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गोमती में प्रदूषण रोकने को लेकर हाईकोर्ट सख्त - हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ

न्यायालय ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और गोमती नदी में सीधे बहने वाले दूषित जल को लेकर सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नदी में प्रदूषण रोकने के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दस दिनों का समय राज्य सरकार को दिया है.

लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Feb 22, 2021, 11:03 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नदी में प्रदूषण रोकने के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दस दिनों का समय राज्य सरकार, नगर निगम और जल निगम समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया है. मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी. न्यायालय ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और गोमती नदी में सीधे बहने वाले दूषित जल को लेकर सख्त रुख अपनाया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट टाइटिल से दर्ज वर्ष 2003 की जनहित याचिका पर दिया. न्यायालय ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, नगर निगम, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा था कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से कितने नाले जोड़े जा चुके हैं. क्या बगैर शोधित मैला सीधा गोमती नदी में डाला जा रहा है.

न्यायालय ने यह भी पूछा है कि गोमती नदी में मैला सीधा बहाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, नगर निगम, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई. इसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए दस दिनों का समय दिया है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 से लंबित उक्त जनहित याचिका पर न्यायालय समय-समय पर कई आदेश जारी कर चुका है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नदी में प्रदूषण रोकने के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दस दिनों का समय राज्य सरकार, नगर निगम और जल निगम समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया है. मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी. न्यायालय ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और गोमती नदी में सीधे बहने वाले दूषित जल को लेकर सख्त रुख अपनाया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट टाइटिल से दर्ज वर्ष 2003 की जनहित याचिका पर दिया. न्यायालय ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, नगर निगम, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा था कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से कितने नाले जोड़े जा चुके हैं. क्या बगैर शोधित मैला सीधा गोमती नदी में डाला जा रहा है.

न्यायालय ने यह भी पूछा है कि गोमती नदी में मैला सीधा बहाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, नगर निगम, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई. इसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए दस दिनों का समय दिया है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 से लंबित उक्त जनहित याचिका पर न्यायालय समय-समय पर कई आदेश जारी कर चुका है.

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