लखनऊ : लंबे समय से सांस फूलने और सीने में दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीज का सफल ऑपरेशन कर किंग जार्ज मेडिकल य़ूनिवर्सिटी (केजीएमयू) डॉक्टरों ने मरीज को नया जीवन दिया. दरअसल 55 वर्षीय मरीज राजपाल यादव बीते 20 मार्च को सांस फूलने और सीने में दर्द की शिकायत के साथ कार्डियोलॉजी इमरजेंसी में आए थे. मरीज का हृदय बस 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था. महाधमनी वाल्वुलर स्टेनोसिस और गंभीर माइट्रल वाल्वुलर रिगर्जिटेशन के कारण हार्ट फेलचर हो गया था.
केजीएमयू प्रशासन की विज्ञप्ति के अनुसार मरीज का यह उप-समूह बहुत मुश्किल है, क्योंकि इस तरह के बीमार दिल की सर्जरी का तनाव लेने में सक्षम नहीं हो सकता है. तीन विभागों के बीच चर्चा के बाद (कार्डियोलॉजी, कार्डियक सर्जरी और कार्डियक एनेस्थीसिया) डोबटामाइन स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राफी (डीएसई) से रोगी की संचालन क्षमता की जांच करने की योजना बनाई गई थी. डीएसई पर 80 से अधिक का gradient होने पर मरीज की महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन का एक मौका होता है. हालांकि इसमें भी उच्च जोखिम रहता है. यह प्रोटोकॉल पृथक गंभीर महाधमनी स्टेनोसिस के लिए है, लेकिन दुर्भाग्य से इस रोगी में गंभीर स्टेनोसिस और गंभीर रिगर्जिटेशन दोनों ही था. 60 से कम gradient मरीज को सक्षम बनाता है. Gradient 64 हो गया, लेकिन गंभीर एमआर के कारण ऑपरेशन असंभव हो गया.
29 अप्रैल को मरीज को डबल वाल्व प्रतिस्थापन प्रक्रिया (महाधमनी वाल्व और माइट्रल वाल्व दोनों) के लिए ऑपरेशन के लिए तैनात किया गया था. मूल्यांकन पर मरीज को कार्डियोजेनिक शॉक में पाया गया. जिसमें 10 एलपीएम के ऑक्सीजन प्रवाह के साथ 60-40 का रक्तचाप और 95 प्रतिशत का ऑक्सीजन संतृप्ति था. मरीज की हालत को देखकर यह स्पष्ट था कि वह हृदय प्रत्यारोपण का उम्मीदवार था, लेकिन मरीज के रिश्तेदारों के साथ चर्चा के बाद कार्डियक टीम द्वारा वाल्व प्रतिस्थापन के उच्च जोखिम परीक्षण की योजना बनाई गई थी. कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने पूरी टीम को मरीज के सफल इलाज के लिए बधाई दी है.
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