लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में नकली बार कोड से एक ही बिल्टी पर दो-दो बार शराब निकासी कर तस्करी करने और सरकार को करोड़ों की राजस्व क्षति पहुंचाने के मामले के अभियुक्तों को बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने इस मामले में जौनपुर जनपद के सीएल टू लाइसेंसी संत लाल जायसवाल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने संत लाल जायसवाल की याचिका पर दिया. याची के अधिवक्ता की दलील थी कि याची के खिलाफ पहले से कोई मामला दर्ज नहीं है और वह मामले की विवेचना में पूर्ण सहयोग करने के लिए तैयार है. याचिका का सरकारी वकील राव नरेंद्र सिंह ने विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि अभियुक्त सिर्फ एक बार में सरकार को 30 लाख रुपये की राजस्व हानि पहुंचा रहे थे. उनका कहना था कि पकड़े गए अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि मामले में आबकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया.
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क्या था मामला
इस मामले में याची समेत सहारनपुर की शराब फैक्ट्री के मालिक प्रनब अनेजा, वाइस प्रेसिडेंट कमल डेनियल और सोमशेखर, उन्नाव जनपद के सीएल टू लाइसेंसी इत्यादि लोगों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज की है. अभियुक्तों पर आरोप है कि वे फर्जी बारकोड से एक बिल्टी पर दो बार शराब की निकासी कर सरकार के राजस्व और टैक्स की चोरी कर रहे थे. एसटीएफ ने अभियुक्तों की कारस्तानी की बकाएदा वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने के बाद उनके एक ट्रक को पकड़ा था, जिसमें 15 सौ पेटी देशी शराब बरामद की गई थी. एसटीएफ ने जब शराब लदे ट्रक को पकड़ा था, तब एक ही गेट पास से कई-कई बार शराब की पेटियां फैक्ट्री से निकाल कर सीएल टू गोदामों में पहुंचाई जा रही थीं.