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दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में है लखनऊ, दिल्ली से भी ज्यादा खराब है हवा - lucknow news

राजधानी लखनऊ में रहने वालों को ग्रीन पीस और एयर विजुअल की ओर से जारी रिपोर्ट परेशान कर सकती है. इसके ताजा जारी आंकड़ों के अनुसार लखनऊ की हवा अब देश की राजधानी दिल्ली से भी खराब है. एयर क्वालिटी इंडेक्स 2018 की रिपोर्ट में लखनऊ दुनिया के सबसे प्रदुषित शहरों में नौवें स्थान पर है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की गई
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Published : Mar 6, 2019, 10:10 PM IST

लखनऊ : हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के कारण लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है. राजधानी लखनऊ में भी हवा की गुणवत्ता गिरती जा रही है. बुधवार को ग्रीन पीस और एयर विजुअल की ओर से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स 2018 में यह बात सामने आई है. संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट में लखनऊ दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में नौवें स्थान पर है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की गई

एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहर भारत के हैं. इनमें नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ मुख्य हैं. इस रिपोर्ट में गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है वहीं नोएडा को छठे स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ की स्थिति भारत की राजधानी दिल्ली से भी खराब है. प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने अपने स्तर पर कई कदम उठाए हैं, लेकिन इनसे कोई अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. उल्टे प्रदूषण की रोकथाम के मामले में और गिरावट ही देखी जा रही है.

प्रशासन ने ग्रेडेड एक्शन प्लान बनाकर 17 अलग-अलग विभागों को अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण पर अंकुश लगाने का जिम्मा सौंपा था, लेकिन यह कवायद भी कुछ खास कारगर साबित नहीं हुई है. असल में प्रदूषण का विकराल होता डरावना चेहरा कई बीमारियों को भी दावत देता है, जिसके सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और बुजुर्ग होते हैं. इसके अलावा गरीब लोग इससे बहुत अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके पास इससे निपटने के लिए संसाधनों का अभाव होता है. साथ ही कोई बीमारी होने की स्थिति में बेहतर इलाज के लिए भी पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं होते हैं.

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लखनऊ : हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के कारण लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है. राजधानी लखनऊ में भी हवा की गुणवत्ता गिरती जा रही है. बुधवार को ग्रीन पीस और एयर विजुअल की ओर से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स 2018 में यह बात सामने आई है. संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट में लखनऊ दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में नौवें स्थान पर है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की गई

एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहर भारत के हैं. इनमें नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ मुख्य हैं. इस रिपोर्ट में गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है वहीं नोएडा को छठे स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ की स्थिति भारत की राजधानी दिल्ली से भी खराब है. प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने अपने स्तर पर कई कदम उठाए हैं, लेकिन इनसे कोई अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. उल्टे प्रदूषण की रोकथाम के मामले में और गिरावट ही देखी जा रही है.

प्रशासन ने ग्रेडेड एक्शन प्लान बनाकर 17 अलग-अलग विभागों को अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण पर अंकुश लगाने का जिम्मा सौंपा था, लेकिन यह कवायद भी कुछ खास कारगर साबित नहीं हुई है. असल में प्रदूषण का विकराल होता डरावना चेहरा कई बीमारियों को भी दावत देता है, जिसके सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और बुजुर्ग होते हैं. इसके अलावा गरीब लोग इससे बहुत अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके पास इससे निपटने के लिए संसाधनों का अभाव होता है. साथ ही कोई बीमारी होने की स्थिति में बेहतर इलाज के लिए भी पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं होते हैं.

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Intro:लखनऊ। प्रदूषण के बाहर पर्यावरण पर लगातार बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा मुश्किल हमारे लिए सांस लेना ही होता जा रहा है। क्योंकि दिन-ब-दिन हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है। इसी सिलसिले में ग्रीन पीस और एयर विजुअल की ओर से जारी किए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स 2018 में भी यह बात सामने आई है कि भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।



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ग्रीनपीस और एयर विजुअल की ओर से जारी किए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स 2018 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि लखनऊ वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया में नौवें स्थान पर है इसका अर्थ यह है कि भाई प्रदूषण के मामले में लखनऊ में रहने वाले लोगों के लिए यह मुसीबत भी खबर है। रिपोर्ट में गाजियाबाद दूसरे स्थान पर नोएडा छठे स्थान पर और लखनऊ नौवें स्थान पर अंकित किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ की स्थिति भारत की राजधानी दिल्ली से भी खराब आंकी गई है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए शासन प्रशासन के स्तर पर उठाए जा रहे हैं। इन कदमों से भी कुछ अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। उल्टे प्रदूषण की रोकथाम के मामले में कुछ फिसलन ही अधिक देख रही है। प्रशासन ने ग्रेडेड एक्शन प्लान बनाकर 17 अलग-अलग विभागों में अपने अपने स्तर पर प्रदूषण पर अंकुश लगाने का जिम्मा सौंपा था लेकिन यह कवायद भी कुछ खास कारगर साबित नहीं हुई है।


Conclusion:असल में प्रदूषण का विकराल होता डरावना चेहरा कई बीमारियों को भी दावत देता है इसके सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और बूढ़े होते हैं और इसके बाद वह गरीब लोग होते हैं क्योंकि इससे निपटने के लिए एक तो संसाधनों का अभाव होता है और दूसरा बीमारी की जद में आने के बाद बेहतर इलाज के लिए भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं।

पीटीसी- रामांशी मिश्रा

रामांशी मिश्रा
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