर एक फल को बैग करना पड़ेगा. जिससे फलों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है और इसे काले पन से बचाया जा सकता है.

आम के बीमे के लिए चल रही वार्ता
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक दैविक आपदा जैसे ओलवर्ष्टि को लेकर बागवानों के मुआवजे को लेकर बात चल रही थी मगर ओलावृष्टि के साथ-साथ आम की फसल का भी बीमा होना चाहिए. जैसे कि आंधी तूफान में फसल के नुकसान होने कीटों के प्रकोप से फसल का नुकसान होना और इस बार तो बेमौसम बारिश ने आम को बदरंग कर दिया. जिससे आम बागवानों को अत्यधिक नुकसान हुआ है अभी बीमा को लेकर वार्ता हुई थी जिसमे केवल 1 हेक्टययर यानी (चार बीघा) में 70 हजार के प्रीमियम रखा गया था जो कि बागवानों के लिए देना मुश्किल है प्रीमियम को कम किया जाए. जिससे बगवान प्रीमियम आसानी से करा सके और उसको बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मिल सकें. इस बार मीटिंग में ये सभी बाते रखी जाएगी जो सरकार तक पहुंचाई जाएंगी.

इसे भी पढ़ें- साल भर बाद लौटा 'नूरजहां' आम, एक हजार रुपये एक फल का दाम

लखनऊ: पिछले 3 वर्षों से फलपट्टी का बागवान किसी न किसी समस्या के चलते नुकसान उठता चला आ रहा है. उसके बावजूद वह यह सोच कर शांत हो जा रहा है कि शायद अगली फसल अच्छी हो और उसके नुकसान की भरपाई हो जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. बागवानों को हर वर्ष किसी न किसी नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिससे उसकी आर्थिक स्थित दिन ब दिन खराब होती जा रही है. पिछले दिनों हुई बिन मौसम बरसात से कई तरह के रोग उत्पन्न हो गए. जिससे आम बदरंग होने के साथ-साथ पेड़ पर ही सड़ने लगा है. जिससे बागवानों को 50 फीसदी आम की फसल का नुकसान हुआ है. बार-बार बेमौसम हुई बारिश ने आम के रंग को बदसूरत कर दिया. रुक-रुक कर हुई बारिश ने आम को चमक भी फीकी कर दी. जिस कारण आम के उचित दाम मंडियों में नहीं मिल रहे है और आम बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

जानकारी देते संवाददाता और आम बागवान.

बारिश के चलते आम हुआ बेरंग, बाजारों में नहीं मिल रही उचित कीमत
आम बागवान मो. मुश्ताक और अंसार अहमद बताते हैं कि कोरोना महामारी ने पहले से ही आम बागवानों को लंबे घाटे में पहुंचा दिया है. इस बार फसल अच्छी थी तो उम्मीद जगी थी कि पिछले वर्ष के नुकसान की भरपाई हो सकेगी मगर अब 2021 में जब बागवानों को कोरोना कर्फ्यू आदि से राहत मिल चुकी है तो बेमौसम बारिश ने आम को काला कर दिया, जिससे बाजारों में उसकी उचित कीमत नहीं मिल रही है.

कई बार छिड़काव के बाद भी राहत नहीं, दवाओं की डुप्लीकेसी पर लगे रोक
आम बागवान बताते है कि कीटों के लगातार प्रकोप को देखते हुए कई बार छिड़काव कराया गया था. उसके बाद भी कीटों का खात्मा सही ढंग से नहीं हुआ था. जिस कारण बारिश होने के साथ ही आम बेरंग हो गए. बाजारों में नकली दवाओं का संचालन हो रहा है जिस कारण बागों में कीटों का खात्मा नहीं हो पाया. बाजारों में नकली दवाओं का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है जब तक नकली दवाओं पर रोक नहीं लगेंगी तब तक आम बगवान को कोई राहत मिलने वाली नहीं है.

आम बागवानों की आर्थिक स्थिति को देखकर सरकार दे मुआवजा
मलिहाबाद के कई बागवान सुमित पाठक, प्रमोद कुमार, मो. मुश्ताक अन्य बागवानों ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार आम बागवानों के ऊपर ध्यान दे. क्यों कि बागवान केवल आम की फसल पर ही निर्भर हैं. पिछले साल कोरोना, लॉकडाउन के चलते भारी नुकसान हो गया था. इस साल सोच था कि इस फसल से पिछली नुकसान की भरपाई कर देंगे. मगर इस बार बेमौसगम बारिश और नकली दवाओं ने आम की चमक और यश के साथ ही आम को बेरंग कर दिया. जिस कारण मंडियों में आम की उचित कीमतें नहीं मिली. सरकार से अनुरोध है कि हम बागवानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है. सरकार बागवानों की मदद करे. जिससे बागवानों को कुछ राहत मिल सके.

मानसून से पहले हुई बारिश ने आम को किया बदरंग
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉक्टर शैलेन्द्र राजन ने बताया कि बिन मौसम बरसात की वजह से आम की फसल पर बहुत सी बीमारियों ने आक्रमण कर दिया. जिससे वह बेचने लायक नहीं बचा है. कीड़ों के कारण फलों पर धब्बे पड़ गए और कालापन आ गया. इसके अलावा दूसरी बीमारियों की वजह से आम में सड़न प्रारंभ हो गई. उन्होंने बताया कि इस समय आम पर मुख्यतः 3 तरह की बीमारियां दिख रही है. जो मानसून से पहले हुई बारिश की वजह से आ गई है और हमारी मुख्य आम की किस्मों को प्रभावित कर रही है.

आम पर तेजी से फैल रहा एंथ्रेक्नोज, डिप्लोडिया नामक रोग
इस समय एंथ्रेक्नोज, डिप्लोडिया नामक रोग तेजी से फैल रहा है. इस रोक की वजह से आम के बीच व डंठल के पास काले धब्बे पड़ जा रहे हैं. जिससे यह बदरंग हो रहा और शौकीन इससे दूरी बना रहे है. यह समस्या मलिहाबाद के आसपास देखने को मिल रही है. तराई इलाको में बैक्टीरियल केंकर नामक रोग का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. जिसकी वजह से फल बदसूरत होते जा रहे हैं. इसका मुख्य कारण मानसून से पहले होने वाली वर्षा की अधिकता है.

नियमित रूप से हो रही वर्षा के कारण फलों के ऊपर पाई जाने वाली रोग अवरोधक पर्त पानी की अधिकता से धुल कर समाप्त हो गई है. यह प्रकृति द्वारा आम के फल को दिया गया सुरक्षा कवच है. जो चार से पांच बार वर्षा होने के बाद कमजोर हो जाता है. जिसके बाद बीमारी और फल मक्खी को आक्रमण करने का मौका मिल जाता है और तरह-तरह की बीमारियां पैदा करती है.

बारिश होने से पहले ही अपनी फसल को ले तोड़
उन्होंने बताया कि अभी तो बागवानों के सामने एक ही उपाय है कि वह बारिश और अधिक होने से पहले ही अपनी फसल को तोड़ लें. फल को डाल पर पकने का इंतजार न करें. वर्तमान समय मे अगर बागवानों के नुकसान की बात करें तो जो आम बारिश से पहले टूट गया था. वह सुरक्षित रहा लेकिन जो आम बारिश के बाद टूट रहा है. वह लगभग सब बदसूरत हो गया है. क्योंकि बारिश और हुई तो समस्या और तेजी से बढ़ेगी साथ ही फसल को काफी नुकसान होगा.

आम को बैगिंग कर बचाया जा सकता है
डॉ. राजन बताते है कि बागवान इस समस्या से बचने के लिए बैगिंग का उपयोग कर सकते है हाल की हर एक फल को बैग करना पड़ेगा. जिससे फलों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है और इसे काले पन से बचाया जा सकता है.

आम के बीमे के लिए चल रही वार्ता
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक दैविक आपदा जैसे ओलवर्ष्टि को लेकर बागवानों के मुआवजे को लेकर बात चल रही थी मगर ओलावृष्टि के साथ-साथ आम की फसल का भी बीमा होना चाहिए. जैसे कि आंधी तूफान में फसल के नुकसान होने कीटों के प्रकोप से फसल का नुकसान होना और इस बार तो बेमौसम बारिश ने आम को बदरंग कर दिया. जिससे आम बागवानों को अत्यधिक नुकसान हुआ है अभी बीमा को लेकर वार्ता हुई थी जिसमे केवल 1 हेक्टययर यानी (चार बीघा) में 70 हजार के प्रीमियम रखा गया था जो कि बागवानों के लिए देना मुश्किल है प्रीमियम को कम किया जाए. जिससे बगवान प्रीमियम आसानी से करा सके और उसको बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मिल सकें. इस बार मीटिंग में ये सभी बाते रखी जाएगी जो सरकार तक पहुंचाई जाएंगी.

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