लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या के जिला प्रशासन से पूछा है कि एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों से जमीन किस मानदंड अथवा दिशा निर्देश के तहत ली जा रही है. जमीन खरीदने की दर क्या तय की गई है और किसानों को भुगतान कैसे किया जा रहा है. न्यायालय ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 29 जून की तिथि तय करते हुए, अयोध्या के डीएम, एसडीएम सदर व तहसीलदार सदर को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने पंचराम प्रजापति समेत 107 किसानों की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचियों का कहना था कि धर्मदासपुर सहादत गांव में उनकी जमीनें और मकान हैं. उनके सम्पत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन करते हुए, उनकी जमीनों और मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया जा रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी पालन नहीं किया जा रहा है.
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याचियों की ओर से दलील दी गई कि जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किस प्रक्रिया के तहत की जाएगी, इसका कोई मानदंड ही तय नहीं है. जमीनों के खरीद की दर का भी कोई पता नहीं है. वहीं जिला प्रशासन मनमानी पर उतारू है और याचियों पर अनुचित दर में जमीनें बेंचने का दबाव डाला जा रहा है. न्यायलाय ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए, उपरोक्त तीनों अधिकारियों को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने को कहा है. साथ ही न्यायलाय ने यह भी पूछा है कि याचियों की जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किया जा चुका है अथवा नहीं.